Nimisha Priya: फांसी, गोली या पत्थर... यमन में भारतीय नर्स को कैसे दी जाएगी सजा-ए-मौत? जानकर कांप जाएगी रूह
Nimisha Priya केरल की निमिषा प्रिया को यमन में 16 जुलाई को फांसी दी जाएगी क्योंकि उन्हें एक नागरिक की हत्या का दोषी पाया गया है। निमिषा को बचाने के प्रयास जारी हैं और सुप्रीम कोर्ट में उनकी सजा के खिलाफ याचिका पर सुनवाई होगी। यमन में फांसी देने का तरीका गोली मारना है जिसमें दोषी के शरीर को कंबल में लपेटकर जल्लाद पीठ पर गोलियां चलाता है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केरल की रहने वाली निमिषा प्रिया (Nimisha Priya) को यमन में 16 जुलाई को मौत की सजा दी जाएगी। निमिषा पर यमन के नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या का आरोप है। निमिषा को बचाने के लिए भारत सरकार तमाम कोशिशें कर रही है। सुप्रीम कोर्ट में 14 जुलाई को निमिषा की सजा के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुनवाई होगी।
मौजूदा वक्त में यमन गृहयुद्ध की चपेट में है। वहां, हूती विद्रोहियों और यमन की सरकार के बीच संघर्ष चल रहा है। हालांकि,हूती विद्रोही गुट, देश की बागडोर संभालते हैं। हूती विद्रोहियों के शीर्ष राजनीतिक परिषद ने ही निमिषा के फांसी की मंजूरी दी है।
सवाल है कि यमन में मौत की सजा कैसे दी जाती है? क्या वहां भी भारत की तरह फांसी के जरिए दोषी को मौत की सजा दी जाती है?
जवाब है नहीं। दरअसल, यमन में इस समय फांसी की सजा देने का एक ही तरीका है। दोषी को गोली मार देना।
इससे पहले यमन में फांसी देने की प्रक्रिया अलग-अलग थी। जैसे कि पत्थर मारकर दोषी की जान ले ली जाती थी। दोषी को सरेआम फांसी पर लटकाया जाता था या उसका सिर कलम कर दिया जाता था।
अगर 16 जुलाई को निमिषा को मौत की सजा दी जाती है तो उसकी जान भी गोली मारकर ली जाएगी।
अब यह भी जान लें कि दोषी को गोली कैसे मारी जाती है।
सबसे पहले दोषी के शरीर को कंबल में लपेट दिया जाता है। इसके बाद ऑटोमेटिक राइफल से दोषी की पीठ पर जल्लाद गोलियां चलाता है। पीठ पर कई राउंड फायर करके सजा को अंजाम देता है।
दोषी की पीठ पर यह निशान एक डॉक्टर लगाता है, जो यह बताता है कि इसी जगह पर दिल होता है और जल्लाद इसी वजह से वहीं फायरिंग करता है। गोली चलाते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि बुलेट रीढ़ की हड्डी को भेदते हुए उलके दिल पर लगे।
क्या है मौत की सजा का प्रोसेस?
यमन में मौत की सजा की सजा की पूरी प्रोसेस भी अब समझ लीजिए। यमन के मौत की सजा देने के लिए एक पूरी रूल बुक है। इस रूल बुक में अलग-अलग अनुच्छेद में समझाया गया है कि वहां दोषियों को किस प्रकार मौत की सजा दी जाती है।
इन आर्टिकल्स में किया गया है मौत की सजा का जिक्र
आर्टिकल 477
मौत की सजा के एलान के दोषी को हर समय पुलिस की निगरानी में रखा जाएगा। वहीं, पुलिस को गिरफ्त में ही रहेगा।
आर्टिकल 478
सुप्रीम कोर्ट द्वारा जब किसी व्यक्ति को मौत की सजा दी जाती है तो सजा की सारी लिखित जानकारी महा अभियोजक को भेजा जाएगा, ताकि देश के राष्ट्रपति को मौत की सजा की जानकारी दी जाए सके।
आर्टिकल 479
देश के राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही किसी व्यक्ति को मौत की सजा दी सकती है।
आर्टिकल 484
देश में गर्भवती महिला को तब तक सजा नहीं दी जा सकती है, जब तक वो बच्चे को जन्म न दे दें। बच्चे के जन्म के दो साल और जब तक बच्चे की देखभाल के लिए कोई दूसरा व्यक्ति न मिल जाए तब तक महिला को मौत की सजा नहीं दी जा सकती है।
आर्टिकल 485
दोषी को गोली मारकर मौत की सजा दी जाएगी। इसी आर्टिकल के तहत निमिषा को मौत की सजा दी जा सकती है।
आर्टिकल 487
अगर किसी व्यक्ति को पत्थर मारने की सजा दी जाती है तो उसे तब तक पत्थर मारा जाएगा। जब तक कि उसकी मृत्यु न हो जाए।
आर्टिकल 488
जिन व्यक्तियों को मृत्युदंड या पत्थर मारने की सजा सुनाई जाती है, उनके शव को दफनाने का खर्च सरकार वहन करेगी, बशर्ते कि उनके पास ऐसा करने का अनुरोध करने वाला कोई रिश्तेदार न हो; और यदि ऐसे रिश्तेदार ऐसा करने का अनुरोध करते हैं, तो उन्हें अपना अनुरोध पूरा करने की अनुमति दी जाएगी।
केरल की निमिषा प्रिया कैसे पहुंची यमन?
