यहां पेड़ की जड़ से निकल रही जलधारा, बुझा रही चार गांव के लोगों की प्यास
छत्तीसगढ़ के कई इलाके पानी की संकट से जूझ रहे हैं। वहीं कोरबा के अर्जुन पेड़ की जड़ से लगातार पानी निकल रहा। पेड़ के जड़ में पाइप लगाया गया है।
कोरबा, जेएनएन। छत्तीसगढ़ के कई इलाके पानी की संकट से जूझ रहे हैं। वहीं कोरबा के अर्जुन पेड़ की जड़ से लगातार पानी निकल रहा। इस प्राकृतिक जलस्त्रोत से करीब एक सदी से भी अधिक समय से चार गांव के एक बड़ी आबादी की प्यास बुझ रहा है। पेड़ के जड़ में पाइप लगाया गया है और तीन अलग-अलग जगहों पर पानी का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह प्राकृतिक अजूबा कोरबा जिला मुख्यालय से 21 किलोमीटर दूर ग्राम कोरकोमा में स्थित है।
भीषण गर्मी से जब गांव के आसपास के जल स्त्रोत सूख जाते हैं, तब भी यहां पानी की धार कम नहीं होती। गांव के राठिया मोहल्ले से निकली इस जल धारा पर लगभग 6500 लोग निर्भर हैं। इसका पानी इतना शुद्ध है कि इसे बिना छाने या उबाले ग्रामीण इसका उपयोग पीने के लिए कर रहे हैं। इसके अलावा पानी का उपयोग सभी कामों के लिए भी करते हैं। इसे लोगों ने तुर्री पानी का नाम दिया है।
औषधी गुणों से भरपूर है पानी
इस पेड़ के जड़ से निकल रहे जल को लेकर कई वैज्ञानिक रहस्य छिपे हुए है। आयुर्वेद डॉ. राजीव गुप्ता का कहना है कि अर्जुन पेड़ कई प्रकार के औषधीय गुणों से भरपूर है। यह पेड़ नदी-नालों के किनारे पाया जाता है। इस पेड़ के छाल का चूर्ण मिलाकर नियमित सेवन से हृदय रोग से बचा जा सकता है। डॉ. गुप्ता का कहना है कि पेड़ के जड़ से गुजरकर पानी निकल रहा है, इसलिए स्वच्छ है।
मिलेगा दोहरे फसल का लाभ
कोरकोमा के वनों में तुर्री व छोटे-छोटे कई जल स्त्रोत हैं। इनसे किसान सीमित तादाद में सब्जी की खेती करते है। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में ज्यादातर किसान वनोपज पर निर्भर हैं। जल संरक्षण की पहल से किसानों को दोहरे फसल का लाभ मिलेगा। धान की फसल के अलावा सब्जी की खेती का भी विस्तार होगा।
सूखा पड़ा है तालाब
कोरकोमा में एक ओर यह प्राकृतिक जलस्त्रोत बह रहा है। वही आसपास के तालाब और कुएं सूख गए है। हालात तो ऐसे है कि बीते वर्ष ही 6.88 लाख की लागत से तैयार किया गया तालाब पूरी तरह से सूख गया है।
जड़ को जितना ज्यादा पानी उतनी लंबी आयु
बॉटनी के प्रोफेसर दिनेश कुमार का कहना है कि इस पेड़ की प्रकृति पानी के लिए अनुकूल होती है। इसकी जड़ों को जितना ज्यादा पानी मिलता है, यह उतनी लंबी आयु तक विकसित होता जाता है। चूंकि पानी का स्त्रोत जड़ के नीचे से ही है, इसलिए यह उसके लिए ज्यादा लाभकारी है। कहा जाता है कि जिन स्थानों पर यह पेड़ उग आता है, जमीन के नीचे या उपर पानी के स्त्रोत भी होते है। यह वृक्ष औसतन 100 से 120 साल तक जीवित रहता है।
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