यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को मिला जीवनदान, मौत की सजा रद; ग्रैंड मुफ्ती के ऑफिस का दावा
Nimisha Priya भारतीय नागरिक निमिषा प्रिया जो यमन में हत्या के मामले में मौत की सजा का सामना कर रही थीं उन्हें अब जीवनदान मिल गया है। अबूबकर मुसलियार और ऑल इंडिया जमीयतुल उलेमा के कार्यालय ने निमिषा प्रिया की मौत की सजा रद करने की घोषणा की है। हूती सरकार ने पहले ही उनकी सजा निलंबित कर दी थी।

एएनआई, सना। यमन में हत्या के एक मामले में मौत की सजा का सामना कर रही भारतीय नागरिक निमिषा प्रिया को जीवनदान मिल गया है। अबू बकर मुसलियार भारतीय ग्रैंड मुफ्ती और ऑल इंडिया जमीयतुल उलेमा के कार्यालय ने कहा कि निमिषा प्रिया की मौत की सजा को रद कर दिया गया है।
भारत सरकार की यह बड़ी कूटनीतिक जीत मानी जा रही है। इससे पहले यमन की हूती सरकार ने निमिषा की मौत की सजा को निलंबित किया था। सना में आयोजित एक उच्च-स्तरीय बैठक में पहले से अस्थायी रूप से निलंबित मौत की सजा को पूरी तरह से रद करने का फैसला किया गया।"
16 जुलाई को निमिषा प्रिया को सजा-ए-मौत दी जानी थी, लेकिन इसे टाल दिया गया। भारत सरकार ने तलाल अब्दो मेहदी के परिवार को ब्लड मनी की पेशकश की है, लेकिन परिवार इसके लिए तैयार नहीं था।
कौन हैं ग्रैंड मुफ्ती शेख अबू बकर अहमद ?
शेख अबू बकर अहमद उर्फ कंथापुरम एपी अबू बकर मुस्लियार इस्लामी शरिया कानून के बड़े जानकार हैं। भले ही यह खिताब सरकारी तौर पर नहीं मानी जाती है, लेकिन धार्मिक मुद्दे पर उनके ज्ञान का कोई सानी नहीं है। वह भारत में सुन्नी समुदाय के बड़े चेहरों में से एक हैं और 10वें ग्रैंड मुफ्ती के तौर पर जाने जाते हैं।
केरल की निमिषा प्रिया कैसे पहुंची यमन?
इस कहानी की शुरुआत होती है साल 2008 से, जब निमिषा 18 साल की थी। निमिषा की मां दूसरे के घरों में काम करती थी। मां-बेटी का जीवन संघर्षों से भरा हुआ था। किसी तरह निमिषा ने नर्सिंग का कोर्स किया था। हालांकि, केरल में उसे नर्सिंग की नौकरी नहीं मिली।
इसके बाद निमिषा को पता चला कि यमन में नर्सिंग के अच्छे अवसर हैं। 19 वर्ष की निमिषा अच्छे भविष्य के लिए यमन जाने के लिए तैयार हो गई। उस समय यमन में शांति थी। यमन में निमिषा को सरकारी अस्पताल में नौकरी भी मिल गई।
टॉमी थॉमस से कोच्चि में रचाई थी शादी
निमिषा की जिंदगी में सब कुछ अच्छा चल रहा था। उसने केरल आकर ऑटो चलाने वाले टॉमी थॉमस से शादी भी रचा ली। शादी के बात पति के साथ वो यमन लौट गईं। थॉमस ने भी यमन में नौकरी ढूंढ ली। फिर साल 2012 में निमिषा ने एक बेटी को जन्म दिया।
हालांकि, यमन में बेटी का देखभाल करना दंपति के लिए कठिन था। इसलिए थॉमस ने फैसला किया कि वो अपनी बेटी के साथ कोच्चि लौट जाएगा। 2014 में थॉमस अपनी बेटी के साथ कोच्च लौट गया। वहीं, दूसरी यमन में गृहयुद्ध की स्थिति बन गई।
यमन में क्लिनिक खोलने का किया फैसला
यमन में निमिषा ने खुद का क्लीनिक खोलनी की सोची, लेकिन वहां के कानून के मुताबिक, अगर किसी विदेशी को यमन में अपना बिजनेस खोलना है तो उसे स्थानीय व्यक्ति के साथ पार्टनरशिप करनी होती है।
जब निमिषा, नर्स का काम कर रही थी तो उसकी मुलाकात तलाल अब्दो महदी नामक शख्स से हुई। वह यमन का नागरिक था। निमिषा ने क्लिनिक खोलने की बात महदी को बताई। महदी पार्टनर बनने के लिए तैयार हो गया। साल 2015 में दोनों ने क्लिनिक की शुरुआत की।
महदी ने निमिषा के साथ किया अत्याचार
इसके बाद निमिषा एक महीने के लिए केरल लौट आई। निमिषा को लेकर महदी के मन में कुछ और खिचड़ी पक रही थी। महदी ने निमिषा की शादी की तस्वीरें चुरा ली। इसके बाद उसने कई लोगों को कहा कि निमिषा और उसकी शादी हुई है।
इतना ही नहीं महदी ने क्लिनिक की कमाई भी रखनी शुरू दी। महदी ने क्लिनिक को अपना बताना शुरू कर दिया। वो निमिषा और उसके परिवार को भी प्रताड़ित करने लगा। उसने निमिषा का पासपोर्ट भी रख लिया था, ताकि निमिषा भारत न जा सके।
जब निमिषा ने वहां की पुलिस से मदद मांगी तो उल्टा निमिषा को ही हिरासत में ले लिया गया। निमिषा पूरी तरह टूट चुकी थी। साल 2017 में निमिषा ने ये सारी बात अपनी क्लिनिक के पास रहने वाली जेल की वार्डन को बताया। वार्डन ने निमिषा को यह सलाह दिया कि वो महदी को ड्रग देकर बेहोश कर दे। इसके बाद वो अपना पासपोर्ट हासिल करे और भारत चली जाए।
इसके बाद निमिषा ने महदी को ड्रग की दवाई दी, लेकिन महदी इतना ड्रग लेता था कि पहली बार तो उसे कुछ हुआ ही नहीं। हालांकि दूसरी बार जब निमिषा ने महदी को ड्रग दिया तो डोज काफी ज्यादा हाई था। परिणाम यह हुआ कि महदी की बेहोशी में मौत हो गई।
निमिषा ने महदी के शव का टुकड़े कर एक टैंक में डाल दिया। इसके बाद वो वहां से फरार हो गई। पुलिस ने निमिषा की तलाश शुरू कर दी। एक महीने बाद निमिषा सऊद अरब की सीमा के नजदीक यमन से गिरफ्तार की गई। साल 2024 में उसे फांसी की सजा दी गई।
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