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NEET अध्यादेश को मिली राष्ट्रपति की मंजूरी, अगले साल से होगी एक परीक्षा

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने NEET अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। इससे राज्य बोर्ड के छात्रों को 24 जुलाई को आयोजित NEET परीक्षा में नहीं शामिल होना होगा।

By Lalit RaiEdited By: Published: Tue, 24 May 2016 11:05 AM (IST)Updated: Tue, 24 May 2016 02:11 PM (IST)
NEET अध्यादेश को मिली राष्ट्रपति की मंजूरी, अगले साल से होगी एक परीक्षा

नई दिल्ली(पीटीआई)। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा नीट अध्यादेश पर मंजूरी के साथ ही राज्य बोर्डों के छात्रों को फिलहाल राहत मिल गई है। छात्रों को अब 24 जुलाई को होने वाले नीट परीक्षा में शामिल नहीं होना होगा। स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने कहा मीडिया के कुछ हिस्सों में खबरें आ रहीं हैं कि नीट को टाल दिया गया है। लेकिन ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य बोर्डों के छात्रों को महज इस साल नीट परीक्षा से छूट हासिल है। अगले वर्ष से छात्रों को नीट परीक्षा में शामिल होना होगा।

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सात राज्यों का NEET के तहत आने का फैसला

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि 1 मई से नीट लागू हो गया है। राज्यों ने अपनी समस्याएं अलग पाठ्यक्रम और क्षेत्रीय भाषा को लेकर बताई थी। जो राज्य चाहें NEET के दायरे में आ सकते हैं। नड्डा ने बताया कि सात राज्यों की परीक्षा नीट के तहत हो रही है। उन्होंने कहा कि यूपी नीट से बाहर है। जबकि बिहार NEET के तहत परीक्षा में शामिल होगा। सभी निजी संस्थान NEET के दायरे में होंगे। इस साल दिसबंर में पीजी की परीक्षा NEET के तहत ही होगी।

NEET से जुड़ी खास बातें


1.राष्ट्रपति ने NEET अध्यादेश को मंज़ूरी दी
2. इसी साल से NEET लागू
3. राज्यों को NEET से एक साल की छूट
4.राज्य चाहें तो NEET के तहत आ सकते हैं
5. इस साल से प्राइवेट कॉलेज NEET के दायरे में

अध्यादेश मंजूरी के खिलाफ चुनौती

संकल्प एनजीओ के प्रमुख डॉक्टर गुलशन ने कहा कि वो नीट अध्यादेश की मंजूरी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करेंगे। डॉक्टर गुल्शन के वकील अमित कुमार ने कहा कि ‘इस तरह का अध्यादेश कानून के अंतर्गत नहीं आता। साथ ही ये संविधान और शक्ति के विभाजन के खिलाफ है। न्यायपालिका का निर्णय अंतिम और बाध्यकारी होता है। इसे एक अध्यादेश के जरिए हटाया नहीं सकता है। कोर्ट का निर्णय केंद्र और राज्यों को सुनने के बाद लिया गया था। लिहाजा ये अध्यादेश कानूनी तौर पर सही नहीं है। इसके पीछे निहित स्वार्थ छिपा है। एक राष्ट्र और एक परीक्षा तो वर्तमान युग की की जरूरत है। राज्य बोर्ड व पाठ्यक्रम केवल एनसीईआरटी के अनुसार है। अध्यादेश लाने से पहले उनके पास काफी समय था।

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21 मई को केंद्रीय कैबिनेट ने NEET अध्यादेश को मंजूरी दी थी। जिसका मकसद सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आंशिक तौर पर टालना था। अध्यायदेश में कहा गया है कि सभी सरकारी कॉलेज, डीम्ड यूनिवर्सिटी और निजी मेडिकल कॉलेज NEET के दायरे में आएंगे। ये छूट केवल राज्य सरकार की सीटों के लिए है।

अध्यादेश का मतलब

एक बार अध्यादेश जारी होने पर राज्य सरकारी बोर्डों के छात्रों को 24 जुलाई को NEET में नहीं शामिल होना होगा। हालांकि उन्हें अगले शैक्षिक सत्र से इस प्रवेश परीक्षा का हिस्सा बनना पड़ेगा।

अध्यादेश पर सरकार की दलील

स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने राष्ट्रपति से मुलाकात कर उन्हें नीट संबंधी अध्यादेश की जरूरत समझाई थी। आधे घंटे से ज्यादा चली इस बैठक के दौरान उन्होंने राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों और विभिन्न दलों की ओर से जताई गई राय को सामने रखा। हालांकि राष्ट्रपति सरकार की दलीलों से संतुष्ट नहीं हुए। उन्होंने कुछ और स्पष्टीकरण मांगे थे। सुप्रीम कोर्ट पहले ही आदेश जारी कर चुका है कि इसी वर्ष से इसे सभी मेडिकल कालेजों में दाखिले के लिए लागू किया जाए। यह फैसला देने से पहले अदालत ने केंद्र सरकार के साथ ही परीक्षा आयोजित करने वाले केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया (एमसीआइ) से भी उनकी तैयारी के बारे में पूछ लिया था। तब सभी ने इस परीक्षा को इसी वर्ष से लागू करने पर सहमति जताई थी।

राज्यों का क्या था तर्क ?

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकारों ने एतराज दर्ज करवाया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनको ज्यादा तवज्जो नहीं देते हुए इसे इसी वर्ष से लागू करवाने को कह दिया था। इसके बाद जुलाई के अंत में इसकी तारीख भी तय कर दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद केंद्र सरकार ने राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ बैठक बुलाई। इस बैठक में राज्यों ने इसे एक साल के लिए टाल देने का अनुरोध किया। पिछले हफ्ते केंद्र सरकार ने कैबिनेट बैठक कर इसे राज्य सरकारों के कालेजों में एक साल के लिए लागू नहीं करने का अध्यादेश लाने का फैसला किया।

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