Delhi Chunav Result: दिल्ली की 70 सीटों पर 446 उम्मीदवारों पर भारी पड़ा NOTA, जानिए कैसा रहा AIMIM और बसपा का हाल?
शनिवार को आए Delhi Vidhan Sabha Chunav के नतीजे चौंकाने वाले रहे। भारतीय जनता पार्टी ने 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी की है। भाजपा को 48 विधानसभा सीटों और आम आदमी पार्टी को 22 सीटों पर जीत मिली है। वहीं कांग्रेस का खाता इस बार भी नहीं खुला। इस चुनाव में दिल्ली की 70 सीटों पर 446 उम्मीदवारों पर NOTA भारी पड़ा है।

लोकेश शर्मा, नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली के मतदाता नोटा का बटन दबाने में पीछे नहीं रहे। 70 विधानसभाओं पर 699 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे थे। इनमें से 446 उम्मीदवार ऐसे थे, जिन्हें मतदाताओं ने नोटा से भी कम वोट दिए।
यही नहीं दो सीटें ऐसी थीं, जिनमें जीत और हार के अंतर से नोटा को अधिक वोट मिले। अगर यह वोट शिफ्ट हो जाते, तो हार और जीत का फैसला अलग हो सकता था।
कैसा रहा AIMIM और बसपा का हाल?
70 विधानसभा सीटों में नोटा को 51,917 वोट मिले। भाजपा, आप और कांग्रेस और दो सीट पर चुनाव लड़ रही एआईएमआईएम ही ऐसी पार्टियां रहीं, जिन्हें लोगों ने नोटा से अधिक वोट दिए।
कुछ निर्दलीय उम्मीदवार और बहुजन समाज पाटी (बसपा) करीब 10 सीटों पर नोटा से अधिक वोट लाने में कामयाब रही है। संगम विहार और त्रिलोकपुरी सीटें ऐसी रहीं, जिन पर नोटा ने जीत-हार का गणित बदलने में भूमिका निभाई।
किन सीटों पर नोटा से हारे प्रत्याशी?
संगम विहार में भाजपा प्रत्याशी 344 वोटों से चुनाव जीत सके। आप दूसरे नंबर पर रही। यहां नोटा को 537 वोट मिले। इनमें से कुछ वोट इधर-उधर होते तो परिणाम बदल सकते थे। त्रिलोकपुरी में भाजपा विजयी रही और यहां जीत का अंतर 392 रहा। यहां नोटा को 683 वोट मिले। यहां भी गणित बदल सकता था।
बुराड़ी सीट पर भाजपा का उम्मीदवार न होने का असर दिखाई दिया। यहां भाजपा के समर्थन से जदयू चुनाव में थी। बुराड़ी सीट पर नोटा को सर्वाधिक 2548 वोट डाले गए।
70 सीटों में 39 सीटें ऐसी रहीं, जहां भाजप, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस को छोड़कर कोई भी पार्टी या उम्मीदवार नोटा से अधिक वोट हासिल नहीं कर सका। नई दिल्ली सीट पर 23 प्रत्याशी मैदान में थे। इनमें से 20 को नोटा से भी कम वोट मिले। इसी तरह नजफगढ़ में नौ प्रत्याशी मैदान में थे, छह को नोटा से कम मिले।
एक्जिट पोल के अनुमान नतीजों में बदले
लोकसभा चुनाव के साथ हरियाणा में कई एजेंसियों के एक्जिट पोल गलत साबित हुए थे। इसके बाद से एक्जिट पोल की साख खतरे में थी। लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों ने कई एजेंसियों के पोल की साख बचा ली।
दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर करीब 15 एजेंसियों ने एक्जिट पोल किए थे। इनमें से चार में आम आदमी पार्टी की सरकार का अनुमान जताया था। जबकि 11 ने भाजपा की सरकार बनने का पूर्वानुमान दिया था।
इन 11 एजेंसियों के पोल सही साबित हुए। इनमें भी एक्सिस -माय इंडिया, टुडे चाणक्य, सीएनएक्स, पोल डायरी के आंकड़े सटीक साबित हुए। कई एजेंसियों के अनुमान नतीजों के आसपास रहे।
इन पोल में अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री के रूप में पहली पसंद बताया गया था। करीब 33 प्रतिशत लोग उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते थे। लेकिन अरविंद केजरीवाल अपनी ही सीट से चुनाव हार गए।
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