कम हो रही NOTA की लोकप्रियता, 2024 के चुनाव में मिले सबसे कम वोट; जानिए क्यों पड़ी थी इसकी जरूरत
2013 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग ने ईवीएम पर नोटा बटन को अंतिम विकल्प के रूप में जोड़ा था। लेकिन समय के साथ इसकी लोकप्रियता गिरती जा रही है। 2024 के लोकसभा चुनाव में इसे अब तक का सबसे कम वोट शेयर मिला है। 2014 में नोटा को 1.08 प्रतिशत वोट मिले थे जो 2024 में घट कर महज 0.99 प्रतिशत रह गए।

जेएनएन, नई दिल्ली। इनमें से कोई नहीं (नोटा) विकल्प को 2024 लोकसभा चुनाव में उसकी शुरुआत के बाद से सबसे कम वोट मिले हैं। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार पिछले तीन लोकसभा चुनावों में नोटा के वोट में लगातार गिरावट आई है।
2014 में नोटा को 1.08 प्रतिशत वोट मिले थे, जो 2024 में घट कर 0.99 प्रतिशत रह गए। लोकसभा चुनाव में नोटा विकल्प पहली बार 2014 में लागू किया गया था। बिहार में नोटा को मिले सबसे ज्यादा वोट मिले।
कम हो रहा नोटा का इस्तेमाल
- बिहार में नोटा को 2.07 प्रतिशत, दादर एंव नगर हवेली में 2.06 प्रतिशत, दमन एवं दीव में 2.06 प्रतिशत, गुजरात में 1.58 प्रतिशत और 0.21 प्रतिशत नगालैंड में नोटा को मिले हैं।
- नोटा को मिले वोट में अंतर बताता है कि अलग-अलग राज्यों में मतदाताओं ने चुनाव प्रक्रिया में अलग तरह से अपनी पसंद व्यक्त की है। या तो मतदाताओं ने सक्रिय तौर पर चुनाव में भागीदारी करते हुए अपनी पसंद के उम्मीदवार को वोट दिया है या विरोध या असंतोष जताने के लिए नोटा का इस्तेमाल किया है।
- 2013 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग ने ईवीएम पर नोटा बटन को अंतिम विकल्प के रूप में जोड़ा था। इससे पहले, जो लोग किसी भी उम्मीदवार को वोट नहीं देना चाहते थे, उन्हें फॉर्म 49-ओ भरना पड़ता था, लेकिन इससे मतदाता की गोपनीयता पर सवाल उठते थे।
ईवीएम पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने कुछ दिन पहले ईवीएम की बर्न्ट मेमोरी और माइक्रोकंट्रोलर के वेरीफिकेशन की प्रक्रिया पर सवाल उठाने के मामले में सुनवाई की थी। पीठ ने कहा था कि वह सिर्फ इतना जानना चाहते हैं कि ईवीएम की मेमोरी आदि की जांच के बारे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद चुनाव आयोग प्रमाणीकरण के लिए क्या प्रक्रिया अपनाता है।
बता दें कि भारत की ईवीएम अन्य देशों की वोटिंग मशीन की तुलना में काफी सुरक्षित होती है। उसकी एक वजह इसमें बर्न्ट मेमोरी का होना है। बर्न्ट मेमोरी का मतलब प्रोग्रामिंग चरण पूरा होने के बाद मेमोरी को स्थायी रूप से लॉक कर देना होता है। इससे उसमें किसी भी तरह की छेड़छाड़ की गुंजाइश नहीं रह जाती है।
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