Move to Jagran APP

IC814: इब्राहिम, शाहिद और शाकिर कैसे बन गए भोला, शंकर और बर्गर; द कंधार हाइजैक सीरीज में क्‍या है आतंकियों के नामों की सच्चाई?

IC814 The Kandahar Hijack Series Controversy IC814 द कंधार हाइजैक में आतंकियों के हिंदू नामों को लेकर बवाल मच गया। सीरीज में आतंकियों के नाम चीफ डॉक्टर बर्गर भोला और शंकर हैं। लोगों ने शंकर और भोला नाम पर आपत्ति जताई। उनका कहना है कि आतंकवादियों के जानबूझकर हिंदू नाम रखे गए हैं जबकि वे मुस्लिम थे। IC814 द कंधार हाइजैक की कहानी और नामों की क्‍या है सच्‍चाई?

By Deepti Mishra Edited By: Deepti Mishra Updated: Tue, 03 Sep 2024 12:28 PM (IST)
Hero Image
The Kandahar Hijack Series Controversy: द कंधार हाइजैक की कहानी और नामों की क्‍या है सच्‍चाई? जागरण ग्राफिक्‍स

डिजिटल डेस्‍क, नई दिल्‍ली। ic 814 kandahar hijacking netflix : नेटफ्लिक्स पर 29 अगस्त को रिलीज हुई वेब सीरीज 'IC814: द कंधार हाइजैक' का सोशल मीडिया पर जमकर विरोध हो रहा है। वेब सीरीज में आतंकियों के नाम- चीफ, डॉक्टर, बर्गर, भोला और शंकर को लेकर बायकॉट की मांग की जा रही है। साधु-संतों समेत कई लोगों ने शंकर और भोला नाम पर आपत्ति जताई है। बवाल बढ़ने पर सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने नेटफ्लिक्स कंटेंट हेड को समन भेजा है और पूछताछ के लिए बुलाया है।

आखिर क्या है एक विमान, 178 से ज्यादा यात्रियों की जान, पांच हाईजैकर्स और पांच देशों के चक्कर, फिर मौलाना मसूद अजहर समेत तीन आतंकियों की रिहाई और आठ दिन की पूरी कहानी, जिस पर फिल्म निर्माता अनुभव सिन्हा ने वेब सीरीज आईसी 814: द कंधार हाईजैक बनाई है? सीरीज में आतंकियों के नामों की क्या सच्चाई है? यहां पढ़िए पूरी स्टोरी...

कब हुआ था विमान IC814 हाईजैक?

घटना करीब 25 साल पुरानी है। 24 दिसंबर, 1999 को इंडियन एयरलाइंस के विमान IC814 ने नेपाल की राजधानी काठमांडू के त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट से शाम साढ़े चार बजे दिल्ली के लिए उड़ान भरी। विमान में 178 पैसेंजर सवार थे। शाम पांच बजे जैसे ही विमान भारतीय वायु क्षेत्र में दाखिल हुआ, वैसे ही पांच हथियारबंद आतंकवादी हरकत में आ गए। विमान को हाईजैक कर लिया गया।

हाईजैक के बाद विमान कहां गया था?

आतंकवादियों ने विमान को पाकिस्तान ले जाने के लिए दबाव बनाया। कैप्टन देवी शरण ने ( ic 814 captain devi sharan) लाहौर एयर स्‍टेशन बात की, लेकिन पाकिस्तान की ओर से लैंड करने की अनुमति नहीं मिली। फ्लाइट में इतना फ्यूल नहीं था कि उससे लंबी दूरी की उड़ान भरी जा सके।

कंधार सीरीज का एक दृश्‍य। 

ऐसे में शाम छह बजे विमान को अमृतसर एयरपोर्ट पर उतारा गया। 25 मिनट रुका, लेकिन कुछ दिक्कतों के चलते फ्यूल नहीं भरा जा सका। गुस्‍साए आतंकियों ने एक पैसेंजर रूपिन कत्याल का गला रेत दिया और दोबारा लाहौर की ओर बढ़ गए।