इस कहानी की शुरुआत होती है साल 2008 से, जब निमिषा 18 साल की थी। निमिषा की मां दूसरे के घरों में काम करती थी। मां-बेटी का जीवन संघर्षों से भरा हुआ था। किसी तरह निमिषा ने नर्सिंग का कोर्स किया था। हालांकि, केरल में उसे नर्सिंग की नौकरी नहीं मिली।
इसके बाद निमिषा को पता चला कि यमन में नर्सिंग के अच्छे अवसर हैं। 19 वर्ष की निमिषा अच्छे भविष्य के लिए यमन जाने के लिए तैयार हो गई। उस समय यमन में शांति थी। यमन में निमिषा को सरकारी अस्पताल में नौकरी भी मिल गई।
टॉमी थॉमस से कोच्चि में रचाई थी शादी
निमिषा की जिंदगी में सब कुछ अच्छा चल रहा था। उसने केरल आकर ऑटो चलाने वाले टॉमी थॉमस से शादी भी रचा ली। शादी के बात पति के साथ वो यमन लौट गईं। थॉमस ने भी यमन में नौकरी ढूंढ ली। फिर साल 2012 में निमिषा ने एक बेटी को जन्म दिया।
हालांकि, यमन में बेटी का देखभाल करना दंपति के लिए कठिन था। इसलिए थॉमस ने फैसला किया कि वो अपनी बेटी के साथ कोच्चि लौट जाएगा। 2014 में थॉमस अपनी बेटी के साथ कोच्च लौट गया। वहीं, दूसरी यमन में गृहयुद्ध की स्थिति बन गई।
यमन में क्लिनिक खोलने का किया फैसला
यमन में निमिषा ने खुद का क्लीनिक खोलनी की सोची, लेकिन वहां के कानून के मुताबिक, अगर किसी विदेशी को यमन में अपना बिजनेस खोलना है तो उसे स्थानीय व्यक्ति के साथ पार्टनरशिप करनी होती है।
जब निमिषा, नर्स का काम कर रही थी तो उसकी मुलाकात तलाल अब्दो महदी नामक शख्स से हुई। वह यमन का नागरिक था। निमिषा ने क्लिनिक खोलने की बात महदी को बताई। महदी पार्टनर बनने के लिए तैयार हो गया। साल 2015 में दोनों ने क्लिनिक की शुरुआत की।
महदी ने निमिषा के साथ किया अत्याचार
इसके बाद निमिषा एक महीने के लिए केरल लौट आई। निमिषा को लेकर महदी के मन में कुछ और खिचड़ी पक रही थी। महदी ने निमिषा की शादी की तस्वीरें चुरा ली। इसके बाद उसने कई लोगों को कहा कि निमिषा और उसकी शादी हुई है।
इतना ही नहीं महदी ने क्लिनिक की कमाई भी रखनी शुरू दी। महदी ने क्लिनिक को अपना बताना शुरू कर दिया। वो निमिषा और उसके परिवार को भी प्रताड़ित करने लगा। उसने निमिषा का पासपोर्ट भी रख लिया था, ताकि निमिषा भारत न जा सके।
जब निमिषा ने वहां की पुलिस से मदद मांगी तो उल्टा निमिषा को ही हिरासत में ले लिया गया। निमिषा पूरी तरह टूट चुकी थी। साल 2017 में निमिषा ने ये सारी बात अपनी क्लिनिक के पास रहने वाली जेल की वार्डन को बताया। वार्डन ने निमिषा को यह सलाह दिया कि वो महदी को ड्रग देकर बेहोश कर दे। इसके बाद वो अपना पासपोर्ट हासिल करे और भारत चली जाए।
इसके बाद निमिषा ने महदी को ड्रग की दवाई दी, लेकिन महदी इतना ड्रग लेता था कि पहली बार तो उसे कुछ हुआ ही नहीं। हालांकि दूसरी बार जब निमिषा ने महदी को ड्रग दिया तो डोज काफी ज्यादा हाई था। परिणाम यह हुआ कि महदी की बेहोशी में मौत हो गई।
निमिषा ने महदी के शव का टुकड़े कर एक टैंक में डाल दिया। इसके बाद वो वहां से फरार हो गई। पुलिस ने निमिषा की तलाश शुरू कर दी। एक महीने बाद निमिषा सऊद अरब की सीमा के नजदीक यमन से गिरफ्तार की गई। साल 2024 में उसे फांसी की सजा दी गई।
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