पाक में निवेश करेंगे तुर्किए और अजरबैजान, 2 अरब डॉलर के इन्वेस्टमेंट का प्लान तैयार; सैन्य सहयोग देने का भी वादा
पाकिस्तान को कश्मीर मुद्दे पर तुर्किए और अजरबैजान से सीधा समर्थन नहीं मिला पर दोनों देशों ने नैतिक सैन्य व आर्थिक सहयोग का वादा किया है। अजरबैजान में तीनों देशों की शिखर बैठक हुई जिसका उद्देश्य इस्लामिक देशों को संकेत देना है। भारत इस गठबंधन पर नजर रखेगा। अजरबैजान ने पाकिस्तान में दो अरब डॉलर का निवेश करने की घोषणा की है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर में भारी क्षति उठाने के बाद अंतरराष्ट्रीय मदद की तलाश कर रहे पाकिस्तान के हुक्मरानों को अपने दो सबसे विश्वस्त मित्र देशों तुर्किए और अजरबैजान से कश्मीर के मुद्दे पर सीधा समर्थन तो नहीं मिला है, लेकिन इन दोनों देशों ने उसे पूरा नैतिक, सैन्य और आर्थिक सहयोग देने का वादा किया है।
अजरबैजान के शहर लाचिन में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ, तुर्किए के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगेन और अजरबैजान के राष्ट्रपति इलहान एलियेव के बीच शिखर बैठक हुई। यह बैठक का मुख्य कूटनीतिक उद्देश्य तो इस्लामिक दुनिया में बेहद मजबूत रसूख रखने वाले सउदी अरब व खाड़ी के दूसरे इस्लामिक देशों को संकेत देना है, लेकिन भारत भी इन तीनों देशों के बनते गठबंधन को लेकर सतर्क रहेगा।
तुर्किए के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंधों में दरार
पाकिस्तान की वजह से तुर्किए और अजरबैजान के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंधों में दरार आना पहले ही शुरू हो चुका है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि लाचिन शिखर सम्मेलन के बाद इन तीनों देशों के बीच सैन्य व कूटनीतिक रिश्ते किस तरह से आगे बढ़ते हैं, भारत इस पर कड़ी नजर रखेगा और अपनी सुरक्षा के लिए जो भी संभव होगा वह कदम उठाएगा।
पहलगाम हमले के बाद से ऑपरेशन सिंदूर के समाप्त होने तक पाकिस्तान को तुर्किए और अजरबैजान से पूरा समर्थन मिला है। पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ तुर्किए निर्मित ड्रोन का इस्तेमाल किया है। इस बैठक में अरजबैजान के राष्ट्रपति एलियेव ने पाकिस्तान में दो अरब डॉलर का निवेश करने की घोषणा की और कहा कि वह भारत व पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण स्थित को लेकर चिंतित हैं और उम्मीद करते हैं कि जल्द ही शांति लौटेगी। हम पहले दिन से ही पाकिस्तान के समर्थन में हैं। हम विवाद का शांति और वार्ता से, अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत और संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के अनुसार, सुलझाने का समर्थन करते हैं।
तुर्किए ने क्या कहा?
वहीं, तुर्किए के राष्ट्रपति एर्दोगन ने कहा कि इस अवसर पर मैं भारत व पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम होने पर अपनी संतुष्टि जताता हूं। इस प्रक्रिया के दौरान पीएम शरीफ और पाकिस्तानी अधिकारियों ने जिस संयम व प्रतिबद्धता को दिखाया है, मैं उन्हें बधाई देता हूं। हमारी इच्छा है कि यह सीजफायर एक स्थिर शांति में बदले। इसमें तुर्किये हरसंभव मदद को तैयार है।' दोनों राष्ट्रपतियों ने कश्मीर का नाम नहीं लिया। हालांकि पाकिस्तान के पीएम शरीफ ने उम्मीद के अनुसार अपने भाषण में तीन बार कश्मीर का नाम लिया।
उक्त तीनों देशों के नेताओं ने आपसी रक्षा सहयोग को बढ़ाने की बात कही, जो भारत के हितों को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। एर्दोगेन की तरफ से तीनों देशों के बीच सैन्य सहयोग के साथ ही सैन्य उपकरणों के उत्पादन में सहयोग का प्रस्ताव रखा।
राष्ट्रपति एलियेव ने रक्षा सहयोग को आपसी सहयोग के क्षेत्र में सबसे अहम करार दिया और साझा सैन्य अभ्यास को बढ़ाने की बात कही। गौरतलब है कि भारत ने तुर्किए के साथ विवाद रखने वाले ग्रीस के साथ अपने संबंधों को मजबूत करना शुरू किया है। जबकि अजरबैजान के साथ तनावपूर्ण संबंध वाले अर्मेनिया के साथ भी भारत के रिश्ते लगातार सुधर रहे हैं।
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