यह भी पढ़ें -IC 814: आतंकियों के नाम बदलने पर विवादों में घिरी 'द कंधार हाईजैक' सीरीज, डायरेक्टर ने दी सफाई; पढ़ें क्या है विवाद

लाहौर में भरा गया था विमान में ईंधन 

उस वक्त भारत-पाकिस्तान के बीच किसी तरह की बातचीत नहीं थी। कारगिल युद्ध खत्म ही हुआ था। रात 8:07 बजे विमान ने लाहौर में लैंड किया। वहां से ईंधन भरने के बाद काबुल के लिए उड़ान भरी, लेकिन काबुल और कंधार में रात के वक्त लाइट्स का सही इंतजाम न होने के चलते विमान उतारा नहीं जा सका।

दुबई में ईंधन भरने के एवज में महिलाओं-बच्चों की रिहाई

इसके बाद विमान दुबई के लिए रवाना हो गया। दुबई के अल-मिन्हत एयरफोर्स बेस पर विमान उतारा गया। वहां ईंधन भरने के एवज में महिलाओं और बच्चों का रिहा करने का समझौता हुआ। हाईजैकर्स ने 25 यात्रियों को रिहा किया और रूपिन कात्याल का शव भी यूएई अथॉरिटी को सौंप दिया।

इसके बाद 25 दिसंबर 1999 की सुबह विमान ने दुबई से अफगानिस्तान के लिए उड़ान भरी, और कंधार में विमान उतारा गया। उस वक्त अफगानिस्तान में तालिबान का राज था।

यह भी पढ़ें -IC 814 सीरीज पर बढ़ा विवाद, सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने Netflix कंटेंट हेड समन भेज मांगा जवाब

सात दिन चली थी हाईजैकर्स से बातचीत

भारतीय अधिकारियों का एक दल हाईजैकर्स से बातचीत करने कंधार पहुंचा। उस वक्त केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली गठबंधन की सरकार थी। हर बीतते दिन के साथ सरकार की मुश्किलें बढ़ रहीं थीं। मीडिया के दबाव और बंधक यात्रियों के परिजनों का हंगामा जारी था।

इसी बीच, हाईजैकर्स ने पैसेंजर्स को छोड़ने के बदले भारतीय जेल में बंद मसूद अजहर समेत 35 आतंकियों की रिहाई, कश्‍मीर में मारे गए एक आतंकी का शव और 20 करोड़ अमेरिकी डॉलर की मांग रखी।

खैर, लंबी बातचीत के बाद 153 पैसेंजरों को रिहा करने के बदले हाईजैकर्स ने मौलाना मसूद अजहर समेत तीन आतंकियों की रिहाई की शर्त रखी थी।

यह भी पढ़ें -'IC 814 Kandahar Hijack' पर बवाल के बाद एक्शन में केंद्र सरकार, नेटफ्लिक्स के कंटेंट हेड को किया तलब

भारत ने सभी पैसेंजर को सुरक्षित वापस लाने के लिए भारतीय जेलों में बंद आतंकी मौलाना मसूद अजहर, मुश्ताक अहमद जरगर और अहमद उमर सईद शेख को स्‍पेशल प्‍लेन से कंधार ले जाकर रिहा किया। इन आतंकियों के साथ उस वक्त के विदेश मंत्री जसवंत सिंह भी कंधार गए थे।

कंधार हाईजैक में तालिबान की क्या भूमिका थी?

