Jayalalithaa: वकील बनना चाहती थीं, फिर कैसे मर्दों के दबदबे वाली तमिलनाडु की राजनीति को चुनौती दे छह बार CM बनीं जयललिता?
15 साल की उम्र में राज्य की स्कूल टॉपर। 18 की उम्र में एक सुपरस्टार। 22 की उम्र में तमिलनाडु का सबसे लोकप्रिय चेहरा और 40 की उम्र में अपने राज्य की सबसे कम उम्र की मुख्यमंत्री बनीं। दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु की छह बार मुख्यमंत्री रही जयललिता की 8वीं पुण्यतिथि पर जानिए तमिल फिल्मों की ग्लैमर गर्ल बनने से लेकर सियासत की सरताज होने तक की कहानी…
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। jayalalithaa death anniversary : निहायत खूबसूरत और लार्जर देन लाइफ शख्सियत। पॉपुलैरिटी के बावजूद एक पहेली। सुंदर सूरत और राजसी तेज के पीछे उनके दिल और दिमाग में क्या चल रहा है, यह बहुत कम ही लोग समझ पाते थे। सब उन्हें पसंद भी करते थे और उनसे डरते भी थे। उन्हें देवी की तरह पूजा भी गया और धिक्कारा भी गया।
न पैरों के तले मजबूत जमीन थी और न हवा का रुख उनके पक्ष में था। फिर भी 15 साल की उम्र में राज्य की स्कूल टॉपर। 18 की उम्र में एक सुपरस्टार। 22 की उम्र में तमिलनाडु का सबसे लोकप्रिय चेहरा और 40 की उम्र में अपने राज्य की सबसे कम उम्र की मुख्यमंत्री बनीं। जिंदगी में बड़े-बड़े उतार चढ़ाव देखे हैं। अलग-अलग प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों, सुपरस्टार्स और सुपर हीरोज सबके संग काम कर बेखौफ और अपनी अक्लमंदी का परिचय दिया।
यह कोई और नहीं, तमिलनाडु के लोगों की 'प्यारी अम्मा' यानी सेल्वी जे जयललिता थीं। 5 दिसंबर यानी कल दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु की छह बार मुख्यमंत्री रही जयललिता की 8वीं पुण्यतिथि पर जानिए तमिल फिल्मों की ग्लैमर गर्ल बनने से लेकर सियासत की सरताज होने तक की कहानी…
जयललिता 24 फरवरी 1948 को कर्नाटक के मैसूर में जयराम और वेदवल्ली के घर जन्मीं। जब दो साल की थी, तब पिता की मौत हो गई। वेदवल्ली के लिए अकेले दो बच्चों- पप्पू और अम्मू को पालना मुश्किल हुआ तो वे अपने पिता के पास बेंगलुरु आ गईं। जयललिता को बचपन में अम्मू नाम से बुलाया जाता था।
वेदवल्ली की बहन अंबुजा (विद्यावती) एक्टर थी, इसलिए उसने वेदवल्ली को अपने पास चेन्नई बुला लिया ताकि दोनों बच्चे अच्छे स्कूल में पढ़ सकें। यहां विद्यावती से आने वाले प्रोडयूसरों ने देखा कि वेदवल्ली दिखने में किसी एक्ट्रेस से कम नहीं है। वेदवल्ली को भी फिल्मों के ऑफर मिले। इस तरह जयललिता की मां भी फिल्मी दुनिया में आ गई। वह संध्या के नाम से फिल्मी दुनिया में जानी जाती थीं।
कौन थीं जयललिता?
जयललिता का पूरा नाम सेल्वी जे जयललिता था। वह नृत्यांगना, अभिनेत्री, राजनेत्री और लेखिका रहीं। जयललिता की पढ़ाई चेन्नई के चर्च पार्क कॉन्वेंट स्कूल में हुई। जयललिता ने 10वीं में राज्य में टॉप किया था। वह पढ़-लिखकर वकील बनना चाहती थीं, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के चलते पढ़ाई छोड़ कम उम्र में ही फिल्मी दुनिया में आना पड़ा।
जयललिता ने एक्टिंग कब शुरू की थी?
साल 1961 में जयललिता ने बाल कलाकार के तौर पर कन्नड़ फिल्म 'श्री शैला महाथमे और 'चिन्नाडा गोम्बे' में काम किया। फिर 1965 में सीवी श्रीधर की फिल्म 'वेनिरा आडाई' से तमिल सिनेमा में डेब्यू किया था। यह फिल्म दर्शकों को बहुत पसंद आई। फिल्म रिलीज होते ही जयललिता के पास फिल्मों के ढेरों ऑफर आने लगे।
18 साल की उम्र में जयललिता तमिल सिनेमा का बेहद लोकप्रिय चेहरा बन चुकी थीं। जयललिता तमिल सिनेमा में शॉर्ट स्कर्ट पहनने वाली पहली एक्टर थीं। उनसे पहले किसी भी अभिनेत्री ने परदे पर स्कर्ट नहीं पहनी थी।
जयललिता ने कितनी फिल्में कीं?
