'प्रतिबंध मूर्खतापूर्ण, लेकिन तख्तापलट का असली कारण कहीं गहरा', नेपाल हिंसा के पीछे की क्या है असली कहानी?
नेपाल में इंटरनेट मीडिया ऐप्स पर प्रतिबंध के बाद हुए विरोध प्रदर्शनों पर पूर्व राजदूत रंजीत राय ने चिंता जताई। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार और घोटालों के प्रति लोगों की निराशा इस आक्रोश का मुख्य कारण है। पूर्व कूटनीतिज्ञ अशोक सज्जनहार ने कहा कि इंटरनेट मीडिया पर प्रतिबंध लगाना ताबूत में आखिरी कील थी।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नेपाल में भारत के पूर्व राजदूत रंजीत राय ने नेपाल की मौजूदा स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि इंटरनेट मीडिया ऐप्स पर लगाए प्रतिबंध ने विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया। ये 'एक मूर्खतापूर्ण निर्णय' था, लेकिन उनका कहना है कि इस आक्रोश और तख्तापलट का 'असली कारण' कहीं अधिक गहरा है।
एक अन्य पूर्व कूटनीतिज्ञ अशोक सज्जनहार ने नेपाल के हिंसक प्रदर्शनों पर कहा कि इंटरनेट मीडिया पर प्रतिबंध लगाना ताबूत में आखिरी कील थी। नेपाल सरकार ने जनता का भरोसा पूरी तरह खो दिया था। जेनजी के प्रदर्शनों से नेपाल में राजनीतिक धरातल पूरी तरह से तहस-नहस हो गया है।
पूर्व राजदूत ने क्या कहा?
पूर्व राजदूत रंजीत राय ने मंगलवार को कहा कि उच्च राजनीतिक कार्यालयों में 'भ्रष्टाचार और घोटालों' के प्रति लोगों की निराशा इस आक्रोश के पीछे है। लोगों का मानना था कि शीर्ष राजनीतिक नेताओं के परिवारों का जीवनस्तर बहुत भव्य है, जबकि सरकार युवा पीढ़ी की अनदेखी कर रही है।
यह नेपाल में वायरल हो गया था, जहां 'नेपो किड्स' (इन नेताओं के बच्चे) इंटरनेट मीडिया पर अपने भव्य जीवनशैली का प्रदर्शन कर रहे थे। राजनीतिक नेतृत्व लोगों की भावनाओं को नहीं सुन रहा और युवा पीढ़ी से कट गया। अफवाहें थीं कि केपी ओली की सीपीएन (यूएमएल) और शेर बहादुर देउबा की नेपाल कांग्रेस एक-दूसरे के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच को दरकिनार करने के लिए एकजुट हो गई थीं।
क्या बालेंद्र शाह बनें पीएम?
राय ने कहा, ''यह नेतृत्वहीन आंदोलन है। कोई नहीं जानता नेता कौन है। हालांकि काठमांडू के मेयर बालेन शाह आंदोलन में शामिल हो गए। नेपाल के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और विद्युत प्राधिकरण के पूर्व प्रमुख ने भी इसमें भाग लिया।"
इसी तरह, भारत के पूर्व डिप्लोमैट अशोक सज्जनहार ने कहा कि फेसबुक, इंस्टाग्राम, वाट्सएप, यूट्यूब समेत 26 इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर प्रतिबंध लगाने के ओली सरकार के फैसले को नेपाली जनता खासकर इंटरनेट पर सबसे सक्रिय रहने वाले जेनजी ने इसे उनकी अभिव्यक्ति की आजादी पर कुठाराघात माना।
क्या था आंदोलन का मुख्य मकसद?
इसे सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को दबाने की कोशिश के रूप में देखा गया है। पहले से असंतुष्ट लोगों में इस इंटरनेट मीडिया बैन ने ट्रिगर का काम किया। लेकिन मामला बेहद गंभीर था, अन्यथा यह प्रतिबंध हटाते ही लोग अपने घरों को लौट जाते, लेकिन उनका असंतोष इस कुव्यवस्था से था।
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