अफगानिस्तान में उस वक्त तालिबान हुकूमत थी, जिसे किसी भी देश से मंजूरी नहीं मिली थी। कंधार हाईजैक मामले में जब भारत ने अफगानिस्तान से मदद मांगी तो एक पैसेंजर की तबीयत बिगड़ने लगी तो तालिबान ने इलाज के लिए बातचीत की।

हाईजैकर्स ने तालिबान की गुजारिश पर कश्‍मीर में मारे गए एक आतंकी का शव और 20 करोड़ अमेरिकी डॉलर की मांग छोड़ दी थी। इसके अलावा, तालिबान ने हाईजैकर्स और भारतीय अधिकारियों पर जल्‍द से जल्‍द समझौता करने का दबाव भी बनाया।

विदेश मंत्री क्यों गए थे कंधार?

आतंकी मौलाना मसूद अजहर, मुश्ताक अहमद जरगर और अहमद उमर सईद शेख को कंधार ले जाने की बात आई तो सवाल उठा इनके साथ कौन-कौन जाएगा। उस दौरान, कंधार में मौजूद विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक काटजू, इंटेलिजेंस ब्यूरो के अजित डोभाल और रॉ के सीडी सहाय ने कहा कि ऐसे शख्स को भेजा जाए जो जरूरत पड़ने पर फैसले ले सके।

तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह का जहाज जब कंधार हवाई अड्डे पर उतरा तो बहुत देर तक एक भी तालिबानी उनसे मिलने नहीं आया।

जसवंत सिंह अपनी आत्मकथा 'अ कॉल टु ऑनर: इन सर्विस ऑफ एमर्जिंग इंडिया' में इसका जिक्र करते हुए लिखा, ''बहुत देर बाद वॉकी-टॉकी पर आतंकियों को छोड़ने की आवाज गूंजी तो विवेक काटजू ने पास आकर पूछा- सर बताइए, पैसेंजर्स की रिहाई से पहले इन आतंकियों को छोड़ें या नहीं? मेरे पास उनकी बात मानने के अलावा कोई चारा नहीं था।''

आगे लिखते हैं, ''जैसे तीनों आतंकी नीचे उतरे, वैसे ही विमान की सीढ़ियां हटा दी गईं ताकि हम नीचे न उतर सकें। मैंने देखा कि तीनों का गर्मजोशी से स्वागत हुआ। नीचे मौजूद लोग खुशी से चिल्ला रहे थे। आईएसआई वाले तीनों आतंकियों के रिश्तेदारों को पाकिस्तान से कंधार लाए थे ताकि यह पुष्टि हो सके कि हमने असली लोगों को ही छोड़ा है। जब तसल्ली हो गई कि ये असली हैं, तब जाकर विमान की सीढ़ी दोबारा लगाई गई।''

क्रू और अधिकारी अगले दिन लौटे

उस वक्त के विदेश मंत्री जसवंत सिंह और भारतीय अधिकारी पैसेंजर्स के साथ उसी दिन लौट आए, लेकिन इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग में काम करने वाले एआर घनश्याम को भारतीय विमान में ईंधन भरवाने और उसे वापस दिल्ली लाने की व्यवस्था करने के लिए कंधार में ही छोड़ दिया गया। एयर इंडिया का 14 सदस्यीय क्रू भी कंधार में ही रह गया।

यह भी पढ़ें -आतंकियों के हिंदू नाम पर घमासान, सवालों के घेरे में IC 814 Kandhar Hijack; भाजपा बोली- फिल्म का हो बहिष्कार

'IC814: द कंधार हाइजैक में नाम पर बवाल क्यों है?

IC814 :द कंधार हाइजैक वेब सीरीज में विमान को हाईजैक कर कंधार ले जाने वाले आतंकियों के नाम - चीफ, डॉक्टर, बर्गर, भोला और शंकर दिखाए गए हैं। इसे लेकर सोशल मीडिया पर लोग आलोचना कर रहे हैं कि आतंकवादियों के जानबूझकर हिंदू नाम रखे हैं, जबकि वे मुस्लिम थे।

अब आपको बताते हैं कि सच्‍चाई क्‍या है...