जलललिता ने तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, हिंदी और अंग्रेजी में 140 से ज्यादा फिल्मों में एक्टिंग। उन्होंने सबसे ज्यादा 28 फिल्में एम. जी. रामचंद्रन(एमजीआर) और 17 फिल्में शिवाजी गणेश के साथ की थीं। उन्हें एक्टिंग के लिए कई पुरस्कार भी मिले थे।
एमजीआर कौन थे, जिनके संग जयललिता के रिश्ते सुर्खियों में रहे?
जयललिता ने 1965 में एम. जी. रामचंद्रन( MGR) संग पहली फिल्म आइरतथिल ओरुवन की थी। एमजीआर जयललिता के कायल थे। जयललिता की जिंदगी पर लिखी गई किताब 'अम्मा' में दोनों की रिश्ते का जिक्र है।
किताब की मानें तो फर्राटेदार अंग्रेजी बोलती थीं। शूटिंग के दौरान अपनी बारी का इंतजार करते हुए वह इंग्लिश नॉवेल पढ़ती रहती थी। सेट पर किसी से बात नहीं करती थीं। जयललिता बहुत गोरी और देखने में बेहद सुंदर थीं। तमिलनाडु की लड़कियां आमतौर पर इतनी गोरी नहीं होती हैं।
MGR जयललिता की खूबसूरती व बुद्धिमत्ता पर एमजीआर फिदा हो गए। खुद से 35 साल छोटी जयललिता से मोहब्बत कर बैठे। जयललिता भी एमजीआर को पसंद करती थीं। दोनों का रिश्ता खासा सुर्खियों में रहा।
जयललिता का घंटों इंतजार किया करते थे MGR
एक वक्त ऐसा था, जब एमजीआर चाहते थे कि जयललिता 24 घंटे उनके साथ रहें। ऐसे में जब जयललिता दूसरी फिल्मों की शूटिंग कर रही होती, तब एमजीआर सेट पर घंटों उनका इंतजार किया करते थे। जब कभी एमजीआर नहीं आ पाते तो वे अपनी गाड़ी भिजवाकर जयललिता को अपने पास बुलाते। जयललिता भी शूटिंग से एक घंटे का ब्रेक लेकर उनसे मिलने जाती थीं।
एमजीआर के लिए रोज 40 KM सफर किया
एक फिल्म में जयललिता और शिवाजी गणेश काम कर रहे थे। फिल्म की शूटिंग के लिए कश्मीर जाना था। जयललिता फ्लाइट में पहुंची तो देखा कि वहां पहले से एमजीआर उनकी सीट पर बैठे हैं। दरअसल, एमजीआर ने अपनी फिल्म की शूटिंग का शेड्यूल कश्मीर का ही करवा लिया था।
दोनों फिल्मों के सेट की दूरी 40 किलोमीटर थी। घाटी में दोनों के रुकने की व्यवस्था भी अलग-अलग थी। इसके बावजूद कश्मीर उतरते ही एमजीआर जयललिता को अपने साथ ले गए। इसके चलते जयललिता को शूटिंग के लिए रोज 40 किमी का सफर करना पड़ता था, लेकिन वह एमजीआर को कभी भी ना नहीं कर पाईं।
जयललिता को गोद में उठाकर कार तक ले गए एमजीआर
यह बात तब की है, जब जयललिता राजस्थान में एमजीआर के साथ फिल्म 'आदिमैप्पेनि' के एक गाने की शूटिंग कर रही थीं। सीन में जयललिता को नंगे पैर रहना था। धूप तेज हो गई और रेत तपने लगा था। शूटिंग खत्म हुई, लेकिन कार दूर खड़ी थी। जयललिता को तपते रेत पर चलते में परेशानी हो रही थी। यह देख एमजीआर ने बिना किसी की परवाह किए उन्हें गोद में उठाकर गाड़ी तक लेकर गए थे।
जयललिता ने शादी क्यों नहीं की?
जयललिता का रिश्ता अपने से उम्र में 35 साल बड़े और शादीशुदा शख्स एमजीआर से संबंध था। वह एमजीआर से शादी करना चाहती थीं। जया ने कई बार शादी की तैयारियां भी की, लेकिन एमजीआर हर पीछे हट गए।
साल 1970 में एमजीआर खुद तो नई-नई हीरोइन के साथ काम करने लगे। वहीं जयललिता किसके साथ काम करेंगी, कौन-से कपड़े पहनेंगी और अपनी कमाई कैसे खर्च करेंगी जैसी छोटी-छोटी पर नियंत्रण रखने लगे। तब दोनों के रिश्तों में उथल-पुथल शुरू हुई जो 1972 तक कड़वाहट में बदल गई।
एमजीआर ने रुकवा दी थी जयललिता की शादी!
