संसदीय समिति ने कहा, तंबाकू की बिक्री पर लगाम लगे, कोटपा सख्त हो

स्वास्थ्य संबंधी संसद की स्थायी समिति ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में तंबाकू को कैंसर के लगभग आधे मामलों का जिम्मेदार मानते हुए इसकी बिक्री पर लगाम लगाने क...और पढ़ें
स्कन्द विवेक धर, नई दिल्ली। देश में कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसमें तंबाकू सेवन की बड़ी भूमिका है। स्वास्थ्य संबंधी संसद की स्थायी समिति ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है कि भारत में कैंसर के लगभग आधे मामले विभिन्न रूपों में तंबाकू के सेवन से जुड़े हैं। इसलिए इन कैंसर को रोका जा सकता है।
समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव की अध्यक्षता वाली समिति ने अपनी रिपोर्ट “कैंसर देखभाल योजना और प्रबंधन: रोकथाम, निदान, अनुसंधान और कैंसर के उपचार की वहनीयता” में चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि कैंसर के इलाज पर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा हजारों करोड़ खर्च किए जा रहे हैं। हालांकि, इसके मूल कारण यानी तंबाकू के सेवन पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
समिति ने कहा है कि तंबाकू का नशा करने वाले अधिकतर लोग किशोरावस्था में इसकी शुरुआत करते हैं। चूंकि भारत में "छोड़ने की दर" बहुत कम है, इसलिए समिति किशोरों को तंबाकू की लत का शिकार होने से रोकने के लिए रणनीति तैयार करने की सिफारिश करती है।
गैट्स-2017 के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में करीब 27 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन करते हैं। यह चीन के बाद दुनिया में सबसे अधिक है। इनमें से 13 लाख से अधिक हर साल तंबाकू से संबंधित बीमारियों से मर जाते हैं। तंबाकू के उपयोग से होने वाली बीमारियों की कुल प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लागत 182,000 करोड़ रुपए है, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 1.8% है। ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे के मुताबिक, भारत में 13-15 साल की उम्र का हर पांचवां छात्र तंबाकू उत्पादों का इस्तेमाल कर रहा है।
टाटा मेमोरियल कैंसर हॉस्पिटल के डॉक्टर पंकज चतुर्वेदी स्वास्थ्य समिति की अनुशंसाओं की सराहना करते हुए कहते हैं, तंबाकू से जुड़ी बीमारियां व्यक्ति को गरिमा के साथ और स्वस्थ तरीके से जीने का अधिकार छीन लेती हैं। यह वैज्ञानिक रूप से स्थापित है कि यदि किसी व्यक्ति को 21 वर्ष और उससे अधिक की आयु तक तंबाकू से दूर रखा जाता है, तो इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि वह जीवन भर तंबाकू मुक्त रहेगा।
डॉक्टर चतुर्वेदी कहते हैं, कई देशों ने तंबाकू उत्पादों की बिक्री की न्यूनतम आयु 21 वर्ष तक बढ़ा दी है। तंबाकू उत्पादों की बिक्री के लिए न्यूनतम कानूनी आयु को 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष करना और कोटपा 2003 में संशोधन करके धूम्रपान क्षेत्र/बिक्री के विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाना, युवाओं को तंबाकू की लत से बचाने के लिए जरूरी है।
संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में तंबाकू के उपभाेग में कमी लाने के लिए सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन का निषेध और व्यापार और वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति और वितरण का विनियमन) अधिनियम, 2003 (कोटपा) को और सख्त करने की सिफारिश की है।
सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट रंजीत सिंह जागरण प्राइम से बातचीत में कहते हैं, भारत में कैंसर रोगी बहुत हैं। 90% मुंह का कैंसर भारत में पाया जाता है, इसलिए भारत को ओरल कैंसर की राजधानी भी कहा जाता है। यह तंबाकू की वजह से होता है। तंबाकू नियमन नीति से, तंबाकू नियमन कानून को सशक्त बना कर और युवाओं में प्रमोशन रोक कर इस पर अंकुश लगाया जा सकता है। पीएमओ ने भी कैंसर की रोकथाम के लिए बचाव के उपाय पर ज्यादा जोर दिया है।
पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के पूर्व प्रमुख डॉक्टर श्रीनाथ रेड्डी ने जागरण प्राइम से बातचीत में कहा, तंबाकू में पॉली एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन, एन-नाइट्रोसामाइन, एरोमैटिक-एमाइन, एल्डिहाइड, वाष्पशील कार्बनिक यौगिक और धातु जैसे कैंसर पैदा करने वाले रसायन होते हैं। ये कार्सिनोजेन्स साइटोक्रोम पी-450 एंजाइमों द्वारा शरीर में परिवर्तित हो जाते हैं, ताकि वे खुद को मानव डीएनए से जोड़ने में सक्षम हो सकें। ये डीएनए एडक्ट शरीर में कैंसर की शुरुआत और वृद्धि को बढ़ावा देते हैं। कुछ कार्सिनोजेन बिना परिवर्तन के भी सीधे डीएनए एडक्ट का निर्माण कर सकते हैं। धूम्रपान और धुआं रहित दोनों तरह के तंबाकू उत्पादों में कार्सिनोजेन्स होते हैं।
एडवोकेट रंजीत सिंह कहते हैं, तंबाकू कंपनी का टारगेट बच्चे होते हैं। इसलिए सेलिब्रिटी के जरिए तंबाकू उत्पादों का सरोगेट विज्ञापन किया जाता है। दुकानों पर सिगरेट को टॉफी और चॉकलेट के साथ रखा जाता है। आजकल ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर जमकर तंबाकू का प्रमोशन किया जा रहा है। इसलिए सरकार को सिनेमा हॉल की तरह ओटीटी प्लेटफॉर्म पर भी तंबाकू का प्रमोशन रोकने के लिए सख्त कानून बनाना चाहिए।
डॉ. श्रीनाथ रेड्डी भी इस बात से इत्तेफाक रखते हुए कहते हैं, तंबाकू की लत एक मार्केटिंग और विज्ञापन की लत है। तंबाकू उद्योग नियामक प्रतिबंधों से बचने की कोशिश करते हुए हर संभव चैनल का उपयोग करके नए ग्राहकों को खोजने की कोशिश करता है। जब भी नए विपणन चैनल खुलते हैं, तम्बाकू उत्पाद निर्माता अपने लाभ के लिए उनका अधिक से अधिक उपयोग करने का प्रयास करते हैं। इसलिए कोटपा कानून को ओटीटी प्लेटफॉर्म तक विस्तारित करना जरूरी है।
संसदीय समिति ने भी अपनी रिपोर्ट में कोटपा कानून को सख्त करने की सिफारिश की है। समिति ने कहा है कि कोटपा भारत में प्रमुख तंबाकू विरोधी कानून है। इसमें सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध, विज्ञापन और प्रायोजन, नाबालिगों को बिक्री और पैक पर चेतावनी शामिल है। भारत की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति-2017 में वर्ष 2025 में वर्तमान तंबाकू के उपयोग में 30% की कमी लाने के लिए लक्ष्य तय किया था, इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर लगाम लगाने के लिए व्यापक उपाय करने चाहिए।
जागरूकता और जल्द स्क्रीनिंग से टाला जा सकता है खतरा
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, शुरुआती सावधानी से कैंसर के ज्यादातर मामलों को होने से या जानलेवा होने से बताया जा सकता है। लोगों को कैंसर के लक्षणों एवं स्वस्थ खानपान से जुड़ी जानकारी देना और कैंसर होने पर शुरुुआत में ही उसे डिटेक्ट कर लेना इसमें सबसे प्रमुख है।
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