'मानवता को कलंकित करता है पहलगाम हमला', एनएचआरसी ने अपने न्यूजलेटर में पाक को किया बेनकाब
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने अपने न्यूजलेटर में कहा है कि पहलगाम हमला मानवता को कलंकित करता है। आयोग ने 22 अप्रैल के हमले में मारे गए लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त की जिसमें 26 लोग मारे गए थे। एनएचआरसी के महासचिव भरत लाल ने कहा कि इस हमले ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया था।

पीटीआई, नई दिल्ली। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने अपने 40 पन्नों के न्यूजलेटर 'ह्यूमन राइट्स' के नवीनतम संस्करण में कहा है कि पहलगाम (Pahalgam Terror Attack) में हुआ बर्बर हमला इस बात की याद दिलाता है कि आतंकवाद किस तरह मानवता को कलंकित कर रहा है। इसमें यह भी बताया गया है कि पिछले साल अप्रैल से इस वर्ष मार्च तक देशभर में मानवाधिकारों से जुड़े 58,753 मामले दर्ज किए गए।
एनएचआरसी ने उन परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है, जिन्होंने 22 अप्रैल के हमले में स्वजनों को खो दिया। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे जिनमें अधिकतर पर्यटक थे।
'आतंकवादी हमले के बाद दुनिया हिल गई'
न्यूजलेटर के मई के संस्करण में एनएचआरसी के महासचिव भरत लाल ने प्रारंभिक लेख में उस नृशंस आतंकवादी हमले को याद किया है, जिसने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया और जिसकी कई देशों और विभिन्न राष्ट्राध्यक्षों ने निंदा की। उन्होंने लिखा, ''22 अप्रैल को पहलगाम में जघन्य आतंकवादी हमले के बाद दुनिया हिल गई थी, जब धर्म पूछकर 26 निर्दोष पर्यटकों को बेरहमी से मार दिया गया था।''
लेख में उन्होंने कहा, 'यह बर्बर कृत्य इस बात की एक और भयावह याद दिलाता है कि आतंकवाद किस तरह मानवता को कलंकित कर रहा है। हमारी गहरी संवेदनाएं उन परिवारों के साथ हैं जिन्होंने अपने स्वजनों की अपूरणीय क्षति झेली है।'
लाल ने आगे लिखा है कि एनएचआरसी ने हमले की कड़ी निंदा की है और निर्णायक कार्रवाई का आग्रह किया है। अपराधियों के लिए जवाबदेही, त्वरित न्याय और पीड़ित परिवारों के लिए व्यापक सहायता की भी मांग की है।
मुर्शिदाबाद दंगों का भी जिक्र
इस न्यूजलेटर में वह बयान भी है जो आतंकवादी हमले के मद्देनजर एनएचआरसी ने जारी किया था। 25 अप्रैल के बयान में कहा गया है, "आतंकवाद को बढ़ावा देने, सहायता करने और वित्त-पोषण करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने और इस खतरे के लिए उन्हें जवाबदेह ठहराने का समय आ गया है।'' न्यूजलेटर के शुरुआती हिस्से में मुर्शिदाबाद दंगों का भी जिक्र है।
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