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    तीनों सेनाओं के टॉप कमांडरों से क्यों चर्चा कर रहे हैं पीएम मोदी, ऑपरेशन सिंदूर के बाद क्या है आगे का 'प्लान'?

    Updated: Mon, 15 Sep 2025 08:30 PM (IST)

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त कमांडर कांफ्रेंस में सीमाओं की सुरक्षा और सैन्य बलों की तैयारियों का जायजा लिया। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के बाद सेनाओं के पराक्रम की सराहना की और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता पर जोर दिया। पीएम मोदी ने रक्षा मंत्रालय से भविष्य की चुनौतियों के लिए नवाचार को बढ़ावा देने को कहा।

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    ऑपरेशन सिंदूर के बाद पीएम मोदी ने सैन्य तैयारियों का लिया जायजा (फोटो सोर्स- एएनआई)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद हो रहे तीनों सेनाओं के कमांडरों की संयुक्त कांफ्रेंस के दौरान सीमाओं की सुरक्षा और सैन्य बलों की ऑपरेशन तैयारियों की समीक्षा की। साथ ही प्रधानमंत्री ने सुरक्षा तथा सामरिक चुनौतियों के बदलते दौर और जरूरतों के मद्देनजर रक्षा मंत्रालय से भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए अधिक से अधिक आत्मनिर्भरता कह दिशा में कदम उठाने के लिए कहा।

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    भविष्य की सामरिक जरूरतों के संदर्भ में पीएम मोदी ने रक्षा क्षेत्र में नवाचार (इनोवेशन) पर जोर दिया। साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त कमांडर कांफ्रेंस में पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ 'ऑपरेशन सिंदूर' की कार्रवाई के दौरान सेनाओं के पराक्रम और शौर्य की भरपूर सराहना की।

    सैन्य बलों की थपथपाई पीठ

    कोलकाता के विजय दुर्ग जिसे पहले फोर्ट विलियम के नाम से जाना जाता था में स्थित सेना के पूर्वी कमान मुख्यालय में सोमवार को 16वें संयुक्त कमांडर सम्मेलन का उद्घाटन करने के दौरान ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सैन्य बलों की पीठ थपथापई। ऑपेरशन सिंदूर के बाद शीर्ष सैन्य कमांडरों की यह पहली संयुक्त कांफ्रेंस है जिसमें तीनों सेनाओं के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी और तीनों सैन्य प्रमुख हिस्सा ले रहे हैं।

    इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले दो वर्षों में लागू किए गए सुधारों और अगले दो वर्षों की योजना की भी समीक्षा की। कमांडर कांफ्रेंस के उद्घाटन सत्र में पीएम के संबोधन के संदर्भ में रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी कर बताया कि प्रधानमंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के लिए सशस्त्र बलों की सराहना की।

    इस दौरान पीएम ने सशस्त्र बलों की सुरक्षा स्थिति और परिचालन तैयारियों की समीक्षा की। प्रधानमंत्री को ऑपरेशन सिंदूर द्वारा निर्मित नई परिस्थितियों के संदर्भ में आपरेशनल तत्परता और उभरती तकनीक एवं रणनीति के बीच भविष्य के युद्ध के बारे में जानकारी दी गई।

    पीएम मोदी ने की प्रशंसा

    प्रधानमंत्री ने सैन्य-रक्षा क्षेत्र में पिछले दो वर्षों में लागू किए गए सुधारों के साथ-साथ अगले दो वर्षों की योजनाओं की भी समीक्षा की। रक्षा मंत्रालय के अनुसार पीएम ने ऑपरेशन सिंदूर की कार्रवाई के अलावा राष्ट्र निर्माण, समुद्री डकैती विरोधी ऑपरेशन, युद्ध-संघर्ष क्षेत्रों से भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी में सैन्य बलों के योगदान की भूरि-भूरि प्रशंसा की।

    अपने नागरिकों के साथ ही मित्र देशों को मानवीय सहायता और आपदा राहत प्रदान करने में भी भारतीय सेनाओं की महत्वपूर्ण भूमिका की भी सराहना की। पीएम ने 2025 को रक्षा क्षेत्र में 'सुधारों का वर्ष' मानते हुए रक्षा मंत्रालय को भविष्य की चुनौतियों का सामना करने और किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सैन्य बलों के बीच अधिकतम संयुक्तता, आत्मनिर्भरता और नवाचार के कदम तेजी से लागू करने के निर्देश दिए।

    पीएम मोदी ने इस क्रम में 'भारतीय सशस्त्र बल विजन 2047' दस्तावेज का भी अनावरण किया। कमांडर कांफ्रेंस में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, सीडीएस जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह, विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री, सचिव (रक्षा उत्पादन) संजीव कुमार तथा रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव तथा डीआरडीओ के अध्यक्ष डा समीर वी. कामत आदि हिस्सा ले रहे हैं।

    कमांडरों को संबोधित करेंगे रक्षा मंत्री

    रक्षामंत्री मंगलवार को कमांडरों को संबोधित करेंगे। दो साल के अंतराल पर होने वाला तीन दिवसीय संयुक्त कमांडर सम्मेलन सशस्त्र बलों का सर्वोच्च विचार-मंथन मंच है जहां राजनीतिक तथा सैन्य नेतृत्व के बीच विचारों का खुला आदान-प्रदान होने के साथ देश की सैन्य तैयारियों की दशा-दिशा निर्धारित की जाती है।

    पिछला संयुक्त कमांडर कांफ्रेंस 2023 में भोपाल में हुआ था। संयुक्त कमांडर कांफ्रेंस इस वर्ष का फोकस 'सुधारों का वर्ष-भविष्य के लिए परिवर्तन' पर है जिसमें सशस्त्र बलों में जारी आधुनिकीकरण तथा बदलाव पर चर्चा हो रही है। तीन दिनों के विचार मंथन से हासिल फीडबैक और बढ़ती वैश्विक अनिश्चितताओं के मद्देनजर सैन्य बलों की आगे की तैयारियों और आपरेशनल क्षमता जैसे अहम मामलों की समग्र समीक्षा की जाएगी।

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