फलस्तीन को भारत की शक्ति पर भरोसा, राजदूत अब्दुल्ला शावेश बोले- इंडिया में विश्व को बदलने की ताकत
फलस्तीनी राजदूत अब्दुल्ला अबू शावेश ने भारत की सराहना करते हुए कहा कि राजनीतिक मुद्दों पर भारत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत वैश्विक परिदृश्य को बदलने की क्षमता रखता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा फलस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी को 50 लाख डॉलर का योगदान देकर फलस्तीन को समर्थन जारी रखने की बात कही।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। फलस्तीनी राजदूत अब्दुल्ला अबू शावेश ने भारत की सराहना करते हुए कहा है कि राजनीतिक मुद्दों पर भारत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत अपनी शक्ति से वैश्विक परिदृश्य को बदलने की क्षमता रखता है।
उन्होंने कहा, ''जब हम भारत की बात करते हैं तो हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश की बात करते हैं। जब हम भारत की बात करते हैं तो हम 1.4 अरब लोगों की बात करते हैं। जब भारत संयुक्त राष्ट्र में कोई निर्णय लेता है तो वह समग्र रूप से अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य को बदल सकता है। हम भारत से उसकी अत्यंत शक्तिशाली, अत्यधिक सम्मानित और चिर-परिचित राजनीतिक शक्ति का उपयोग करने की अपेक्षा करते हैं।''
एक विशेष साक्षात्कार में शावेश ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी फलस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए) को 50 लाख डॉलर का योगदान देकर फलस्तीन को समर्थन जारी रखे हुए हैं।
भारत पहले भी हमारा समर्थन करता रहा- फलस्तीन
उन्होंने कहा, ''ये प्रस्ताव नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार की अध्यक्षता में पारित किए गए थे। भारत हर साल फलस्तीनी शरणार्थियों के मुद्दे से निपटने वाली संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूएनआरडब्ल्यूए को योगदान देने के लिए 50 लाख डॉलर का भुगतान कर रहा है। भारत पहले भी हमारा समर्थन करता रहा है और हमें विश्वास है कि वह फलस्तीनी लोगों का समर्थन करता रहेगा।''
शावेश ने कहा कि फलस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास और प्रधानमंत्री मोदी के बीच संबंध बहुत अच्छे हैं और उम्मीद है कि ये आगे भी ऐसे ही बने रहेंगे। उन्होंने कहा, ''राष्ट्रपति अब्बास ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक आधिकारिक और एक व्यक्तिगत पत्र भेजा है जिसमें उनसे एक से अधिक मुद्दों पर मदद मांगी गई है।''
भारत और फलस्तीन के बीच ऐतिहासिक संबंध- शावेश
उन्होंने कहा कि भारत और फलस्तीन के बीच ऐतिहासिक संबंध है क्योंकि दोनों ने एक ही समय में स्वतंत्रता की घोषणा की थी। फलस्तीन को मान्यता देने वाला भारत पहला गैर-अरब और गैर-मुस्लिम देश था।
उन्होंने कहा, ''तब भारत ने महात्मा गांधी की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 1947 में फलस्तीन के विभाजन की योजना के विरुद्ध मतदान किया था, जिसकी हम बहुत सराहना करते हैं। भारत ने 1974 के अंत में पीएलओ (फलस्तीनी मुक्ति संगठन) को फलस्तीनी लोगों के एकमात्र और वैध प्रतिनिधि के रूप में मान्यता दी थी।''
(समाचार एजेंसी एएनआइ के इनपुट के साथ)
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