संभल कर रहे, दिल्ली में अभी और बढ़ेगी ठंड, इससे जुड़े खतरों से बचाव के यहां हैं तरीके
सर्दियों में फ्लू, हाइपोथर्मिया, चिलब्लेन्स और किडनी स्टोन्स आदि के मामले कहीं ज्यादा बढ़ जाते हैं, लेकिन कुछ सजगताएं बरतकर इन रोगों से बचा जा सकता है
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। यह सही है कि सर्दियों के मौसम की अपनी कुछ खूबियां हैं, तो वहीं कुछ खामियां भी। सर्दियों में फ्लू, हाइपोथर्मिया, चिलब्लेन्स और किडनी स्टोन्स आदि के मामले कहीं ज्यादा बढ़ जाते हैं, लेकिन कुछ सजगताएं बरतकर इन रोगों से बचा जा सकता है और वहीं इनका कारगर इलाज भी संभव है..
फ्लू
यह वायरस से होने वाली बीमारी है। वैसे तो यह साल के किसी भी समय या मौसम में हो सकती है, पर तापमान में गिरावट के कारण वायरस ज्यादा तेजी से बढ़ते हैं। इसलिए फ्लू के ज्यादातर मामले सर्दियों में ज्यादा सामने आते हैं। फ्लू संक्रमित हवा और दूषित हाथों से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। किसी बीमार व्यक्ति द्वारा छींकने, खांसने या हाथ मिलाने से इसका वायरस दूसरे व्यक्ति के शरीर में चला जाता है।
लक्षण
तेज बुखार, खांसी आना, ठंड लगना, बदन दर्द, गले में दर्द, सिर दर्द, नाक बंद होना या बहना और उल्टी, दस्त, थकान आदि। कुछ गंभीर रोगियों में सांस लेने में तकलीफ, बलगम में खून आना, बेहोश होना या दौरे भी आ सकते हैं।
डायग्नोसिस
आमतौर पर लक्षणों के आधार पर ही इस मर्ज का पता लगाया जाता है। इसका पता करने के लिए नाक या गले के स्वैब टेस्ट (पीसीआर टेस्ट) किया जाता है।
इलाज के बारे में
- फ्लू का इलाज लक्षणों के आधार पर होता है। लक्षणों के आधार पर ही दवाएं दी जाती हैं। इसके अलावा कुछ अन्य विशेष उपचार हैं। 90 प्रतिशत रोगियों को शुरुआती उपचार से ही आराम मिल जाता है।
- रोगी घर पर ही आराम करें। स्कूल और ऑफिस न जाएं ताकि बीमारी और लोगों में न फैले।
- ज्यादा मात्रा में तरल पदार्थ लें। जैसे दाल का पानी, सूप, दूध, चाय आदि।
- ज्यादा प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्र्थों के सेवन से स्वास्थ्य लाभ में मदद मिलती है।
- साफ-सफाई का ध्यान रखें। रोज स्नान करें।
- बुखार और दर्द के लिए पैरासिटामोल आदि दवा लें।
- डॉक्टर से सलाह लेकर टैमीफ्लू दवा के बारे में जानें। सभी मरीजों के लिए टैमीफ्लू की आवश्यकता नहीं होती। यह दवा डॉक्टर की सलाह से ही लें।
- बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं, दमा के मरीजों और धूमपान करने वाले लोगों को फ्लू के गंभीर होने का खतरा ज्यादा होता है।
- इससे बचने के लिए समय रहते टीकाकरण करवाएं। बीमारी होने पर शीघ्र ही डॉक्टर की सलाह लें।
चिलब्लेन्स
सर्दियों के मौसम में अत्यधिक ठंड के कारण हाथों और पैरों की अंगुलियां कभी नीली पड़ जाती हैं, तो कभी लाल। इसके साथ ही इनमें दर्द और खुजली की समस्या भी होती है। इसे ही चिलब्लेन्स कहते हैं। यह समस्या ज्यादातर सर्दियों में ही होती है।
