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    'किसी पार्टी ने मुझे नहीं लिखा', जेपीसी के बहिष्कार के बारे में बोले ओम बिरला

    Updated: Sat, 13 Sep 2025 10:13 PM (IST)

    लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने स्पष्ट किया है कि उन्हें किसी भी राजनीतिक दल से संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) के बहिष्कार के संबंध में कोई पत्र नहीं मिला है। केंद्र सरकार द्वारा पेश विधेयकों में आपराधिक आरोपों के तहत गिरफ्तारी पर नेताओं को पद से हटाने का प्रावधान है। तृणमूल कांग्रेस समाजवादी पार्टी शिवसेना (यूबीटी) और आप ने समिति में शामिल न होने की घोषणा की है।

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    जेपीसी पर बोले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शनिवार को स्पष्ट किया कि किसी भी राजनीतिक दल ने उन्हें तीन विधेयकों की समीक्षा के लिए संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) के बहिष्कार के संबंध में कोई पत्र नहीं लिखा है।

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    केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में पेश किए गए इन विधेयकों में गंभीर आपराधिक आरोपों के तहत 30 दिनों तक गिरफ्तार रहने पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को पद से हटाने का प्रविधान शामिल है।तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, शिवसेना (यूबीटी) और आम आदमी पार्टी जैसी कम से कम चार पार्टियों ने समिति का हिस्सा न बनने की घोषणा की है, जबकि कांग्रेस ने इस मुद्दे पर अभी तक अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है।

    ओम बिरला ने क्या कहा?

    बिरला ने संवाददाताओं से कहा- ''जेपीसी के मुद्दे पर किसी भी राजनीतिक दल ने मुझे लिखित में कोई सूचना नहीं दी है।'' मानसून सत्र के अंतिम दिन गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए थे।

    कौन-कौन से तीन विधेयक किए थे पेश?

    यह थे- केंद्र शासित प्रदेश (संशोधन) विधेयक, संविधान (130वां संशोधन) विधेयक और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक। बिरला ने बताया कि उन्होंने राजनीतिक दलों से सांसदों के नाम मांगे हैं ताकि संसद की संयुक्त समिति का गठन किया जा सके।

    बिरला ने कहा- ''राजनीतिक दलों से सांसदों के नाम प्राप्त होने के बाद जेपीसी का गठन किया जाएगा।'' इन विधेयकों को लेकर विपक्ष ने कड़ा विरोध जताया है और आरोप लगाया है कि ये असंवैधानिक हैं, जिनका उद्देश्य विभिन्न राज्यों में सत्तारूढ़ नेताओं को निशाना बनाना है।

    (न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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