Move to Jagran APP

One Nation One Election: देश में कब-कब एक साथ हुए लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव?

One Nation One Election देश में पहली बार 1952 में एक देश-एक चुनाव की व्यवस्था के तहत लोकसभा और विधासभाओं के चुनाव कराए गए थे। इसके बाद अगले तीन चुनावों तक ये सिलसिला जारी रहा लेकिन बाद में कई राज्यों की विधानसभा समय से पहले भंग होने के कारण ये सिलसिला टूट गया। वहीं दुनिया के कई ऐसे देश हैं जहां एक देश-एक चुनाव की व्यवस्था लागू है।

By Devshanker ChovdharyEdited By: Devshanker ChovdharyPublished: Fri, 01 Sep 2023 12:54 AM (IST)Updated: Fri, 01 Sep 2023 12:54 AM (IST)
पढ़ें देश में कब-कब एक साथ लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव हुए हैं? (फोटो- जागरण ग्राफिक्स)

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। One Nation One Election: देश में इस समय लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनाव अलग-अलग होते हैं। अमूमन हर साल किसी न किसी राज्य में विधानसभा चुनाव हो रहे होते हैं। हालांकि, पहले ऐसा नहीं था। आजादी मिलने के बाद चार बार भारत में 'एक देश-एक चुनाव' की व्यवस्था थी और एक साथ लोकसभा व विधानसभा के चुनाव होते थे।

loksabha election banner

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद कई बार एक देश-एक चुनाव की वकालत कर चुके हैं। उन्होंने कई मौकों पर ये बात दोहराई है कि 'एक देश-एक चुनाव' जरूरी है। इसके लिए उन्होंने सर्वदलीय बैठक तक बुलाई है। हालांकि, एक देश-एक चुनाव पर सभी पार्टियों की अलग-अलग राय है।

कब-कब हुए एक साथ लोकसभा व विधानसभा चुनाव?

देश में 1952, 1957, 1962 और 1967 में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव हुए हैं। इस व्यवस्था के तहत चार बार चुनाव हुए, जिसमें राज्यों के विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव एक साथ होते थे। इसके बाद 1968-1969 के बीच कुछ राज्यों की विधानसभा भंग हो गई, जिससे ये सिलसिला टूट गया। वहीं, वर्ष 1971 में भी समय से पहले लोकसभा चुनाव कराए गए।

एक देश एक चुनाव के फायदे

अगर देश में लोकसभा और सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाए, तो चुनाव पर होने वाले खर्च कम होंगे। इसके साथ ही हमेशा चुनाव की वजह से प्रशासनिक अधिकारी व्यस्त रहते हैं, उससे भी छुटकारा मिलेगा।

आंकड़े के मुताबिक, देश में जब पहली बार चुनाव हुए थे, तब करीब 11 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। वहीं, 17वीं लोकसभा चुनाव में 60 हजार करोड़ से अधिक रुपये खर्च हुए थे। इससे अंदाजा लगाया लगाया जा सकता है कि अगर सिर्फ लोकसभा चुनाव में इतने पैसे खर्च हो रहे हैं, तो विधानसभा चुनावों में कितने रुपये खर्च होते होंगे।  

एक देश-एक चुनाव में चुनौतियां

  • लोकसभा का कार्यकाल पांच वर्षों का होता है, लेकिन इसे उससे पहले भी भंग किया जा सकता है। ऐसे में एक देश-एक चुनाव संभव नहीं होगा।
  • लोकसभा की तरह ठीक विधानसभा का भी कार्यकाल पांच साल का होता है और ये भी पांच साल से पहले भंग हो सकता है। अब ऐसे में सरकार के सामने चुनौती होगी कि एक देश-एक चुनाव का क्रम कैसे बरकरार रखा जाए।
  • एक देश-एक चुनाव पर देश के सभी दलों को एक साथ लाना सबसे बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि इस पर सभी पार्टियों के अलग-अलग मत हैं।
  • ऐसा माना जाता है कि एक देश-एक चुनाव से राष्ट्रीय पार्टी को फायदा पहुंचेगा, लेकिन क्षेत्रीय पार्टियों को इसका खामियाजा भुगतना होगा। यानी कि उन्हें नुकसान पहुंचेगा।
  • फिलहाल देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव अलग-अलग होते हैं, जिस वजह से ईवीएम और वीवीपैट की सीमित संख्या हैं, लेकिन अगर एक देश-एक चुनाव होते हैं तो एक साथ इन मशीनों की अधिक मांग होगी, जिसे पूर्ति करना बड़ी चुनौती होगी।
  • अगर एक साथ चुनाव कराए जाते हैं, तो अतिरिक्त अधिकारियों और सुरक्षाबलों की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में ये भी एक बड़ी चुनौती होंगी।

एक देश-एक चुनाव पर विधि आयोग की सिफारिश

वर्ष 1990 में विधि आयोग की एक रिपोर्ट में एक देश-एक चुनाव का समर्थन किया गया था। विधि आयोग ने दलीय सुधारों की भी बात कही थी। साथ ही विधि आयोग ने नोटा का विकल्प देने को कहा था, जो आज ईवीएम में मौजूद है।

एक देश-एक चुनाव का प्रभाव

लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाने के पीछे तर्क दिया जाता है कि इससे पूरे देश में एक ही पार्टी का अधिक प्रभाव रहेगा, जो अन्य दलों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इससे कई दलों के अस्तित्व पर खतरा हो सकता है। साथ ही एक साथ चुनाव कराए जाने से नतीजे आने में काफी समय लग जाएंगे और इससे देश में अस्थिरता का माहौल बन सकता है।

किन देशों में लागू है एक देश-एक चुनाव की व्यवस्था?

दुनिया के कई ऐसे देश हैं, जहां एक देश-एक चुनाव की व्यवस्था है। जर्मनी, हंगरी, स्पेन, पोलैंड, इंडोनेशिया, बेल्जियम, दक्षिण अफ्रीका, स्लोवेनिया और अल्बानिया जैसे देशों में एक देश-एक चुनाव की व्यवस्था है। वहीं, हाल ही में इस लिस्ट में स्वीडन शामिल हुआ है, जहां एक साथ सभी चुनाव कराए जाते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.