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    सिर्फ 31 फीसद शिक्षक मानते हैं विज्ञान शिक्षा को देश के लिए उपयुक्त: ऑक्सफोर्ड सर्वे

    By Manish PandeyEdited By:
    Updated: Thu, 15 Jul 2021 10:52 AM (IST)

    सर्वेक्षण में 66 प्रतिशत शिक्षकों ने यह माना कि मौजूदा विज्ञान शिक्षा छात्रों को वैज्ञानिक रूप से साक्षर और सक्रिय नागरिक बनाती है। सर्वेक्षण में 22 देशों व क्षेत्रों से 398 शिक्षकों को शामिल किया गया जिनमें से ब्रिटेन के 44 प्रतिशत और भारत के 19 प्रतिशत थे।

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    केवल 31 फीसद शिक्षक मानते हैं कि उनके देश में विज्ञान शिक्षा भविष्य के लिए उपयुक्त है।

    नई दिल्ली, प्रेट्र। आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस के एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि 22 देशों व क्षेत्रों में केवल 31 प्रतिशत शिक्षकों को यह लगता है कि उनके देश में भविष्य के लिए विज्ञान शिक्षा उपयुक्त है। 'इवोल्यूशन आफ साइंस एजुकेशन' नामक सर्वेक्षण में हालांकि 66 प्रतिशत शिक्षकों ने यह माना कि मौजूदा विज्ञान शिक्षा छात्रों को वैज्ञानिक रूप से साक्षर और सक्रिय नागरिक बनाती है। सर्वेक्षण में 22 देशों व क्षेत्रों से 398 शिक्षकों को शामिल किया गया, जिनमें से अधिकतर ब्रिटेन (44 प्रतिशत) और भारत (19 प्रतिशत) से थे।

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    आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस इंडिया के प्रबंध निदेशक शिवरामकृष्ण वेंकटेश्वरन ने कहा, 'हमें अपने सर्वेक्षण में भारत से बड़ी संख्या में शिक्षकों की मजबूत भागीदारी व उनके इस विश्वास को लेकर खुशी है कि मौजूदा विज्ञान शिक्षा छात्रों को वैज्ञानिक रूप से साक्षर और सक्रिय नागरिक बनाने में मदद कर रही है।'

    वेंकटेश्वरन ने कहा कि विज्ञान का अध्ययन युवा मन में जिज्ञासा को बढ़ावा देने में मदद करता है और उन्हें रोजमर्रा की जिंदगी में चुनौतियों के समाधान के बारे में सोचने के लिए प्रेरित करता है। महामारी से पीड़ित दुनिया में इसकी प्रासंगिकता केवल बढ़ी है। सर्वेक्षण रिपोर्ट ने कहा गया है कि कोरोना वायरस ने पिछले वर्ष विज्ञान शिक्षण पर प्रभाव डाला है, विशेष रूप से कक्षा में व्यावहारिक प्रयोग को प्रतिबंधित किया है।

    सर्वे में कहा गया है, 'यह सुनिश्चित करने के लिए कि विज्ञान की शिक्षा विकसित हो और भविष्य में प्रासंगिक बनी रहे, शिक्षकों का मानना ​​है कि जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ लगत खबरों से निपटने और तकनीकी और सामाजिक परिवर्तन को तेजी से अपनाने पर अधिक ध्यान देना चाहिए।'

    भारत के 15 प्रतिशत लोग मानते हैं कि पाठ्यक्रम छात्रों को दुनिया में आने वाली चुनौतियों के लिए पर्याप्त रूप से तैयार करता है। इसके अलावा, भारत के 80 प्रतिशत लोग मानते हैं कि स्कूलों में पढ़ाया जाने वाला विज्ञान पाठ्यक्रम छात्रों को वैज्ञानिक रूप से साक्षर और सक्रिय नागरिक बनने में सक्षम बनाता है, जबकि यूनाइटेड किंगडम में 59 प्रतिशत और हांगकांग में 67 प्रतिशत इसका विरोध करते हैं। रिपोर्ट में प्रतिक्रिया देने वाले 398 शिक्षकों में से 74 भारत के थे।