AatmaNirbhar Bharat: वायुसेना, नौसेना को मिलेगी अस्त्र मिसाइल प्रणाली, दुश्मन देशों के लिए खतरे की घंटी
रक्षा मंत्रालय का बीडीएल से 2971 करोड़ का सौदा-सुखोई-30एमके-1 से पूरी तरह से जोड़ा गया हवा से हवा में मार करने में अस्त्र एमके-1 सक्षम यह स्वदेशी मिसाइल आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम का हिस्सा है। कई एमएसएमई (MSME) के लिए अवसर भी पैदा करेगी ये मिसाइल

नई दिल्ली, एएनआइ। रक्षा मंत्रालय ने अस्त्र एमके-1 मिसाइल प्रणाली हासिल करने के लिए 2,971 करोड़ रुपये का एक सौदा स्वीकृत किया है। इस मिसाइल को बनाने के उपकरण की आपूर्ति के लिए रक्षा मंत्रालय ने भारत डायनेमिक्स लिमिटेड(BDL)के साथ 31 मई, 2022 को एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए है।
अभी तक इस श्रेणी की मिसाइल को स्वदेशी रूप से बनाने की तकनीक उपलब्ध नहीं थी। अस्त्र एमके-आई बीवीआर एएम को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO)द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है।
रक्षा क्षेत्र में विदेशी स्रोतों पर निर्भरता होगी कम
विदेशी स्रोतों पर निर्भरता कम करते हुए बियॉन्ड विजुअल रेंज के साथ-साथ क्लोज कॉम्बैट एंगेजमेंट (Close Combat Engagement)के लिए भारतीय वायु सेना(IAF)द्वारा जारी की गई स्टाफ आवश्यकताओं पर आधारित है। बीवीआर क्षमता के साथ हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल अपने लड़ाकू विमानों को बड़ी स्टैंड ऑफ रेंज प्रदान करती है जो दुश्मन के वायु रक्षा उपायों के सामने खुद को उजागर किए बिना शत्रु दल के विमानों को बेअसर कर सकती है। इससे हवाई क्षेत्र में श्रेष्ठता प्राप्त होती है और यह बनी रहती है। यह मिसाइल तकनीकी और आर्थिक रूप से ऐसी कई आयातित मिसाइल प्रणालियों से बेहतर है।
डीआरडीओ द्वारा निर्मित
एस्ट्रा एमके-आई मिसाइल और इसके प्रक्षेपण, जमीनी तैयारी तथा परीक्षण के लिए सभी संबद्ध प्रणालियों को डीआरडीओ ने आईएएफ के समन्वय से विकसित किया है। यह मिसाइल, जिसके लिए आईएएफ द्वारा पहले ही सफल परीक्षण किए जा चुके हैं, पूरी तरह से Su 30 MK-I लड़ाकू विमान में एकीकृत है और हल्के लड़ाकू विमान (तेजस) सहित चरणबद्ध तरीके से अन्य लड़ाकू विमानों के साथ इसे जोड़ा जाएगा। जबकि भारतीय नौसेना (Indian Navy) MIG 29K लड़ाकू विमान में इस मिसाइल को जोड़ेगी।
भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) करेगा उत्पादन
एस्ट्रा एमके-आई मिसाइल और सभी संबद्ध प्रणालियों के उत्पादन के लिए डीआरडीओ(DRDO)से बीडीएल (BDL)को प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण पूरा कर लिया गया है। और बीडीएल में उत्पादन प्रगति पर है। यह परियोजना बीडीएल में बुनियादी ढांचे और परीक्षण सुविधाओं के विकास के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगी। यह एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी(aerospace technology)में कम से कम 25 वर्षों की अवधि के लिए कई एमएसएमई(MSME)के लिए अवसर भी पैदा करेगी। यह परियोजना अनिवार्य रूप से 'आत्मनिर्भर भारत' की भावना का प्रतीक है और हवा से हवा में मार करने वाले मिसाइल क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में देश की यात्रा को साकार करने में मदद करेगी।
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