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'नई शिक्षा नीति में न तो प्रात:कालीन प्रार्थना अनिवार्य होने जा रही और न ही संस्कृत'

नई शिक्षा नीति पर विपक्ष की आशंकाओं को खारिज करते हुए जावड़ेकर ने कहा कि न तो प्रात:कालीन प्रार्थना अनिवार्य होने जा रही और न ही संस्कृत।

By anand rajEdited By: Published: Thu, 21 Jul 2016 08:24 PM (IST)Updated: Thu, 21 Jul 2016 09:08 PM (IST)
'नई शिक्षा नीति में न तो प्रात:कालीन प्रार्थना अनिवार्य होने जा रही और न ही संस्कृत'

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नई शिक्षा नीति से राज्यों के अधिकारों के अतिक्रमण की विपक्ष की आशंकाओं को खारिज करते हुए सरकार ने कहा कि इसे राज्यों समेत सभी पक्षों के सहयोग व समर्थन से तैयार किया जाएगा।

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राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान कुछ विपक्षी सदस्यों ने पूछा था कि क्या नई नीति के तहत स्कूलों में प्रात:कालीन प्रार्थना को अनिवार्य किया जा रहा है और क्या यह राज्यों के अधिकारों का अतिक्रमण नहीं है।इसके जवाब में मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि न तो संस्कृत अथवा प्रात:कालीन प्रार्थना को अनिवार्य करने जैसा कोई प्रस्ताव है और न ही राज्यों के अधिकार क्षेत्र में दखल देने का कोई इरादा है। उलटे हम राज्यों के साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं। हमारा एकमात्र प्रयास शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाना और उसमें सुधार लाना है।

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उन्होंने कहा, 'हम राज्यों के अधिकारों का अतिक्रमण नहीं कर रहे। शिक्षा को 1976 में समेकित सूची में लाया गया था, न कि 2014 में। हम मिलकर कार्य करेंगे और राज्यों को अपना अहम भागीदार बनाएंगे। 'नई नीति से मिशनरी स्कूलों को नुकसान के तृणमूल सदस्य डेरेक-ओ-ब्रायन के सवाल पर जावड़ेकर का कहना था कि कोई भी संस्था जो नियमों का पालन करती है तो उसे किसी प्रकार से चिंतित होने की जरूरत नहीं है। बल्कि अच्छा काम करने वाली संस्थाओं की हम प्रशंसा करेंगे और उन्हें पुरस्कृत करने का इंतजाम भी करेंगे।

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इस बीच कांग्रेस व वाम दलों से जुड़े कुछ सदस्यों ने शिक्षा के भगवाकरण को लेकर प्रश्न उठाने की कोशिश की, लेकिन सदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी के मद्देनजर सतर्क और संयत जावड़ेकर ने उन पर ज्यादा ध्यान दिए बगैर महज इतना कहा, 'शिक्षा ऐसा विषय जिसे लेकर हर कोई चिंतित नजर आता है। इसलिए इसे राष्ट्रीय मिशन बनाया जाना चाहिए।'

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