Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अगले 3 साल तक नहीं खुलेंगे नए लॉ कॉलेज, बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने लगाई रोक

    Updated: Fri, 15 Aug 2025 11:00 PM (IST)

    बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने देश भर में नए लॉ कॉलेजों की स्थापना पर तीन साल के लिए रोक लगा दी है। यह फैसला कानूनी शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट को रोकने के लिए किया गया है। बीसीआई का मानना है कि घटिया संस्थानों की अनियंत्रित वृद्धि से शिक्षा का स्तर गिर रहा है।

    Hero Image
    अगले 3 साल तक नहीं खुलेंगे नए लॉ कॉलेज

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआइ) ने देश भर में नये लॉ कॉलेजों की स्थापना पर तीन वर्ष के लिए रोक लगा दी है। बार काउंसिल ने कानूनी शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों में गुणवत्ता में आ रही गिरावट को रोकने के लिए यह कदम उठाया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बार काउंसिल का मानना है कि कानूनी शिक्षा की गुणवत्ता में लगातार गिरावट का प्रमाण घटिया स्तर के संस्थानों की अनियंत्रित वृद्धि, राज्य सरकारों द्वारा रुटीन में अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करना और विश्वविद्यालयों द्वारा उचित निरीक्षण के बिना संबद्धता प्रदान करना है।

    अगले 3 साल तक नहीं खुलेंगे नए लॉ कॉलेज

    नये लॉ कॉलेजों की स्थापना पर तीन साल की रोक का कदम कानूनी शिक्षा के व्यवसायीकरण, व्यापक शैक्षणिक कदाचार और योग्य संकाय (फैकेल्टी) की निरंतर कमी को रोकने के लिए भी उठाया गया है। तीन वर्ष की रोक की अवधि में देश भर में कोई भी नये विधि शिक्षा केंद्र की स्थापना नहीं की जाएगी या मंजूरी नहीं दी जाएगी। इसके अलावा कोई भी मौजूदा विधि शिक्षा केंद्र बीसीआइ की पूर्व लिखित स्वीकृति के बगैर अनुभाग, पाठ्यक्रम या बैच नहीं शुरू कर सकते हैं।

    बीसीआइ का कहना है कि ऐसे प्रस्तावों पर यदि विचार किया भी जाता है तो उनकी कड़ी जांच की जाएगी और कंप्लायंस रिव्यू जारी रहेगा। हालांकि जिन लंबित आवेदनों को प्रारंभ तिथि तक अंतिम स्वीकृति नहीं मिली है, उन पर प्रभाव नहीं पड़ेगा और उन पर कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी।

    लॉ कॉलेज की गुणवत्ता में सुधार के लिए फैसला

    बीसीआइ का मानना है कि देश में पर्याप्त संख्या में विधिक शिक्षा केंद्र हैं और अब उनकी गुणवत्ता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। इसलिए विश्वविद्यालयों, राज्य सरकारों, केंद्र सरकार की संस्थाओं और अन्य संस्थानों को सलाह दी जाती है कि वे इस रोक अवधि के दौरान नये विधि शिक्षा केंद्र स्थापित करने के प्रस्ताव प्रस्तुत या प्रेषित न करें।

    मौजूदा कालेजों का निरीक्षण करेगा बीएसआई

    बीसीआइ ने विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि वह बीसीआइ रेगुलेशन्स के उद्देश्यों को बनाए रखने में सभी हितधारकों से पूर्ण सहयोग की अपेक्षा करता है। स्थगन अवधि के दौरान बीसीआइ मौजूदा कालेजों का निरीक्षण तेज कर देगा तथा मानकों को बनाए रखने में विफल रहने वाले कालेजों को बंद करने या उनकी मान्यता रद्द करने का अधिकार उसके पास होगा। बीसीआइ ने इस संबंध में रेगुलेशन तय करके उन्हें मंजूरी दी है।

    हालांकि, स्थगन अवधि में भी सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को विशेष रूप से सेवाएं प्रदान करने वाले संस्थानों को कुछ छूट दी गई है।

    दूरदराज, जनजातीय या आकांक्षी जिलों में महाविद्यालयों के प्रस्ताव, केवल विकलांग व्यक्तियों के लिए तैयार किये गए पाठ्यक्रम तथा राज्य या केंद्रीय विश्वविद्यालयों के प्रस्ताव, जो कानून द्वारा बनाए गए हों या सक्षम मंत्रालयों द्वारा विशेष रूप से अनुशंसित हों, को भी स्थगन से छूट दी जाएगी। बीसीआइ ने कहा है कि ऐसे सभी प्रस्तावों को सख्त शर्तों को पूरा करना होगा।

    यह भी पढ़ें- यूपी में 255 राजकीय कॉलेजों के जर्जर भवनों के लिए मिले 52 करोड़ रुपये, बुनियादी ढांचे होंगे मजबूत