उपाय
दस्ताने और जुराब का प्रयोग शुरुआत से अंत तक करें। कम सर्दियों में सूती मौजे पहनें और ज्यादा सर्दियों में सूती तथा ऊनी दोनों मौजे व दस्ताने अवश्य पहनें। समस्या होने पर गर्म पानी से सिंकाई करें पर ध्यान रहे कि पानी ज्यादा गर्म न हो। ठीक न होने पर डॉक्टर की सलाह लें।
लक्षण
अंगुलियों में दर्द व सूजन, इनका लाल या नीला होना, खुजली होना और फफोले पड़ना। यह समस्या महिलाओं में ज्यादा होती है। धूमपान भी समस्या का कारण हो सकता है, इससे बचें।
हाइपोथर्मिया
हमारे शरीर का सामान्य तापमान 37 डिग्री सेंटीग्रेड होता है। जब ठंड के कारण शरीर अपनी गर्मी और ऊष्मा ज्यादा तेजी से खोने लगता है तो शरीर का तापमान नीचे गिरने लगता है। अगर तापमान 35 डिग्री से कम हो जाता है तो उसे हाइपोथर्मिया कहते हैं। जब शरीर का तापमान कम होने लगता है तब विभिन्न शारीरिक प्रक्रियाएं शिथिल पड़ने लगती हैं। जैसे सांस लेना, दिल की धड़कन आदि। यदि समय पर उपचार न किया जाए तो मृत्यु भी हो सकती है। सर्दियों में ठंड के कारण हाइपोथर्मिया का खतरा उन लोगों को ज्यादा होता है जो लोग शारीरिक रूप से अक्षम हैं, मानसिक रोगी हैं या छोटे बच्चे हों या फिर बुजुर्ग व्यक्ति। छोटे बच्चों और बुजुर्र्गों में शारीरिक तापमान जल्दी गिरता है और शरीर उतनी जल्दी ऊष्मा पैदा नहीं कर पाता।
लक्षण
- शरीर ठंडा पड़ना।
- कंपकंपी होना।
- बेसुध होना।
- हृदय गति कम होना।
- सांस लेने में तकलीफ होना।
- शरीर के समस्त अंगों का काम करना बंद कर देना।
सजगता बरतें
- बहुत ज्यादा सर्दी पड़ने पर अगर संभव हो, तो घर के बाहर न रहें। छोटे बच्चों और बुजुर्र्गों का विशेष ख्याल रखें।
- यदि आप घर से बाहर हैं, तो ज्यादा देर तक खुली जगहों पर रहने की बजाय ढके हुए स्थानों पर पनाह लें।
- अगर कपड़े गीले हो गए हों, तो उन्हें शीघ्र ही बदलें।
- घर के बाहर जाने से पहले समुचित कपड़े पहनें, एक मोटी जैकेट या स्वेटर की बजाय पतले पर कई परतों में कपड़े जैसे इनर व हाफ स्वेटर पहनें। ऐसा करने से हवा कपड़ों के बीच में रुककर शरीर की गर्मी को बाहर नहीं जाने देती।
- बीमार, अपाहिज लोगों का खास ख्याल रखें। उन्हें कंबल या रजाई आदि में रखें।
- गर्म पेय पदार्थ जैसे काहवा, चाय, गर्म दूध, गर्म पानी, सूप आदि का प्रयोग ज्यादा करें। इस समय कोल्ड ड्रिंक, आइसक्रीम आदि न लें।
- शरीर की इम्यूनिटी के लिए शहद, अदरक, तुलसी, केसर, दालचीनी, हल्दी और गुड़ आदि का नियमित सेवन करें।
- अल्कोहल तथा नशे की दवाओं का सेवन न करें।
इलाज
- पीड़ित व्यक्ति को तुरंत ठंडी जगह से हटाएं।
- पीने को गर्म पेय दें।
- शरीर को हीटर आदि से सीधे तौर पर गर्म न करें इससे जलने का खतरा है।
- बेहोश व्यक्ति को कुछ पिलाने की कोशिश न करे। उसे अस्पताल पहुंचाएं।
[डॉ.सुशीला कटारिया, सीनियर फिजीशियन
मेदांता दि मेडिसिटी, गुरुग्राम]