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    अब कोई भी बच्चा नहीं छोड़ पाएगा बारहवीं से पहले पढ़ाई, सरकार करेगी ट्रैक

    By ARVIND PANDEYEdited By: Garima Singh
    Updated: Wed, 24 Dec 2025 09:42 PM (IST)

    शिक्षा मंत्रालय ने स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के लिए बारहवीं से पहले पढ़ाई छोड़ना मुश्किल करने की तैयारी की है। मंत्रालय जल्द ही एक मुहिम शुरू करेगा, ...और पढ़ें

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    दसवीं और बारहवीं के फेल छात्रों पर विशेष ध्यान

    अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। स्कूलों में पढ़ रहे किसी भी बच्चे के लिए अब बारहवीं से पहले पढ़ाई छोड़ना आसान नहीं होगा। शिक्षा मंत्रालय ने ऐसे बच्चों को ट्रैक करने और उन्हें स्कूलों से जोड़ने के लिए मिशन मोड़ में जल्द ही एक बड़ी मुहिम शुरू करने जा रही है।

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    फिलहाल इसकी शुरूआत दसवीं व बारहवीं में हर साल फेल होने लाखों बच्चों को ट्रैक कर उन्हें कैसे भी करके स्कूली शिक्षा से फिर से जोड़ने से होगी। जिसमें इन बच्चों को राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी संस्थान (एनआइओएस) या राज्यों के मुक्त विद्यालयों के जरिए पढ़ाई पूरी कराई जाएगी।

    वर्ष 2024 में देश भर के दसवीं व बारहवीं में 50 लाख से अधिक बच्चे फेल हो गए थे। शिक्षा मंत्रालय की फेल होने वाले या पढ़ाई बीच में छोड़ने वाले छात्रों को वापस पढ़ाई से जोड़ने के लिए जो योजना बनाई है, उनमें ऐसे सभी छात्रों की सूची NIOS या राज्यों के मुक्त विद्यालयों के साथ साझा की जाएगी।जो इन बच्चों से संपर्क करेंगे और उन्हें फिर से पढ़ाई शुरू करने के लिए प्रेरित करेंगे।

    इतना ही नहीं, यदि कोई बच्चा खराब आर्थिक स्थिति के चलते आगे की पढ़ाई करने में असमर्थता जताता है ,तो उसे समग्र शिक्षा के जरिए राज्यों को उनकी फीस चुकाने और निशुल्क किताबें आदि मुहैया कराने के लिए भी प्रेरित किया जाएगा।

    इसके साथ ही मंत्रालय ने प्रत्येक ब्लाक में खोले गए पीएम-श्री स्कूलों के परिसर में एनआइओएस का एक केंद्र भी खोलने की योजना पर काम कर रहा है, ताकि स्थानीय स्तर पर ही ऐसे बच्चों की ट्रैक कर उन्हें दाखिला दिया जा सके।

    मंत्रालय ने यह पहल तब शुरू की है, जब दसवीं व बारहवीं में फेल होने के बाद अधिकांश बच्चे पढ़ाई छोड़ दे रहे है। सूत्रों की मानें तो इसकी पीछे एक बड़ा कारण आर्थिक परेशानियां भी होती है। ऐसे में वह पढ़ाई के लिए नए सिरे से फीस व किताबों की बंदोबस्त नहीं कर पाते है। यही वजह है कि उन्हें ऐसे बच्चों की फीस चुकाने जैसी व्यवस्था पर भी काम किया जा रहा है।

    वहीं अधिकांश बच्चे इसलिए भी पढ़ाई छोड़ देते है कि उनकी काउंस¨लग नही हो पाती है। नई व्यवस्था में ऐसे प्रत्येक बच्चे तक पहुंचने की योजना बनाई गई है। गौरतलब है कि यह पहल तब शुरू की गई है, जब मौजूदा समय में देश में दसवीं तक पढ़ाई करने वाले बच्चों का सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) जहां 78 प्रतिशत है, वहीं बारहवीं तक के बच्चों का जीईआर 58 प्रतिशत है।