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    पंचायतों में रोटेशनल आरक्षण के लिए नया मॉडल, महिलाओं के लिए भी है खास प्लान; जानिए क्या है सरकार की तैयारी

    Updated: Thu, 02 Jan 2025 10:00 PM (IST)

    देश में आरक्षण को लेकर बड़ी बहस देखने को मिली है। इस बीच केंद्र सरकार ने इस पर गंभीरता से चिंतन शुरू कर दिया है। ऐसी उम्मीद है कि पंचायतों में लागू आरक्षण प्रक्रिया को लेकर पंचायती राज मंत्रालय राज्यों में अध्ययन करेगा और इसकी रिपोर्ट पेश करेगा। माना जा रहा कि आरक्षण का अधिक लाभ दिलाने के लिए राज्यों को नया मॉडल सुझाया जा सकता है।

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    पंचायतों में रोटेशनल आरक्षण के लिए नया मॉडल

    जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली। देश की राजनीति में हॉटकेक बन चुके आरक्षण को लेकर केंद्र सरकार ने और गंभीर चिंतन शुरू कर दिया है। लोकतंत्र की पहली सीढ़ी कही जाने वाली पंचायतों में चक्रानुक्रम आरक्षण (रोटेशनल रिजर्वेशन) का कितना लाभ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और महिलाओं को मिल पा रहा है और किन राज्यों में व्यवस्था अधिक बेहतर है, इसका समग्र अध्ययन पंचायतीराज मंत्रालय कराने जा रहा है।

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    राज्यों को मिलेगा नया मॉडल

    माना जा रहा है कि सभी राज्यों के अध्ययन के आधार पर रिपोर्ट तैयार कर केंद्र सरकार इन वर्गों को धरातल पर आरक्षण का अधिक लाभ दिलाने के लिए राज्यों को नया मॉडल सुझा सकती है। 73वें संविधान संशोधन कानून- 1992 के माध्यम से पंचायती राज संस्थाओं में एससी, एसटी, ओबीसी और महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई है। पंचायतों में सीटों का चक्रानुक्रम आरक्षण देने की व्यवस्था तो सभी राज्यों में है, लेकिन चूंकि यह राज्य का विषय है, इसलिए इसमें अभी एकरूपता नहीं है।

    महिलाओं की हो अधिक भागीदारी

    कुछ राज्यों में एक ही कार्यकाल में सीट का आरक्षण बदल जाता है तो कहीं-कहीं दो कार्यकाल तक सीट सुरक्षित रखी जा रही है। पंचायतीराज मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कई कार्यक्रमों में आरक्षित सीटों से चुने गए पंचायत जनप्रतिनिधियों ने इस समस्या को उठाया कि उन्हें एक ही कार्यकाल मिल पाया। महिलाओं ने खास तौर से इस पर ध्यान आकृष्ट कराया कि वह पंचायत का कामकाज सीखती हैं और हिचक मिट ही रही होती है कि सीट का आरक्षण समाप्त होने के कारण अगली बार चुनाव लड़ने का मौका ही नहीं मिल पाता। ऐसे ही तमाम विषय सामने आने के बाद पंचायतीराज मंत्रालय ने देशभर में एक अध्ययन कराने का निर्णय किया है। एजेंसी के चयन के लिए निविदा की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है।

    जानिए मंत्रालय की मंशा

    मंत्रालय चाहता है कि इस अध्ययन में सभी राज्यों में लागू चक्रानुक्रम आरक्षण की व्यवस्था, राज्य के आरक्षण संबंधी नियम, उनकी व्यावहारिकता, उपयोगिता आदि का आकलन किया जाए। समान रूप से सभी राज्यों की तस्वीर स्पष्ट हो सके, इसलिए आशा की गई है कि हर राज्य से एक-एक जिला चुना जा सकता है। उस जिले की एक जिला पंचायत, एक ब्लाक पंचायत और एक ग्राम पंचायत में जाकर जनप्रतिनिधियों व अन्य संबंधितों से विस्तार से बात की जाए। किसी भी एजेंसी को यह काम मिलने के छह माह के अंदर विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर मंत्रालय को सौंपनी होगी।

    अध्ययन के बाद तस्वीर होगी साफ

    मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस रिपोर्ट के आधार पर सरकार क्या कदम उठाएगी? अभी यह कहना मुश्किल है। फिलहाल तो अध्ययन से पूरी तस्वीर साफ करने का प्रयास है कि चक्रानुक्रम आरक्षण का वंचित वर्गों के राजनीतिक उत्थान या क्षेत्र के विकास में कितना योगदान मिल पा रहा है। फिर समग्र रिपोर्ट तैयार करने के बाद संभव है कि सरकार सभी राज्यों में चक्रानुक्रम आरक्षण में एकरूपता के संदेश के साथ बेहतर माडल बनाकर राज्यों को उसे लागू करने का सुझाव दे।

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