एमजीआर की बेरुखी और मनमानी से परेशान जयललिता की एक्टर शोभन बाबू संग नजदीकियां बढ़ने लगीं। इस बीच अफवाह उड़ी कि शोभन बाबू से जयललिता ने शादी कर ली है। हालांकि, कुछ लोगों ने यह भी दावा किया कि जयललिता शोभन बाबू को पसंद करती थी।
उनके संग शादी कर सामान्य गृहणी की तरह जिंदगी जीना चाहती थी। इसके लिए शादी की तैयारियां भी चल रही थीं, लेकिन अचानक कार्यक्रम रद्द कर दिया गया। बाद में एक और अफवाह उड़ी कि जयललिता की उनके प्रेमी से शादी एमजीआर ने रुकवाई थी। वह जया के लिए किसी भी हद तक जा सकते थे।
जयललिता का शोभन बाबू से रिश्ता टूटा तो उनके विरोधियों को बैठे-बिठाए मौका मिल गया। उन्होंने जया को चालू और शातिर कहते हुए ऐसी महिला करार दिया, जो एमजीआर से जुड़ने के काबिल नहीं थी। निजी जिंदगी के तूफान से परेशान होकर जयललिता ने अपनी ख्याति के शिखर पर होने के दौरान ही फिल्मों से संन्यास ले लिया और एकांत में रहने लगीं।
जयललिता को बीमार MGR से नहीं मिलने दिया
जयललिता और एमजीआर दोनों के बीच अनबन चल रही थी। बात नहीं हो रही थी। 5 अक्टूबर 1984 को जया के पैरों तले जमीन खिसक गई, जब उनको पता चला कि एमजीआर को लकवा मार गया। उनकी आवाज बंद हो गई है। उनको चेन्नई के अपोलो अस्पताल ले जाया गया है।
AIADMK के शीर्ष नेताओं ने जयललिता के मरणासन्न एमजीआर तक पहुंचने पर रोक लगा दी। जल्दी ही एमजीआर को इलाज के लिए न्यूयॉर्क ले गए। जया इजाल के दौरान एमजीआर से मिलना चाहती थीं, लेकिन उनको मिलने की अनुमति नहीं मिली। जया ने प्रधानमंत्री इंदिरा को पत्र लिखकर एमजीआर से मिलने की मांग तक कर डाली, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ।
जब एमजीआर स्वस्थ होकर लौटे तो भीड़ उनको देखने के लिए जुट गई। जयललिता भी एयरपोर्ट पर एमजीआर को लेने पहुंचीं, लेकिन वहां पार्टी कार्यकर्ताओं ने उन्हें रोकने के लिए वीआईपी लॉन्ज में लॉक कर दिया। देश लौटने के छह दिन बाद 10 फरवरी 1985 एमजीआर ने तीसरी बार सीएम पद की शपथ ली।
जयललिता ने हर संभव मिलने की कोशिश की, लेकिन एमजीआर ने मिलने का कोई संकेत नहीं दिया। जो प्रेम दोनों के बीच था, वो बीते दिनों की बात हो चुकी थी।
हालांकि, कुछ महीनों बाद एमजीआर जापान से स्पीच थेरेपी का कोर्स पूरा कर दिल्ली लौट रहे थे, तब जयललिता उनसे मिलने में सफल रहीं। एमजीआर का गुस्सा शांत हो गया। उन्होंने जया को पार्टी प्रचार सचिव का पद वापस दे दिया।
जयललिता जिंदगी भर MGR की होकर रहीं; पर शवयात्रा में ...
