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    Parliament Security Breach: आरोपियों की कॉल डिटेल से पता चला किन लोगों से हुई थी बात, मास्टरमाइंड को पकड़ने के लिए बन रहा ये प्लान

    Parliament Security Breach स्पेशल सेल के सूत्रों के मुताबिक आरोपितों के मोबाइल नंबरों की कॉल डिटेल से यह तो पता लगा लिया गया कि इनकी किन लोगों से बातचीत हुई थी और किन लोगों के संपर्क में अधिक समय से थे। मोबाइल फोन नहीं मिलने के कारण यह पता लगाना मुश्किल हो रहा है कि चैटिंग के जरिये किनसे बात हुई।

    By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaUpdated: Thu, 21 Dec 2023 06:30 AM (IST)
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    यदि दोबारा रिमांड नहीं मिला तो जांच कठिन हो जाएगी (संसद फाइल फोटो)

    जागरण टीम, नई दिल्ली। संसद की सुरक्षा में सेंध के मामले में आरोपितों के मोबाइल फोन बरामद नहीं होने के कारण साजिशकर्ताओं के बारे में पता लगाना पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों के लिए चुनौती बनी हुई है। जांच एजेंसियों को आशंका है कि प्रकरण के पीछे कुछ बड़े चेहरे हो सकते हैं, जिन्होंने आरोपितों के जरिये वारदात कराई।

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    स्पेशल सेल के सूत्रों के मुताबिक, आरोपितों के मोबाइल नंबरों की कॉल डिटेल से यह तो पता लगा लिया गया कि इनकी किन लोगों से बातचीत हुई थी और किन लोगों के संपर्क में अधिक समय से थे। उस लोकेशन का भी पता लग गया है कि आरोपित पिछले कुछ दिनों के दौरान कहां गए, लेकिन मोबाइल फोन नहीं मिलने के कारण यह पता लगाना मुश्किल हो रहा है कि चैटिंग के जरिये किनसे बात हुई।

    दोबारा रिमांड नहीं मिला तो जांच हो जाएगी कठिन

    सूत्रों के मुताबिक, गिरफ्तार आरोपित सागर शर्मा, मनोरंजन गौड़, नीलम झा, अमोल शिंदे, ललित झा और महेश कुमावत के घर और अन्य सभी ठिकानों पर छापेमारी कर गहन तलाशी ली जा चुकी है, लेकिन जांच एजेंसी को कोई अहम सुबूत हाथ नहीं लगा है। इनकी रिमांड अवधि समाप्त होने वाली है। ऐसे में सभी को दोबारा रिमांड पर लिया जा सकता है, लेकिन यदि दोबारा रिमांड नहीं मिला तो जांच कठिन हो जाएगी।

    जांच एजेंसियों के पास संसद के बाहर और अंदर के सीसीटीवी कैमरे के फुटेज अहम सुबूत के तौर पर हैं, जिनमें आरोपितों के घुसने से लेकर वारदात को अंजाम देने तक की फुटेज कैद है। सभी छह आरोपितों के बयान भी हैं। सूत्रों के मुताबिक सभी के बैंक खातों की भी जांच की जा चुकी है, लेकिन किसी के बैंक खातों से कोई बड़ी रकम या संदेह लायक लेने-देन का पता नहीं चला है। सागर शर्मा के घर से उसकी कुछ और डायरी मिली हैं, जिसमें कुछ मोबाइल फोन नंबर लिखे हैं। इन नंबरों की पुलिस जांच कर रही है।

    उप्र के जालौन से युवक को साथ ले गई दिल्ली पुलिस

    दिल्ली पुलिस ने बुधवार को उप्र के जालौन जिले के उरई से एक युवक अतुल कुलश्रेष्ठ उर्फ बच्चा को हिरासत में लिया है। आरोप है कि वामपंथी विचारधारा से जुड़े इस युवक ने आरोपितों के वाट्सएप ग्रुप में चैटिंग की है। एसपी डा. ईरज राजा ने बताया दिल्ली पुलिस रामनगर निवासी अतुल को पूछताछ के लिए अपने साथ ले गई है। अभी उसका कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं है।

    ललित के बैंक खातों की जांच के लिए कोलकाता पहुंची पुलिस

    स्पेशल सेल की चार सदस्यीय टीम ललित झा की पृष्ठभूमि की जांच के लिए मंगलवार को कोलकाता में दो बैंकों और बीएसएनएल मुख्यालय का दौरा किया। टीम मध्य कोलकाता के गिरीश पार्क इलाके में एक राष्ट्रीयकृत बैंक और एक निजी बैंक में गई। ललित झा के कब्जे से जब्त फोन में बीएसएनएल सिम पाए जाने के बाद से टीम डलहौजी स्क्वायर स्थित टेलीफोन भवन भी गई। अधिकारी पता लगाना चाहते थे कि उसने घटना को अंजाम देने से पहले किन लोगों से संपर्क करने के लिए उस कार्ड का इस्तेमाल किया था।

    सोमवार को पुलिस अधिकारियों ने मध्य कोलकाता के रवींद्र सारणी स्थित उस घर का दौरा किया, जहां झा बागुईआटी में एक अन्य मकान में शिफ्ट करने से पहले लगभग चार साल तक अपने माता-पिता और दो भाइयों के साथ किराए के मकान में रहता था। झा के माता-पिता 10 दिसंबर को बंगाल छोड़कर बिहार के दरभंगा जिले में अपने पैतृक गांव चले गए जहां वे रह रहे हैं। उनके जाने के बाद झा दिल्ली के लिए रवाना हो गया। कोलकाता पुलिस की एसटीएफ ने दो छोटे संगठनों साम्यबादी सुभाष दल और रिजर्वेशन फ्री इंडिया की गतिविधियों की भी जांच शुरू कर दी है, जिससे झा का संबंध था।

    ललित के समर्थन में पहुंचा मुंबई का संगठन

    इस बीच, मुंबई की एक संस्था राष्ट्रीय लोक आंदोलन के कार्यकर्ता दरभंगा के रामपुर उदय स्थित ललित झा के घर पहुंचे और उसका समर्थन किया। कार्यकारी अध्यक्ष कल्पना ईमानदार ने ललित को क्रांतिकारी बताया तथा हर तरह से मदद का आश्वासन दिया। बुधवार दिन के लगभग दो बजे दिन में चारपहिया गाड़ी से ललित के घर एक महिला समेत चार लोग पहुंचे। संगठन और आरोपितों से जु़ड़ा एक पोस्टर घर पर लगा दिया। उन लोगों ने ललित की मांगों का समर्थन किया, लेकिन इसे सरकार के समक्ष रखने के तरीके से असहमति जताई। इन लोगों ने ललित की मां को अपनी गाड़ी से बेनीपुर व्यवहार न्यायालय ले जाकर कानूनी मदद देने संबंधी हलफनामा भी बनवाया।

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