अब चुनाव बाद ही चलेगी अगली वंदे भारत एक्सप्रेस, 500 किमी तक के रूटों पर चलेगी अगली ट्रेनें
वंदे भारत के नए ट्रेन सेट्स कई मायनों में अलग व बेहतर होंगे। सीटों को ज्यादा पीछे की ओर झुकाना संभव होगा। इनमें खाना रखने की जगह भी ज्यादा होगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वंदे भारत एक्सप्रेस की अगली ट्रेन अब चुनाव बाद ही चल पाएगी। रेलवे बोर्ड की ओर से वंदे भारत के अगले सेट्स के उत्पादन के लिए निर्धारित योजना में अप्रैल में किसी सेट की निकासी का कोई प्रस्ताव नहीं है। इसके बजाय अगले सेट को जून में भेजे जाने का जिक्र है। इससे स्पष्ट है कि अगली वंदे भारत अब जून- जुलाई में ही चल पाएगी।
रेलमंत्री पीयूष गोयल ने फरवरी में ट्वीट कर कहा था कि अगली वंदे भारत जल्द ही बंगलूर से मंगलूर के बीच चलेगी। इस हिसाब से इसके मार्च के पहले हफ्ते में चलाए जाने के कयास लगाए गए थे, लेकिन उससे पहले ही चुनावों का एलान होने के कारण आचार संहिता लागू होने से वो योजना खटाई में पड़ गई।
चुनाव आयोग से अनुमति लेकर इस ट्रेन को कभी भी चलाया जा सकता है, लेकिन पहली वंदे भारत के समक्ष आई समस्याओं के मद्देनजर किसी नए रूट पर इस ट्रेन के संचालन को फिलहाल टालना ही उचित समझा गया है।
वंदे भारत का निर्माण चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आइसीएफ) में हो रहा है। जहां इसके कुल 45 सेट तैयार किए जाने की तैयारी है। एक सेट पहले ही बाहर आ चुका है। दूसरा सेट जून में आएगा। जबकि तीसरे सेट के अक्टूबर में फैक्ट्री से निकलने की संभावना है। इसके बाद हर महीने वंदे भारत का एक सेट बाहर निकलेगा।
वंदे भारत को मूलत: ट्रेन-18 के नाम डिजाइन किया गया था। इसे ये नाम 2018 के कारण दिया गया था। इसके बाद ट्रेन-19 नाम से इस वर्ष एक नए किस्म की ट्रेन का सेट लाने की योजना थी। लेकिन अब उस योजना को रद कर दिया गया है। उसके बजाय अब ट्रेन-18 के ही अधिक सेट तैयार किए जाएंगे।
वंदे भारत के लिए जिन अन्य रूटों की चर्चा है उनमें दिल्ली-चंडीगढ़, दिल्ली-जयपुर, दिल्ली-भोपाल के अलावा चेन्नई-मंगलूर और हैदराबाद-मंगलूर रूट शामिल हैं। रेलवे बोर्ड के एक अधिकारी के मुताबिक वंदे भारत के अगले रूट दिल्ली-वाराणसी रूट जितने लंबे नहीं होंगे, जिसकी लंबाई 700 किलोमीटर से अधिक है। इसके बजाय इस ट्रेन को अब 500 किलोमीटर या उससे कम दूरी वाले शताब्दी रूटों पर चलाया जाएगा। इसकी वजह ये है कि सामान्यतया यात्री छह घंटे से ज्यादा बैठकर सफर करना पसंद नहीं करते। जबकि दिल्ली-वाराणसी के सफर में आठ घंटे बैठना पड़ता है।
वंदे भारत के नए ट्रेन सेट्स मौजूदा ट्रेन के मुकाबले कई मायनों में अलग व बेहतर होंगे। मसलन, इनकी सीटों को शताब्दी की सीटों की भांति ज्यादा पीछे की ओर झुकाना संभव होगा। इनमें खाना रखने की जगह भी ज्यादा होगी। इसके अलावा इनके बाहरी ऑटोमैटिक दरवाजों के जाम होने की स्थिति में मैन्युअली खोलने के उपाय भी किए जा रहे हैं।