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    बम बनाने के लिए कुख्यात नक्सली वासुदेव ने किया सरेंडर, चंद्रबाबू नायडू पर हुए हमले में था शामिल

    Updated: Fri, 17 Oct 2025 06:39 PM (IST)

    बम बनाने में माहिर एक कुख्यात नक्सली वासुदेव ने आत्मसमर्पण कर दिया है। वासुदेव पर चंद्रबाबू नायडू पर हुए हमले में शामिल होने का आरोप है। पुलिस उससे पूछताछ कर रही है और उसके आत्मसमर्पण से नक्सली गतिविधियों पर प्रभाव पड़ने की संभावना है। पुलिस को उससे महत्वपूर्ण जानकारी मिलने की उम्मीद है, जिससे नक्सली नेटवर्क को कमजोर किया जा सकेगा।

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    नक्सलियों ने किया सरेंडर।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ में नक्सल मुक्त अभियान के तहत 208 नक्सलियों ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के सामने औपचारिक रूप से आत्मसमर्पण कर दिया।

    इन नक्सलियों में बम बनाने वाले के रूप में कु्ख्यात 59 साल के तक्कलापल्ली वासुदेव राव उर्फ रूपेश के भी शामिल है, जो बार छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ इलाके से अपनी गतिविधियां चला रहा था। उसके साथ आत्मसमर्पण करने वालों में दंडकारण्य स्पेशल जोन कमेटी की माड़ संभाग प्रभारी रनिता भी शामिल थीं।

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    तेलंगाना का रहने वाला है वासुदेव राव

    तेलंगाना के मुगुलु निवासी रूपेश ने 2 दिसंबर, 2000 को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू पर हुए हमले की साजिश रची थी। माना जाता है कि वह 1999 में तत्कालीन आंध्र प्रदेश के गृह मंत्री ए. माधव रेड्डी और युवा आईपीएस अधिकारी उमेश चंद्रा की हत्याओं में भी शामिल था।

    इंडियन एक्सप्रेस ने छत्तीसगढ़ पुलिस सूत्रों ने बताया कि रूपेश को प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) की केंद्रीय समिति में पदोन्नत किया गया है, लेकिन खुफिया सूत्रों के अनुसार, उन्होंने अभी तक यह पद ग्रहण नहीं किया है। एक खुफिया सूत्र ने कहा, "वह केंद्रीय समिति की किसी भी बैठक में शामिल होने से पहले ही आत्मसमर्पण कर रहे हैं।"

    भूपति के आत्मसमर्पण के बाद रूपेश ने किया सरेंडर

    यह घटना मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ सोनू उर्फ अभय उर्फ भूपति के आत्मसमर्पण के ठीक दो दिन बाद हुई है, जो भाकपा (माओवादी) के पोलित ब्यूरो के सदस्य थे और पार्टी के वैचारिक प्रमुख के रूप में जाने जाते थे। आत्मसमर्पण से पहले, सोनू ने अधिकारियों को एक पत्र लिखकर प्रस्ताव दिया था कि माओवादी "पार्टी को बचाने" के लिए "सशस्त्र संघर्ष" छोड़ सकते हैं, और कहा था कि रूपेश उनके साथ हैं।

    तेलंगाना के खुफिया सूत्रों के अनुसार, रूपेश सोनू का समर्थक था। तेलंगाना के एक खुफिया अधिकारी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "यह कहने के लिए पर्याप्त जानकारी है कि हथियार छोड़ने का फैसला करने से पहले वे एक-दूसरे के संपर्क में थे।"

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