'आसिम मुनीर के बेटे को ले आऊं और...', पहलगाम हमले में मारे गए लेफ्टिनेंट विनय नरवाल के पिता का छलका दर्द
पहलगाम आतंकी हमले में शहीद हुए लेफ्टिनेंट विनय नरवाल के पिता राजेश नरवाल ने पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिम मुनीर पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि आसिम मुनीर को उस दर्द का एहसास तभी होगा जब उनके बेटे या बेटी को कोई नुकसान पहुंचेगा। राजेश नरवाल ने कहा कि वह अपने परिवार के सामने रो नहीं पाते हैं और 2-3 घंटे से ज्यादा सो नहीं पाते।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी। इन लोगों में 26 साल के नेवी लेफ्टिनेंट विनय नरवाल भी शामिल थे। 16 अप्रैल को विनय नरवाल की शादी हुई थी और वह अपनी पत्नी के साथ हनीमून पर कश्मीर गए थे। 22 अप्रैल को जब कपल बैसरन घाटी में मौजूद था, तभी आतंकियों ने लेफ्टिनेंट नरवाल के सिर में गोली मार दी थी।
विनय नरवाल के शव के पास बैठी उनकी पत्नी की तस्वीर इस दुर्दांत आतंकी हमले के बाद जब सामने आई, तो पूरे देश की आंखें नम हो गई थीं। अब विनय नरवाल के पिता राजेश नरवाल ने पाकिस्तान के चीफ आर्मी स्टाफ जनरल आसिम मुनीर के बारे में कहा कि जब कोई उनके बेटे या बेटी को नुकसान पहुंचाएगा, तब वह दर्द समझ पाएंगे।
'2 घंटे से ज्यादा सो नहीं पाता'
राजेश नरवाल ने समाचार चैनल एनडीटीवी से बातचीत में कहा, 'हमारा परिवार इस वक्त किस दर्द से गुजर रहा है, यह आसिम मुनीर तभी समझ पाएगा, जब उसके बेटे या बेटी को कोई नुकसान पहुंचाएगा। जिस दिन उसे पता चलेगा कि उसके बेटे या बेटी की आतंकवादी हमले में मौत हो गई है, तब ही उसे दर्द का अहसास होगा।'
राजेश नरवाल ने कहा कि अगर मुझे, एक आम इंसान को बंदूक चलाने की अनुमित दी जाए और मैं उसके बेटे या बेटी को ले आऊं, तो आसिम मुनीर को दर्द का एहसास होगा। राजेश नरवाल ने कहा कि मैं अपने परिवार के सामने रो नहीं पाता। मेरी पत्नी, बूढ़े माता-पिता सब टूट चुके हैं। मजबूत दिखने के लिए मैं शांत रहता हूं। 2-3 घंटे से ज्यादा सो नहीं पाता हूं। दिमाग पूरी तरह सुन्न हो गया है।
राजेश नरवाल ने बताया कि विनय नरवाल हमेशा सैनिकों से बहुत प्रभावित रहते थे। वह अपने स्कूल में बेहद मेधावी छात्र थे। सर्विस सलेक्शन बोर्ड के जरिए वह नेवी में शामिल हुए थे और दो साल में ही लेफ्टिनेंट बन गए थे। जब विनय नरवाल का पार्थिव शरीर गृहनगर पहुंचा, तो हजारों की संख्या में लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए उमड़े थे।
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