24 दिसंबर 1987 को एमजीआर का निधन हो गया। वह अपनी आखिरी सांस तक सीएम पद पर थे। जब जयललिता को एमजीआर की मौत की खबर मिली तो वह दौड़ते हुए उनके घर पहुंची। लेकिन घर में मौजूद एमजीआर की पत्नी जानकी ने दरवाजा खोलने से मना कर दिया।
जया ने पूछा- एमजीआर का शव कहां रखा है, इस पर उनको कुल्टा, दुष्टा और डायन जैसे शब्द इस्तेमाल कर अपमानित किया गया। जया का ध्यान सिर्फ और सिर्फ एमजीआर के शव को देखने पर था।
जया इधर-उधर से पता लगाकर राजाजी हॉल पहुंचीं। दौड़ते हुए पार्थिव शरीर तक पहुंची और कसकर सिर से चिपक गईं। वह शख्स जो उनका प्रतिपालक था। जिससे उनकी बेहद नजदीकी थी और भावनात्मक लगाव था।
जिसने उनकी मां अम्मू का ध्यान रखने का वादा किया था, वो बेजान पड़ा था। जया ने आंसू नहीं गिराए। वह रोईं नहीं। वह दो दिन तक यानी पहले दिन 13 घंटे और दूसरे दिन आठ घंटे तक बिना हटे खड़ी रहीं। उस वक्त वह मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से प्रताड़ना सह रही थीं।
जानकी समर्थक महिलाएं जयललिता के पास आकर खड़ी हो गईं। उन्होंने जयललिता के पैरों को कुचला, उनके शरीर में नाखून चुभाए और चूंटियां भरीं ताकि जया वहां से हट जाएं। लेकिन जयललिता अपमान का घूंट पीकर उस जगह से नहीं हटीं। उस वक्त वह अपने इर्दगिर्द के माहौल से बेपरवाह थीं।
जब एमजीआर के पार्थिव शरीर को मुक्ति वाहन में रखा गया तो जयललिता पीछे-पीछे चल पड़ीं। वह शवयात्रा में शामिल होना चाहती थीं। सैनिकों ने हाथ बढ़ाकर ने ऊपर गाड़ी पर ऊपर खींचा। जानकी के भतीजे समेत अन्य लोगों ने उनको धक्का देकर नीचे उतार दिया। इसमें जया को चोट भी आई। आहत होकर वह अपने घर लौट आईं।
जयललिता राजनीति में कब और कैसे आईं?
जयललिता राजनीति में भी एमजीआर के कहने पर आई थीं। जयललिता ने MGR के कहने पर ही साल 1982 में अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कझागम (All India Anna Dravida Munnetra Kazhagam - AIADMK) ज्वाइन की थी। अपनी राजनीतिक सूझबूझ के चलते वह जल्द ही एमजीआर की करीबियों में शामिल हो गईं। पार्टी के लिए प्रचार-प्रसार करने लगी।
जयललिता ने प्रभावशाली भाषणों, शानदार व्यक्तित्व और सादा व सुरुचिपूर्ण पोशाक के चलते एक अलग पहचान बना ली। जयललिता को सुनने के लिए लोग कड़ी धूप में घंटों इंतजार करते। 1983 में जयललिता को AIADMK की प्रोपगैंडा सेक्रेटरी बना दिया।
जयललिता ने मुख्यमंत्री बनकर बनाए थे ये रिकॉर्ड
साल 1984 और 1989 के बीच राज्यसभा सदस्य के तौर पर काम किया। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जयललिता के राज्यसभा में विभिन्न मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाने पर उनकी प्रशंसा की थी।
1987 में रामचंद्रन की मौत के बाद जयललिता 1989 में एआईएडीएमके की सुप्रीमो बन गईं। फिर 1991 में तमिलनाडु की कमान संभालते ही सबसे कम उम्र की सीएम बनीं। जयललिता तमिलनाडु में अपना कार्यकाल पूरा करने वाली पहली मुख्यमंत्री बनीं।
राजनीति में उनका बार-बार अपमान हुआ। कैद की गईं। राजनीतिक पराजय हुई, लेकिन हर बार उबर कर उठ खड़ी होतीं। फिर दोगुनी ताकत से मर्दों के दबदबे वाली तमिलनाडु की राजनीतिक संस्कृति को चुनौती देतीं। तमाम उतार-चढ़ाव के बावजूद छह बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। कल्याणकारी योजनाओं ने जयललिता को जनता के बीच ‘प्यारी अम्मा’ बना दिया।
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जेल भी गई थीं जयललिता
जयललिता पर उनके छह बार के कार्यकाल के दौरान अवैध संपत्ति का मामला दर्ज किया, जिसमें वह दोषी भी पाई गईं। इसके लिए उनको जेल भी जाना पड़ा। साल 2016 में 75 दिन से ज्यादा समय तक हॉस्पिटल में रहने के बाद 5 दिसंबर को उनका निधन हो गया।
तमिलनाडु की राजनीति और AIADMK में जयललिता की छवि अजेय और प्रेरणादायक बनी हुई है। उनकी सरकार में शुरू की गईं 'अम्मा योजनाएं' अब भी जनता के बीच उनकी लोकप्रियता का प्रतीक हैं।
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(Source: जर्नलिस्ट वासंती की जयललिता की जिंदगी पर लिखी गई किताब 'अम्मा', जागरण नेटवर्क की पुरानी खबरें और तमिल मीडिया की रिपोर्ट्स )
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