विदेश मंत्रालय ने 6 जनवरी, 2000 को जारी एक बयान में हाईजैकर्स के असली नाम बताए थे। विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में यह भी बताया कि पांचों हाईजैकर्स ने पैसेंजर्स के सामने एक-दूसरे को बुलाने और भारत सरकार से बातचीत के लिए कोडनेम रखे थे।

हाईजैकर्स के असली नाम

  1. इब्राहिम अतहर- बहावलपुर।
  2. शाहिद अख्तर सईद, गुलशन इकबाल, कराची।
  3. सनी अहमद काजी, डिफेंस एरिया, कराची।
  4. मिस्त्री जहूर इब्राहिम, अख्तर कॉलोनी, कराची।
  5. शाकिर, सुक्कुर सिटी।

हाईजैकर्स ने रखे थे कोडनेम

चीफ, डॉक्टर, बर्गर, भोला और शंकर आदि आतंकियों के कोडनेम थे, जिनका इस्तेमाल उन्होंने हाईजैक के दौरान एक-दूसरे को बुलाने के लिए रखा था। यानी कि सीरीज में दिखाए गए नाम फिल्‍म निर्माता ने अपनी ओर से नहीं रखे हैं और न ही कहानी मनगढ़ंत है। 

कैसे खुली हाईजैकर्स की पहचान?

29 दिसंबर की रात कंधार हाईजैकर्स ने पाकिस्तान में अपने एक सहयोगी के जरिये मुंबई स्थित एजेंट अब्दुल लतीफ से संपर्क किया। लतीफ को टीवी चैनल को यह संदेश देने का कहा गया कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे विमान का क्रैश कर देंगे।

लतीफ रावलपिंडी के आतंकी संगठन हुरकत-उल-अंसार (HuA) का सदस्य था, जो खाड़ी क्षेत्र में रहने के दौरान आईएसआई में शामिल हुआ था।

इस कॉल से भारतीय जांच एजेंसियां को हाईजैकर्स की पहचान के बारे में जानकारी मिली। केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के साथ मिलकर मुंबई पुलिस   ने इस कॉल को ट्रैक कर आईएसआई के चार एजेंटों -  मोहम्मद रेहान, मोहम्मद इकबाल, यूसुफ नेपाली और अब्दुल लतीफ को गिरफ्तार किया।

मसूद अजहर भारत में कैसे गिरफ्तार हुआ था?

1994 की शुरुआत में आतंकी मसूद अजहर पुर्तगाली पासपोर्ट पर इस्सा बिन आदम के नाम से भारत आया था। इसके बाद वह जम्मू-कश्‍मीर में आतंकियों की फौज तैयार करने में जुट गया। इसी दौरान सुरक्षाकर्मियों ने उसे गिरफ्तार कर लिया।

पाकिस्तान सरकार ने जून, 1996 में भारत के तत्कालीन उच्चायुक्त से मानवीय आधार पर मसूद की रिहाई की मांग की। जब इससे बात नहीं बनी तो दिसंबर 1997 में नई दिल्‍ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग ने भारतीय विदेश मंत्रालय को एक औपचारिक नोट भेजकर मौलाना मसूद अजहर को पाकिस्तानी नागरिक घोषित किया और कांसुलर पहुंच की मांग की।

कौन थे वे आतंकी, जिनकी रिहाई चाहते थे हाईजैकर्स

हाईजैकर्स ने जिन आतंकियों को रिहा कराने की मांग की थी, उनमें 33 पाकिस्‍तानी थे। एक पाकिस्तानी मूल का यूके का नागरिक था और एक अफगानी शामिलथा। सिर्फ एक कश्मीरी भारतीय आतंकी था। 

यह भी पढ़ें-इन कारणों के चलते आपको जरूर देखनी चाहिए IC-814 द कंधार हाइजैक' सीरीज

(सोर्स: विदेश मंत्रालय के उस वक्‍त के बयान, पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह अपनी आत्मकथा 'अ कॉल टु ऑनर: इन सर्विस ऑफ एमर्जिंग इंडिया', जागरण आर्काइव)