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    Atomic Energy: परमाणु ऊर्जा कानूनों में होगा बदलाव? सरकार ने बनाया ये प्लान; जानिए क्या है लक्ष्य

    By Agency Edited By: Chandan Kumar
    Updated: Mon, 19 May 2025 10:51 PM (IST)

    भारत सरकार परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने के लिए परमाणु ऊर्जा अधिनियम में संशोधन करने पर विचार कर रही है। इसका उद्देश्य 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा उत्पादन के लक्ष्य को प्राप्त करना है। परमाणु क्षति के लिए जवाबदेही कानून में भी संशोधन किया जा सकता है। सरकार नियामक सुधारों पर ध्यान केंद्रित कर रही है।

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    2020 में अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी भागीदारी के लिए खोल दिया गया था। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    पीटीआई, नई दिल्ली। सरकार परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को नियंत्रित करने वाले कानूनों में संशोधन पर विचार कर रही है। 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा के उत्पादन का लक्ष्य हासिल करने के लिए सरकार परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी क्षेत्र की सहभागिता बढ़ाना चाहती है। इसके लिए परमाणु ऊर्जा क्षेत्र से संबंधित कानूनों में बदलाव की जरूरत महसूस हो रही है।

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    सरकारी सूत्रों ने कहा कि निजी क्षेत्र को भागीदारी की अनुमति देने के लिए परमाणु ऊर्जा अधिनियम में बदलाव पर विचार हो रहा है।

    परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण के लिए उपकरणों के आपूर्तिकर्ताओं पर जवाबदेही सीमित करने के लिए परमाणु क्षति के लिए जवाबदेही कानून में संशोधन की जरूरत महसूस की जा रही है। सरकार नियामक सुधारों पर भी विचार कर रही है और भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (इनस्पेस) के माडल का मूल्यांकन कर रही है। इनस्पेस अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए नियामक के रूप में कार्य करता है। 2020 में अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी भागीदारी के लिए खोल दिया गया था।

    वित्त मंत्री ने की थी परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोलने की घोषणा

    वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को भी निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए खोलने की घोषणा की, जिसे अब तक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों तक सीमित रखा गया था। भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (एनपीसीआइएल) देशभर में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का संचालन करता है। ये परमाणु संयंत्र देश में 8.7 गीगावाट बिजली का योगदान करते हैं। सीतारमण ने छोटे माड्यूलर रिएक्टरों (एसएमआर) के अनुसंधान और विकास के लिए 20 हजार करोड़ रुपये के बजट के साथ परमाणु ऊर्जा मिशन की भी घोषणा की। इसका उद्देश्य 2033 तक पांच स्वदेशी विकसित एसएमआर को क्रियान्वित करना है।

    परमाणु ऊर्जा विभाग के अधिकारियों ने हाल ही में कहा कि परमाणु ऊर्जा मिशन का उद्देश्य निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देना, नियामक ढांचे को सुव्यवस्थित करना और भारत की बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा करने के लिए परमाणु ऊर्जा उत्पादन बढ़ाना है।

    निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए अवरोध साबित हुआ है परमाणु जवाबदेही कानून

    भारत ने 2008 में ऐतिहासिक भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु करार के बाद वैश्विक परमाणु व्यापार में सहभागी बनने के लिए परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) से छूट प्राप्त की। इसके बाद विदेशी परमाणु ऊर्जा कंपनियों ने भारत में परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने में रुचि दिखाई है। हालांकि, 2010 का परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए बाधा साबित हुआ। निजी क्षेत्र ने कानून के कुछ प्रविधानों को अस्वीकार्य बताया।

    निजी क्षेत्र के अनुसार ये प्रविधान परमाणु क्षति के पूरक मुआवजे के लिए अंतरराष्ट्रीय समझौते (सीएससी) के अनुरूप नहीं हैं। सरकार को उम्मीद है कि 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा उत्पादन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निजी क्षेत्र निवेश करेगा। 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा उत्पादन के इस लक्ष्य में से लगभग 50 प्रतिशत परमाणु ऊर्जा का उत्पादन सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) से होने की उम्मीद है।

    संसदीय समिति ने भी की है मजबूत वित्तीय मॉडल स्थापित करने की सिफारिश

    संसद की एक समिति ने भी मजबूत वित्तीय मॉडल स्थापित करने की सिफारिश की है जिसमें घरेलू और विदेशी दोनों निवेशों को आकर्षित करने के लिए सरकारी प्रोत्साहन और संप्रभु गारंटी शामिल हो। समिति ने यह सुझाव भी दिया था कि परमाणु ऊर्जा उत्पादन में निजी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए परमाणु ऊर्जा अधिनियम और परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम में संशोधनों में तेजी लाई जाए।

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