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उज्जैन के महाकाल मंदिर में शीघ्र दर्शन करना हुआ अब और आसान, जानें कैसे

अधिकांश दर्शनार्थी मंदिर में आईडी लेकर नहीं आते हैं। कर्मचारी बिना आईडी टिकट खरीदने वाले दर्शनार्थियों को लौटा रहे थे। ऐसे में मंदिर की आय भी प्रभावित हो रही थी।

By Srishti VermaEdited By: Published: Thu, 11 Jan 2018 08:44 AM (IST)Updated: Thu, 11 Jan 2018 10:12 AM (IST)
उज्जैन के महाकाल मंदिर में शीघ्र दर्शन करना हुआ अब और आसान, जानें कैसे

उज्जैन (नईदुनिया प्रतिनिधि)। ज्योतिर्लिग महाकाल मंदिर में 250 रुपए के शीघ्र दर्शन टिकट खरीदने के लिए अब आईडी कार्ड (परिचय पत्र) अनिवार्य नहीं है। देश-विदेश से आने वाले दर्शनार्थी बिना किसी परेशानी के टिकट खरीद सकते हैं। दर्शनार्थियों की परेशानी को देखते हुए नियम को शिथिल कर दिया गया है। पूर्व प्रशासक प्रदीप सोनी ने सुरक्षा की दृष्टि से 250 रुपए के शीघ्र दर्शन टिकट खरीदने वाले दर्शनार्थियों के लिए आईडी अनिवार्य कर दिया था।

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काउंटर कर्मचारी को टिकट पर दर्शनार्थी का आईडी नंबर, मोबाइल और नाम-पता लिखने के निर्देश दिए गए थे। इस व्यवस्था से टिकट विक्रय में काफी परेशानी आ रही थी। अधिकांश दर्शनार्थी मंदिर में आईडी लेकर नहीं आते हैं। कर्मचारी बिना आईडी टिकट खरीदने वाले दर्शनार्थियों को लौटा रहे थे। ऐसे में मंदिर की आय भी प्रभावित हो रही थी।

मंदिर की पूजन परंपरा से जुड़े लोगों ने अधिकारियों को बताया कि आम दर्शनार्थियों से आईडी नहीं मांगा जाता है, फिर शीघ्र दर्शन टिकट खरीदने वाले भक्तों को बाध्य क्यों किया जा रहा है। व्यावहारिक परेशानी को समझते हुए अधिकारियों ने नियम को शिथिल कर दिया। अब केवल भस्मारती में आईडी देना अनिवार्य है।

नए साल में बनाए गए थे दर्शन के नियम

महाकाल मंदिर में नए साल के पहले दिन दर्शन व्यवस्था के नियम धरे रहे गए। सोमवार को गर्भगृह और नंदीहाल में प्रवेश प्रतिबंधित था। मगर कुछ पंडे-पुजारियों और अफसरों के परिचित "खास" श्रद्धालुओं ने सारे नियम तोड़ते हुए नंदीहॉल की जंजीर लांघकर गर्भगृह में प्रवेश कर लिया। यह देख आम श्रद्धालु मन मसोसकर रह गए थे।

साल के पहले ही दिन व्यवस्थाएं बनाए रखने में प्रबंध समिति लाचार नजर आई। सोमवार को 1.30 हजार श्रद्धालु ने राजाधिराज के दर्शन किए। इससे पहले सुबह भस्मारती के समय भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंचे। हरिओम का जल चढ़ाने के लिए लगी कतार में धक्का-मुक्की की स्थिति भी बनी।

..और कुत्ता भी पहुंच गया भीतर

मंदिर में बदइंतजामी का आलम यह था कि एक महिला श्रद्घालु संध्या आरती में कुत्ता लेकर परिसर में प्रवेश कर गई। महिला पूरी आरती के समय गणेश मंडपम्‌ में बैठी रही, मगर सुरक्षाकर्मियों व मंदिर कर्मचारियों ने इस ओर ध्यान देना मुनासिब नहीं समझा।
 

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