जुर्माना, जब्ती और जबरन स्क्रैपिंग... हवा में जहर घोल रही 97 लाख गाड़ियां, डीजल-पेट्रोल वाहनों के लिए क्या है नया नियम्ती!
दिल्ली-एनसीआर में पुराने वाहनों पर प्रतिबंध के बावजूद, देश में 97 लाख वाहन प्रदूषण फैला रहे हैं। सरकार अब सख्त कदम उठाते हुए जुर्माना, जब्ती और स्क्रैपिंग की रणनीति अपना रही है। 2021 में स्क्रैपिंग नीति लागू होने के बावजूद, राज्य सरकारों के ढुलमुल रवैये के कारण केवल तीन लाख वाहन ही स्क्रैप हो पाए हैं। नई एसओपी के तहत, ऑटोमैटिक नंबर प्लेट पहचान कैमरे और हैंडहेल्ड उपकरणों का उपयोग करके पुराने वाहनों की पहचान की जाएगी और उन पर कार्रवाई की जाएगी।

हवा में जहर घोल रही 97 लाख गाड़ियां। (फाइल)
जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में नीति बनाई गई कि 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहन जब्त किए जाएंगे। उद्देश्य था कि अनफिट वाहन सड़कों पर न चलें, लेकिन दिल्ली सरकार ने ही ऐसे वाहनों पर प्रतिबंध के खिलाफ अपील की और सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पर रोक लगा दी। यह उदाहरण है कि जिम्मेदारों को किस तरह पर्यावरण से अधिक राजनीतिक हितों की चिंता है।
देशभर में उदासीनता का यही हाल है, जिसके कारण 97 लाख ऐसे वाहन पर्यावरण में प्रदूषण का जहर घोलते दौड़ रहे हैं, जिन्हें नियमानुसार स्क्रैप कर देना चाहिए, लेकिन अब तक मात्र तीन लाख की ही स्क्रैपिंग हो सकी है। सख्त मोटर व्हीकल एक्ट भी इसी राजनीति का शिकार हुआ था।
जबरन स्क्रैपिंग की रणनीति हो सकती है लागू
इस बीच केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने सुधार की आस के साथ उम्र पूरी कर चुके वाहनों (एंड लाइफ व्हीकल-ईएलवी) पर कार्रवाई के लिए एसओपी जारी की है। यदि राज्य सरकारों ने इस प्रयास में केंद्र सरकार का सहयोग किया तो ऐसे वाहनों पर जुर्माना, जब्ती या जबरन स्क्रैपिंग की रणनीति धरातल पर उतारी जा सकती है।
सड़क सुरक्षा से जुड़े विशेषज्ञ मानते हैं कि अनफिट पुराने वाहन अन्य वाहनों की तुलना में दस से पंद्रह प्रतिशत तक अधिक वायु प्रदूषण फैलाते हैं। साथ ही ऐसे वाहनों के कारण दुर्घटनाओं की आशंका भी अधिक रहती है। इस समस्या के समाधान के लिए ही केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने वर्ष 2021 में वाहन स्क्रैपिंग नीति लागू की।
देशभर में स्क्रैपिंग सेंटर खोलना शुरू किए, लेकिन अपने पुराने वाहनों को स्क्रैप कराने से न सिर्फ वाहन चालक बचते हैं, बल्कि राज्य सरकारों की प्रवर्तन एजेंसियों ने भी ढुलमुल रवैया ही अपनाए रखा। इस व्यवस्था के प्रति बेरुखी केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के कुछ दिन पहले के ही बयान से समझी जा सकती है, जिसमें उन्होंने कहा था कि देश में इस वक्त करीब 97 लाख वाहन ऐसे हैं, जिन्हें कबाड़ घोषित कर स्क्रैप करा दिया जाए तो पर्यावरण प्रदूषण काफी कम हो सकता है।
सिर्फ तीन लाख वाहनों की हुई स्क्रैपिंग
