अब रोज धुलेंगी एनसीआर की सड़कें!
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को बुलायी गयी एनसीआर राज्यों की बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि राज्य सरकारें अपने अपने शहरों में हर दिन धूल भरी सड़कों की सफाई तथा उन पर जल का छिड़काव करेंगी।
नई दिल्ली, (जागरण ब्यूरो)। राजधानी में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंचने के बाद आखिरकार केंद्र और राज्य सरकारें हरकत में आ गयी हैं। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को बुलायी गयी एनसीआर राज्यों की बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि राज्य सरकारें अपने अपने शहरों में हर दिन धूल भरी सड़कों की सफाई तथा उन पर जल का छिड़काव करेंगी।
धूल के चलते ही हवा में पीएम 2.5 की मात्रा बढ़ती है जो वायु प्रदूषण का मुख्य कारक है। इस बैठक में राज्य पुरानी तकनीक से चल रहे ईट भट्टों को सर्दियों के मौसम में बंद करने पर भी विचार करने को राजी हो गए। साथ ही केंद्र ने राज्यों को वाहनों से होने वाले प्रदूषण की रोकथाम के लिए पीयूसी जारी करने की पूरी व्यवस्था की निगरानी करने का निर्देश भी दिया।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के सचिव अजय नारायण झा ने दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान अधिकारियों के साथ बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि राज्यों को वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए तत्काल कदम उठाने को कहा गया है। वाहनों को जारी होने वाले प्रदूषण नियंत्रण सर्टिफिकेट (पीयूसी) की नियमित तौर पर निगरानी करने तथा धूल प्रबंधन के लिए कदम उठाने को कहा। साथ ही दिल्ली सरकार को बदरपुर बिजली संयंत्र से निकलने वाली फ्लाइ ऐश को नियंत्रित करने को भी कहा है।
यह फ्लाइ ऐश 280 एकड़ क्षेत्र में फैली है। बैठक में इस बात पर भी सहमति बनी कि पर्यावरण सैस के रूप में जो राशि जुटायी जा रही है उससे पड़ौसी राज्यों के किसानों को पराली जलाने से हतोत्साहित करने के लिए वित्तीय मदद देने पर भी विचार किया जाए। इस संबंध मंे दिल्ली सरकार एक प्रस्ताव तैयार करेगी।
पर्यावरण मंत्रालय ने बैठक के बाद जारी एक वक्तव्य में कहा कि राज्य इस बात पर राजी हो गए हैं कि सड़कों की नियमित तौर पर सफाई की जाए और धूल के नियंत्रण के लिए जल का छिड़काव किया जाए। साथ ही सड़कांे पर गड्ढों को खत्म किया जाए।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल 29 दिसंबर को भी केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने दिल्ली में वायु प्रदूषण के नियंत्रण के लिए संबंधित राज्यों को 42 सूत्रीय दिशानिर्देश जारी किए थे। इसके अलावा इस साल 2 नवंबर को एनसीआर राज्यों के 22 स्थानीय निकायों तथा संबंधित राज्य सरकारों भी पर्यावरण संरक्षण कानून के तहत निर्देश भेजे हैं।
झा ने कहा कि राज्यों को 42 सूत्रीय कार्ययोजना को भी प्रभावी ढंग से लागू करने को कहा गया है। झा से जब पूछा गया कि पिछले साल जारी किए गए निर्देशों का राज्यों ने किस हद तक पालन किया है तो उन्होंने इसका गोलमोल जवाब देते हुए कहा कि राज्यों ने कुछ उपायों पर गौर किया है लेकिन अब भी काफी कुछ करना बाकी है।
बैठक में ये हुए फैसले
-राज्य सरकारें सड़कों पर धूल पर जल छिड़काव की व्यवस्था करें।
-पीयूसी सर्टिफिकेट की नियमित निगरानी हो।
-बदरपुर प्लांट से निकलने वाली फ्लाइ ऐश को नियंत्रित किया जाए।
-दिल्ली सरकार पर्यावरण सैस से जमा हो रही राशि को खर्च करने की योजना पेश करे।
-सड़क निर्माण एजेंसियां बिटुमिन न जलाएं।
-सीपीसीबी एनसीआर में 17 प्रदूषणकारी उद्योगों की स्थिति चैक करेगा।
-सीपीसीबी के अध्यक्ष हर माह दिल्ली के प्रदूषण की रोकथाम के लिए उठाए गए कदमों की समीक्षा करेंगे।
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