बेकाबू कोचिंग सेंटर और छात्र आत्महत्याओं की समीक्षा करेगी संसदीय समिति, बदलाव की जरूरत का भी होगा आकलन
संसदीय समिति कोचिंग सेंटरों के अनियंत्रित विस्तार की समीक्षा करेगी, क्योंकि छात्रों में तनाव और आत्महत्या की घटनाएं बढ़ रही हैं। शिक्षा मंत्रालय ने एक विशेषज्ञ पैनल का गठन किया है। समिति पीएम-श्री स्कूलों की समीक्षा करेगी और शिक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रभाव की जांच करेगी। उच्च शिक्षा परिषद के गठन पर भी ध्यान दिया जाएगा।
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बेकाबू कोचिंग सेंटर और छात्र आत्महत्याओं की समीक्षा करेगी संसदीय समिति। (सांकेतिक तस्वीर)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों में बढ़ते तनाव और आत्महत्या की घटनाओं के बीच, संसद की एक स्थायी समिति कोचिंग सेंटरों के अनियंत्रित विस्तार और उससे जुड़े सामाजिक प्रभावों की विस्तृत समीक्षा करेगी।
शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, युवा और खेल से जुड़ी यह संसदीय स्थायी समिति मौजूदा कानूनों की प्रभावशीलता और इस क्षेत्र में किसी नए विनियमन की आवश्यकता का भी आकलन करेगी। साथ ही उच्च शिक्षा ले रहे छात्रों की मानसिक सेहत के मामले में सरकार के प्रयासों को भी देखा जाएगा।
छात्रों के आत्महताओं के मामलों में सभी को डराया
हाल के वर्षों में कोचिंग संस्थानों में नामांकित कई छात्रों द्वारा पढ़ाई के दबाव के कारण आत्महत्या के मामले सामने आए हैं, जिनमें राजस्थान के कोटा शहर, जिसे देश का ''कोचिंग कैपिटल'' कहा जाता है, में सबसे अधिक घटनाएं दर्ज हुई हैं। शिक्षा मंत्रालय ने इसी वर्ष एक नौ-सदस्यीय विशेषज्ञ पैनल गठित किया था, जिसे कोचिंग संस्थानों, ''डमी स्कूलों'' के बढ़ते चलन और प्रवेश परीक्षाओं की पारदर्शिता व प्रभावशीलता से जुड़े मुद्दों की जांच का दायित्व सौंपा गया है।
पीएम-श्री स्कूलों की समीक्षा भी करने की तैयारी
लोकसभा बुलेटिन के अनुसार, समिति वर्ष 2025-26 के दौरान पीएम-श्री स्कूलों की समीक्षा भी करेगी। इसके साथ ही, शिक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) के प्रभाव और उभरती तकनीकों के उपयोग व खतरे को भी पड़ताल के दायरे में रखा गया है। उच्च शिक्षा मामलों पर भी फोकस संसदीय पैनल ने शिक्षा मंत्रालय से भारतीय उच्च शिक्षा परिषद (एचएससीआइ) के गठन के मामले में किए जा रहे प्रयासों का विवरण मांगा है।
गौरतलब है कि संसद के शीत सत्र में एक दिसंबर को उच्च शिक्षा नियामक के गठन से संबंधित विधेयक पेश किया जाना है, जो यूजीसी जैसे निकायों का स्थान लेगा। गौरतलब है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रस्तावित एचईसीआइ, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) का स्थान लेगा।

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