बताया कि अब तक देश में सिर्फ तीन लाख वाहनों की ही स्क्रैपिंग हो सकी है। हालांकि, संतोष सिर्फ इस बात पर किया जा सकता है कि पिछले वर्षों की तुलना में अब इस दिशा में तेजी आई है और गडकरी के प्रयासों से आटोमोबाइल कंपनियों ने स्क्रैपिंग सर्टिफिकेट के आधार पर नए वाहन की खरीद पर छूट देने की भी बात कही है। इन प्रयासों के बीच परिवहन मंत्रालय ने ऐसी एसओपी तैयार की है, जो व्यवस्था काफी हद तक पटरी पर ला सकती है। इसमें राज्यों की सक्रियता बहुत जरूरी है।
एसओपी में कहा गया है कि भारत में पंजीकृत सभी वाहनों को सड़क पर चलने की योग्यता के लिए समय-समय पर मूल्यांकन से गुजरना होगा। उम्र पूरी कर चुके वाहनों की पहचान वाहन की आयु (पंजीकरण के आधार पर) या आटोमैटिक फिटनेस टेस्ट में उत्तीर्ण न होने के आधार पर की जाएगी। पहचान हो जाने पर ऐसे वाहनों को वाहन पोर्टल पर आटोमैटिक तरीके से चिह्नित किया जाएगा।
इंटीग्रेटेड सिस्टम देगा अनफिट वाहनों की सूचना
क्षेत्रीय परिवहन कार्यालयों (आरटीओ) और यातायात प्रवर्तन एजेंसियों को निरंतर निगरानी सुनिश्चित करने के लिए नियमित रूप से इस चिह्नित सूची का उपयोग करना होगा। व्यवस्था सुझाई गई है कि राजमार्गों, टोल प्लाजा और शहर की चौकियों पर स्वचालित नंबर प्लेट पहचान (एएनपीआर) कैमरे लगाने होंगे। उनको वाहन पोर्टल के डाटाबेस के साथ एकीकृत किया जाएगा।
ये इंटीग्रेटेड सिस्टम उन अनफिट वाहनों की सूचना दे देगा, जो पंजीकरण रद करने के नोटिस के बावजूद चालू हैं। पता लगने पर सिस्टम निकटतम यातायात नियंत्रण इकाई या आरटीओ को तत्काल कार्रवाई के लिए अलर्ट भेज देगा। इसके बाद प्रवर्तन एजेंसियों की जिम्मेदारी जुर्माना जारी करने, वाहन जब्त करने और अनिवार्य स्क्रैपिंग कराने की होनी चाहिए।
रीयल टाइम एक्शन शुरू करने में होगी आसानी
परिवहन मंत्रालय ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं कि फील्ड में तैनात क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय के अधिकारियों और यातायात पुलिस को वाहन पोर्टल के साथ एकीकृत हैंडहेल्ड उपकरणों या मोबाइल एप्लिकेशन से लैस होना चाहिए। ये उपकरण अधिकारियों को लाइसेंस प्लेटों को स्कैन करने, ईएलवी की स्थिति सत्यापित करने और अनुपालन न करने वाले वाहनों के खिलाफ रीयल टाइम एक्शन शुरू करने में सहयोग करेंगे।
इस व्यवस्था के तहत एक बार जब किसी वाहन को ईएलवी के रूप में चिह्नित किया जाएगा तो सिस्टम पंजीकृत मालिक को एक इलेक्ट्रानिक नोटिस जारी करेगा। एक विशिष्ट ईएलवी ट्रैकिंग आइडी जनरेट की जाएगी और मालिक के साथ साझा की जाएगी। इस आइडी का उपयोग सभी सिस्टम जैसे कि पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग सेंटर, एनफोर्समेंट चेकपाइंट और पंजीकरण रद करने की प्रक्रियाओं में किया जाएगा।
ईएलवी के मालिक को वाहन को स्क्रैप करने से पहले सभी लंबित चालानों का निस्तारण कराना अनिवार्य होगा अन्यथा जमा प्रमाण-पत्र (सीओडी) जारी नहीं किया जाएगा और ऐसे मालिकों को अपने नाम पर नया वाहन पंजीकृत करने से भी रोका जा सकता है।

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