कौन है आतंकी हाफिज अब्दुर रऊफ, जिसे पाकिस्तान बता रहा 'मामूली आदमी', भारत और US में वॉन्टेड; मसूद अजहर से है ये रिश्ता
Operation Sindoor ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए आतंकियों के जनाजे में हाफिज अब्दुर रऊफ की अगुवाई और पाकिस्तानी सेना के अधिकारियों की मौजूदगी ने विवाद खड़ा किया। भारत ने रऊफ को लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी बताया जबकि पाकिस्तान ने उसे आम नागरिक कहा। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने तस्वीरें दिखाकर पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थन को उजागर किया। यह घटना भारत-पाक तनाव को और बढ़ा रही है।

आईएएनएस, नई दिल्ली। भारत की ओर से किए गए ऑपरेशन ‘सिंदूर’ में मारे गए आतंकियों की नमाज-ए-जनाजा की अगुवाई करने वाले हाफिज अब्दुर रऊफ को लेकर सवाल उठे तो पाकिस्तान ने उसे "मामूली पारिवारिक आदमी" बताया है, लेकिन भारत ने इसे झूठा प्रचार बताया है।
भारत की ओर से जारी तस्वीरों में देखा जा सकता है कि रऊफ के पीछे पाकिस्तानी फौज के कई आला अफसर खड़े हैं और शहीद का दर्जा देकर पाकिस्तान का झंडा चढ़ाए गए ताबूत दिख रहे हैं। भारत का कहना है कि इससे साफ होता है कि पाकिस्तान आतंकवाद को संस्थागत समर्थन देता है।
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान वह तस्वीर साझा की, जिसमें रऊफ जनाजे की अगुवाई करते दिख रहे हैं और उनके साथ पाक आर्मी के अधिकारी मौजूद हैं। यह तस्वीर वायरल हो चुकी है और इस पर बहस और नाराजगी भी जाहिर की जा रही है।
रऊफ पर अमेरिकी पाबंदियां, पाकिस्तान बोला 'प्रचारक'
हाफिज अब्दुर रऊफ, जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर का भाई है और अमेरिका के ट्रेजरी विभाग द्वारा 'Specially Designated Global Terrorist' घोषित किया गया है। रऊफ, लश्कर-ए-तैयबा के लिए फंडिंग और प्रचार संभालता रहा है और 'फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन' (FIF) के जरिए आतंकी फंडिंग में भी शामिल रहा है। यह फाउंडेशन एक खैराती संस्था के नाम पर आतंक के लिए पैसे इकट्ठा करता रहा है।
पाकिस्तान की तरफ से DGISPR (Inter-Services Public Relations) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में रऊफ की नागरिक पहचान पत्र (CNIC) और जन्मतिथि दिखाकर यह साबित करने की कोशिश की कि वह एक ‘मामूली इंसान’ है, लेकिन जो जानकारी दी गई, वह वही थी जो अमेरिका की OFAC प्रतिबंध सूची में दर्ज है- CNIC नंबर: 35202-5400413-9 और जन्मतिथि: 25 मार्च 1973।
भारत ने किया पाकिस्तान के दावे का खंडन, रऊफ अजहर से गलत तुलना
पाकिस्तान ने यह भी दावा किया कि भारत ने जिन आतंकियों को मारा है, उनमें एक रऊफ अजहर है, जो मसूद अजहर का एक और भाई और जैश-ए-मोहम्मद का वरिष्ठ कमांडर था।
पाकिस्तान का कहना है कि जो मारा गया वो वही था, जबकि भारत ने स्पष्ट किया कि रऊफ अजहर और हाफिज अब्दुर रऊफ दो अलग-अलग लोग हैं। दोनों अंतरराष्ट्रीय निगरानी सूची में हैं और दोनों पाकिस्तान की आतंकी संरचना में अहम भूमिका निभाते हैं।
रऊफ अजहर पर 1999 के IC-814 विमान अपहरण, 2001 संसद हमला, 2016 पठानकोट हमला और 2019 पुलवामा हमले की साजिश में शामिल होने के आरोप हैं। वहीं हाफिज अब्दुर रऊफ लश्कर-ए-तैयबा और FIF के संचालन में सीधे तौर पर लिप्त रहा है।
पाक फौज की मौजूदगी ने बढ़ाया संदेह
जनाजे में शामिल लोगों में कई पाकिस्तानी सीनियर अफसर शामिल थे, जिनमें IV कोर, लाहौर के कॉर्प्स कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल फैयाज हुसैन शाह, 11 इन्फेंट्री डिविजन के मेजर जनरल राव इमरान सरताज, 15 हाइब्रिड मैकेनाइज्ड ब्रिगेड के ब्रिगेडियर मोहम्मद फुर्कान शब्बीर, पंजाब पुलिस के IGP डॉ. उस्मान अनवर और पंजाब के MLA मलिक सोहैब अहमद भेर्थ भी शामिल थे।
ये लोग मुरीदके में जुटे थे, जो लश्कर का गढ़ माना जाता है। वहां दिख रहा माहौल किसी साधारण धार्मिक जनाजे का नहीं बल्कि सरकारी सम्मान के साथ हुए ‘राजकीय’ जनाजे जैसा था। भारत ने सवाल उठाया है कि अगर मारे गए सिर्फ आम नागरिक थे, जैसा कि पाकिस्तान कह रहा है, तो फिर आतंकियों के जनाजे में इतने उच्च अधिकारी क्यों मौजूद थे?
अमेरिका की पाबंदी और भारत की चेतावनी
हाफिज अब्दुर रऊफ और FIF को अमेरिका ने 24 नवंबर 2010 को प्रतिबंधित किया था, जो कि मुंबई हमलों के बाद भारत की खुफिया एजेंसियों द्वारा साझा किए गए सबूतों के आधार पर हुआ था। विदेश सचिव मिसरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "अगर मारे गए लोग आम नागरिक थे, जैसा पाकिस्तान कहता है, तो फिर इस तस्वीर का क्या मतलब है? क्या यह आतंकवाद को खुलेआम समर्थन नहीं है?"
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