नई मुंबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे को मिला एयरोड्रम लाइसेंस, जल्द होगा उद्घाटन
नई मुंबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे को नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) द्वारा एयरोड्रम लाइसेंस मिल गया है। यह हवाई अड्डा रायगढ़ जिले के उल्वे में स्थित है जो मुंबई महानगर क्षेत्र का दूसरा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा होगा। एयरोड्रम लाइसेंस मिलने से एनएमआईए क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संपर्क बढ़ाने के लिए तैयार है।

राज्य ब्यूरो, मुंबई। अगले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नई मुंबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (एनएमआईए) के उद्घाटन से पहले, नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने नए बने हवाई अड्डे को एयरोड्रम लाइसेंस प्रदान कर दिया है।
रायगढ़ जिले के उल्वे में स्थित एनएमआईए, मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) में मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के बाद दूसरा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। कड़े सुरक्षा और विनियामक मानदंडों को पूरा करने के बाद प्रदान किया गया एयरोड्रम लाइसेंस परिचालन शुरू करने के लिए एक आवश्यक शर्त है।
क्या-क्या मिलेगा फायदा
यह उपलब्धि एनएमआईए के एक प्रवक्ता ने मंगलवार को बताया कि नए विमानतल के पूर्णतः परिचालन की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। अब एयरोड्रम लाइसेंस मिलने के साथ, एनएमआईए क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संपर्क बढ़ाने और नई मुंबई को शेष विश्व से जोड़ने वाले एक आधुनिक प्रवेश द्वार के और करीब पहुँच गया है। बता दें कि एयर इंडिया, इंडिगो और अकासा एयर ने पहले ही नए हवाई अड्डे से वाणिज्यिक परिचालन शुरू करने की योजना घोषित कर दी थी।
मुंबई महानगर क्षेत्र के लिए एक प्रमुख विमानन केंद्र के रूप में विकसित ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे का उद्घाटन आठ अक्टूबर को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किया जाएगा। विभिन्न चरणों में, एनएमआईए के विकास और हवाई अड्डे के निर्माण की देखरेख नवी मुंबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा लिमिटेड (एनएमआईएएल) द्वारा की जा रही है, जिसे अदानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स लिमिटेड और सिटी एंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ऑफ महाराष्ट्र लिमिटेड (सिडको) द्वारा एक विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) बनाकर विकसित किया गया है।
दोनों एयरपोर्ट के बीच होगी कनेक्टिविटी
यह विमानतल शुरू होने के बाद मुंबई स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय टर्मिनल (सीएसएमआईए) के अलावा मुंबईवासियों को दो अंतरराष्ट्रीय विमानतल मिल जाएंगे। इन दोनों विमानतलों के बीच की दूरी लगभग 40 किलोमीटर है। हालांकि दोनों के बीच कनेक्टिविटी संबंधी समस्याओं का समाधान किया जा रहा है।
इसके लिए मल्टीमॉडल परिवहन - सड़क, मेट्रो, उपनगरीय रेल और जल संपर्क द्वारा एक निर्बाध स्थानांतरण मॉडल स्थापित करने के प्रयास चल रहे हैं। ये दोनों विमानतल आपस में अच्छी कनेक्टिविटी से जुड़ जाने के बाद भारत का सबसे व्यस्त व्यापारिक शहर विश्व की प्रमुख राजधानियों के समान ही बुनियादी ढांचे के साथ काम करेगा।
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