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    22 साल पहले आज ही के दिन हुआ था संसद पर हमला, गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा था भवन; पढ़‍िए उस खौफनाक दिन की पूरी कहानी

    By Jagran NewsEdited By: Deepti Mishra
    Updated: Wed, 13 Dec 2023 04:13 PM (IST)

    Parliament attack anniversary संसद की सुरक्षा में यह उस दिन दिन हुई है जब लोकतंत्र के मंदिर पर आतंकी हमले की 22वीं बरसी है। 22 साल पहले आज ही के दिन यानी 13 दिसंबर 2001 को संसद पर आतंकी हमला हुआ था जिसमें सुरक्षाकर्मियों समेत नौ लोग मारे गए थे और 18 लोग घायल हुए थे। आखिर उस खौफनाक दिन क्या हुआ था?

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    Parliament attack anniversary पढ़‍िए, देश की संसद पर हुए सबसे बड़े हमले की पूरी कहानी....

     डिजिटल डेस्क, नई दिल्‍ली। देश के सबसे सुरक्षित माने जाने वाले संसद भवन में आज सुरक्षा में चूक की दो घटनाएं घटीं। पहली- संसद के बाहर दो लोगों के प्रदर्शन करने और दूसरी- लोकसभा में कार्यवाही के दौरान दर्शक दीर्घा में बैठे दो लोग सदन के बीच में कूदने की। जब दो संदिग्‍ध सदन में कूदे तो सदन में कुछ धुआं सा उठा। हालांकि, दोनों ही घटनाओं के संदिग्धों को सुरक्षाकर्मियों ने हिरासत में ले लिया है और पूछताछ की जा रही है।

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    संसद की सुरक्षा में यह उस दिन दिन हुई है, जब लोकतंत्र के मंदिर पर आतंकी हमले की 22वीं बरसी है। 22 साल पहले आज ही के दिन यानी 13 दिसंबर, 2001 को संसद पर आतंकी हमला हुआ था, जिसमें सुरक्षाकर्मियों समेत नौ लोग मारे गए थे और 18 लोग घायल हुए थे। बस गनीमत ये रही कि कोई सांसद इनका निशाना नहीं बना।

    आखिर उस खौफनाक दिन क्या हुआ था? यहां पढ़‍िए, देश की संसद पर हुए सबसे बड़े हमले की पूरी कहानी....

    उस दिन क्या हुआ था ?

    13 दिसंबर 2001 का दिन था। संसद में शीतकालीन सत्र चल रहा था। महिला आरक्षण विधेयक पर बहस के दौरान हंगामे के चलते सुबह 11:02 बजे लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी गई थी।

    इस कारण उस वक्त के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और विपक्ष की नेता सोनिया गांधी समेत कई मंत्री संसद भवन से जा चुके थे, लेकिन उस वक्त के देश के गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी, प्रमोद महाजन, कई मंत्री, सांसद और पत्रकार समेत 100 से ज्यादा वीआईपी संसद भवन के भीतर मौजूद थे।

    घड़ी में करीब 11:30 बज रहे थे। उपराष्ट्रपति कृष्णकांत के सिक्योरिटी गार्ड उनके बाहर आने का इंतजार कर रहे थे। तभी गृह मंत्रालय का फर्जी स्टीकर लगाए एक सफेद रंग की एंबेसडर कार गेट नंबर-12 से संसद भवन में घुस आई। कार में हथियारों का जखीरा था और पांच आतंकी बैठे थे।

    कारण कारण गेट नंबर-12 पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों को चकमा देने में सफल हो गई। कार आगे बढ़ी तो अचानक सुरक्षाकर्मियों को कुछ अजीब लगा तो वे उस एंबेसडर कार के पीछे दौड़े। इस बीच, आतंकियों की कारण उपराष्‍ट्रपति की खड़ी कार से टकरा गई। घबराकर आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। आतंकियों के पास एके-47, पिस्टल और हैंड ग्रेनेड था, जबकि उस वक्त सिक्योरिटी गार्ड निहत्थे हुआ करते थे।

    जंग का मैदान बन गया था संसद

    गोलियां की आवाज सुनकर सीआरपीएफ की बटालियन एक्टिव हो गई। उपराष्ट्रपति कृष्णकांत के सिक्योरिटी गार्ड्स और सुरक्षाकर्मियों ने पलटवार किया। आनन-फानन सभी कंपाउंड के गेट बंद कर दिए गए। संसद में मौजूद सभी मंत्री, सांसद और अधिकारियों को भीतर ही सुरक्षित रहने के लिए कहा गया।

    इधर एक आतंकी ने गेट नंबर-1 से संसद में घुसने की कोशिश की तो सुरक्षाकर्मियों ने उसे वहीं मार गिराया। इस दौरान उसके शरीर पर लगे बम फट गया।

    संसद भवन जंग का मैदान बन गया था। दोनों ओर से गोलीबारी जारी थी। अन्‍य चार आतंकियों ने गेट नंबर-4 से सदन में घुसने की कोशिश की। इनमें से तीन को सुरक्षाकर्मियों ने मार गिराया।

    आखिरी आतंकी गेट नंबर-5 की ओर भागा, लेकिन वो भी सुरक्षाकर्मियों की गोली का शिकार हो गया। जवानों और आतंकवादियों के बीच सुबह 11:30 बजे शुरू हुई मुठभेड़ शाम 4 बजे तक चली।

    मास्टरमाइंड को फांसी पर लटकाया

    संसद हमले में मारे गए पांचों आतंकियों की पहचान- हमजा, हैदर उर्फ तुफैल, राणा, रणविजय और मोहम्‍मद के तौर पर हुई। आतंकी हमले की दिल्‍ली पुलिस ने जांच की।

    दिल्‍ली पुलिस ने दो दिन बाद यानी 15 दिसंबर 2001 को जैश-ए-मोहम्‍मद के आतंकी और संसद हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु को पकड़ा। उसके साथ ही एसएआर गिलानी, अफशान गुरु और शौकत हुसैन को गिरफ्तार किया। हमला लश्‍कर और जैश-ए-मोहम्‍मद आतंकियों ने किया था।

    सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद गिलानी और अफशान को बरी कर दिया, जबकि अफजल गुरु को फांसी की सजा बरकरार रखी। शौकत हुसैन की मौत की सजा को घटाकर 10 साल की जेल की सजा दी। 9 फरवरी 2013 को अफजल गुरु को दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी पर लटका दिया गया।

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