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    बच्चों के भोजन में अब दस प्रतिशत कम तेल का होगा इस्तेमाल, केंद्र सरकार ने इस वजह से लिए ये फैसला

    Updated: Mon, 31 Mar 2025 08:03 PM (IST)

    पीएम मोदी ने हाल में मन की बात में बढ़ते मोटापे को लेकर गहरी चिंता जताई थी व सुझाव दिया था कि हम खाने में दिन प्रतिदिन तेल के इस्तेमाल में दस प्रतिशत ...और पढ़ें

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    Mid Day Meal: बच्चों के भोजन में पहले की तुलना में दस प्रतिशत कम खाने के तेल का इस्तेमाल होगा।

    अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। मोटापे से निपटने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंत्र का असर अब जल्द ही स्कूली बच्चों को पीएम पोषण योजना के तहत मिलने वाले दोपहर के भोजन सहित स्कूलों की कैंटीन व छात्रावासों में दिखेगा। जहां बच्चों के भोजन में पहले की तुलना में दस प्रतिशत कम खाने के तेल का इस्तेमाल होगा।

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    मौजूदा समय में पीएम पोषण योजना के तहत स्कूली बच्चों को दिए जाने वाले भोजन में प्रति बच्चा प्राइमरी स्तर पर पांच ग्राम और अपर प्राइमरी स्तर पर साढ़े सात ग्राम खाने के तेल के इस्तेमाल का तय मानक है। इस योजना के तहत देश के 11.20 लाख स्कूलों के 11.80 करोड़ बच्चों को हर दिन दोपहर का ताजा भोजन मुहैया कराया जाता है।

    प्रधानमंत्री ने मोटापे पर जताई थी चिंता 

    पीएम मोदी ने हाल में मन की बात में बढ़ते मोटापे को लेकर गहरी चिंता जताई थी व सुझाव दिया था कि हम खाने में दिन प्रतिदिन तेल के इस्तेमाल में दस प्रतिशत की कमी करके इससे बच सकते है।

    पीएम के इस सुझाव के बाद शिक्षा मंत्रालय ने स्कूलों को इससे निपटने को लेकर एक विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए है। जिसमें तेल के कम इस्तेमाल को लेकर जागरूकता अभियान चलाने, अभिभावकों के साथ बैठक करने, स्कूलों में इसे लेकर स्वस्थ खाने की प्रतिस्पर्धा आयोजित करने के निर्देश दिए गए है।

    शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा सचिव संजय कुमार ने सभी राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव व सचिव (शिक्षा) के साथ केंद्रीय विद्यालय व नवोदय विद्यालयों के आयुक्तों को लिखे पत्र में स्कूलों में तेल की मात्रा का घटाने को लेकर तुरंत जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए है।

    उन्होंने पत्र में स्वास्थ्य को लेकर जारी लैंसेट की रिपोर्ट का भी हवाला दिया है, जिसमें 2022 में देश में 5 से 19 वर्ष की आयु वर्ग के 12.5 मिलियन बच्चे मोटापे की समस्या से ग्रसित पाए गए है, जबकि 1990 में इनकी संख्या सिर्फ 0.4 मिलियन ही थी।

    यह भी कदम उठाने के दिए सुझाव

    स्कूलों में तैनात रसोईये को कम तेल वाले भोजन तैयार करने के लिए प्रशिक्षण दिलाया जाए। 

    स्कूलों में बच्चों के बीच से ही स्वास्थ्य दूत तैनात किए जाए। 

    स्कूलों में गृह विज्ञान कालेजों की मदद से कम तेल वाले भोजन बनाने, कुकिंग कक्षाएं आयोजित करने जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाए। 

    बच्चों को योग व व्यायाम जैसी गतिविधियों से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।

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