सरकारी अस्पतालों के कंसल्टेंट बन सकेंगे प्रोफेसर, NMC ने नियमों में किया बदलाव; इन लोगों को भी होगा फायदा
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने मेडिकल शिक्षकों के लिए नियमों में ढील दी है जिससे संकाय सदस्यों की संख्या बढ़ेगी। सरकारी अस्पतालों में अनुभवी गैर-शिक्षण विशेषज्ञ एसोसिएट प्रोफेसर बन सकते हैं। पीजी मेडिकल डिग्री धारक बिना सीनियर रेजिडेंसी के सहायक प्रोफेसर बन सकते हैं। 220 बिस्तरों वाले गैर-शिक्षण सरकारी अस्पताल शिक्षण संस्थान बन सकेंगे।

पीटीआई, नई दिल्ली। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने मेडिकल शिक्षकों के लिए नियमों में दी ढील दी है। नए नियमों के अनुसार, सरकारी अस्पतालों में 10 वर्ष का अनुभव रखने वाले गैर-शिक्षण विशेषज्ञों या कंसल्टेंट को अब एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया जा सकता है।
दो वर्ष का अनुभव रखने वाले विशेषज्ञ अनिवार्य 'सीनियर रेजिडेंसी' के बिना सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्य कर सकते हैं। इस फैसले का उद्देश्य पात्र संकाय सदस्यों (शिक्षकों) की संख्या बढ़ाना है। नए नियमों में यह प्रविधान भी है कि 220 से अधिक बिस्तरों वाले गैर-शिक्षण सरकारी अस्पतालों को अब शिक्षण संस्थान के रूप में नामित किया जा सकेगा।
क्या है नया नियम?
हाल ही में अधिसूचित चिकित्सा संस्थान (संकाय की योग्यता) विनियम, 2025 में कहा गया है, कम से कम 220 बिस्तरों वाले सरकारी अस्पताल में न्यूनतम दो वर्ष के अनुभव के साथ पीजी मेडिकल डिग्री रखने वाला गैर-शिक्षण कंसल्टेंट या चिकित्सा अधिकारी सीनियर रेजिडेंट के रूप में अनुभव की आवश्यकता के बिना सहायक प्रोफेसर बनने के लिए पात्र होगा। उसे नियुक्ति के दो वर्ष में जैव चिकित्सा अनुसंधान में बुनियादी पाठ्यक्रम पूरा करना होगा।
नये नियमों का क्या है उद्देश्य?
एनएमसी के तहत पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड (पीजीएमईबी) द्वारा लाए गए इन नियमों का उद्देश्य पात्र संकाय सदस्यों की संख्या बढ़ाना और देश में मेडिकल कॉलेजों में स्नातक (एमबीबीएस) और स्नातकोत्तर (एमडी/एमएस) सीटों के विस्तार की सुविधा प्रदान करना है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने अगले पांच वर्षों में 75 हजार नयी मेडिकल सीटें सृजित करने की घोषणा की है। हालांकि, एक महत्वपूर्ण बाधा चिकित्सा पाठ्यक्रमों को शुरू करने या विस्तार करने के लिए आवश्यक योग्य संकाय की उपलब्धता रही है। नए नियम मौजूदा मानव संसाधन क्षमता बढ़ाने और चिकित्सा शिक्षा के बुनियादी ढांचे को अनुकूलित करने की दिशा में बड़ा कदम है।
दो संकाय सदस्यों और दो सीटों के साथ शुरू किए जा सकते हैं पीजी पाठ्यक्रम
पीजी पाठ्यक्रम अब दो संकाय सदस्यों और दो सीटों के साथ शुरू किए जा सकते हैं, जबकि पहले तीन संकाय और एक वरिष्ठ रेजिडेंट की आवश्यकता थी। मान्यता प्राप्त सरकारी चिकित्सा संस्थानों में तीन वर्ष का शिक्षण अनुभव रखने वाले वरिष्ठ कंसल्टेंट प्रोफेसर के पद के लिए पात्र हैं।
सरकारी चिकित्सा संस्थान के संबंधित विभागों में विशेषज्ञ या चिकित्सा अधिकारी के रूप में कार्यरत डिप्लोमा धारक, जिनके पास छह वर्ष का अनुभव है, सहायक प्रोफेसर के पद के लिए पात्र होंगे।नए नियमों में कहा गया है कि एनएमसी या किसी विश्वविद्यालय या राज्य चिकित्सा परिषद या चिकित्सा शिक्षा विभाग या चिकित्सा अनुसंधान से संबंधित सरकारी संगठन में संकाय सदस्य द्वारा सेवा किए गए पांच वर्षों की अवधि को शिक्षण अनुभव के रूप में माना जाएगा।
एनएमसी या विश्वविद्यालय या राज्य चिकित्सा परिषद या चिकित्सा शिक्षा विभाग या चिकित्सा अनुसंधान से संबंधित सरकारी संगठन में किसी संकाय सदस्य द्वारा की गई अधिकतम पांच वर्ष की सेवा अवधि को शिक्षण अनुभव माना जाएगा। नए सरकारी चिकित्सा कालेजों को अब स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों को एक साथ शुरू करने की अनुमति दी गई है।
सीनियर रेजिडेंट के रूप में नियुक्ति के लिए आयु सीमा बढ़ाई
प्री-क्लीनिकल और पैरा-क्लीनिकल विषयों जैसे एनाटामी, फिजियोलाजी, बायोकेमिस्ट्री, फार्माकोलाजी, पैथोलाजी, माइक्रोबायोलाजी, फोरेंसिक मेडिसिन में सीनियर रेजिडेंट के रूप में नियुक्ति के लिए ऊपरी आयु सीमा बढ़ाकर 50 वर्ष कर दी गई है।
पोस्टग्रेजुएट योग्यताओं वाले उम्मीदवारों द्वारा ट्यूटर या डेमोंस्ट्रेटर के रूप में प्राप्त अनुभव को सहायक प्रोफेसर के रूप में पात्रता के लिए मान्य माना जाएगा। ये नए नियम गुणवत्ता चिकित्सा शिक्षा तक पहुंच का विस्तार करने, संस्थागत क्षमता मजबूत करने और देश की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने में मददगार होंगे।
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