जेट इंजन बनाने वाला पांचवां देश होगा भारत, वायुसेना और नेवी को मिलेगी नई ताकत

G-20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन भारत में हैं । बाइडन के भारत पहुंचने के कुछ देर बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोद...और पढ़ें
विवेक तिवारी जागरण न्यू मीडिया में एसोसिएट एडिटर हैं। लगभग दो दशक के करियर में इन्होंने कई प्रतिष्ठित संस्थानों में कार् ...और जानिए
नई दिल्ली, विवेक तिवारी। G-20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन भारत में हैं । बाइडन के भारत पहुंचने के कुछ देर बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पीएम आवास पर उनकी द्विपक्षीय बातचीत हुई। पीएम ने ट्वीट करके कहा कि हमारी मुलाकात बहुत सार्थक रही। कई अंतरराष्ट्रीय मुद्दों के साथ ही दोनों नेताओं के बीच GE के जेट इंजन पर भी बात हुई। इस बातचीत से जल्द ही भारत में इस इंजन के निर्माण का रास्ता साफ होगा। भारत के लिए लड़ाकू विमान का ये इंजन बेहद महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस इंजन के देश में बनने से भारत की फाइटर प्लेन बनाने की क्षमता कहीं अधिक बढ़ जाएगी।
दरअसल, अमेरिकी कंपनी जीई एयरोस्पेस ने 22 जून 2023 को भारतीय विमान विनिर्माता हिंदुस्तान एयरोनटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ मिलकर भारतीय वायु सेना के लड़ाकू जेट विमानों के इंजन बनाने के लिए समझौता किया था। इस तकनीक के आने के बाद भारत दुनिया का पांचवां देश होगा जो लड़ाकू विमान के इंजन बनाएगा। दुनिया में अब तक रूस, ब्रिटेन, अमेरिका और फ्रांस के पास ही लड़ाकू विमानों के लिए खास तरह के इंजन बनाने की तकनीक है। यह समझौता भारतीय वायु सेना के हल्के लड़ाकू विमान MK2 के इंजन बनाने के लिए हुआ है। भारत को जेई के एफ 414 इंजन के निर्माण का लाइसेंस दिया गया है। एफ 414 इंजन का इस्तेमाल करने का लाइसेंस अभी तक सिर्फ 8 देशों के पास है। अब भारत भी इस लिस्ट में जुड़ चुका है।
एयर फोर्स के रिटायर विंग कमांडर और वीर चक्र विजेता विनोद कुमार नेब कहते हैं कि भारत काफी अच्छे एयरफ्रेम बना चुका है। लेकिन अब तक एक अच्छे इंजन की कमी के चलते एचएएल बड़ी उपलब्धियां हासिल नहीं कर पा रहा है। अमेरिका से GE-F 414 इंजन मिलने के बाद हम अपनी जरूरतें पूरी करने के साथ ही लड़ाकू विमान के बाजार में बेहद तेजी से पकड़ बना सकेंगे। इस इंजन के आने से भारत की एविएशन इंडस्ट्री को जबरदस्त फायदा होगा। तेजस मार्क 2 का एयरफ्रेम बेहद शानदार है। एक दमदार इंजन और बेहतरीन एवियोनिक्स लगने के बाद ये विमान दुनिया के बेहतरीन लड़ाकू विमानों में शामिल हो जाएगा। दुनिया के कई देश हमसे तेजस मार्क 2 खरीदना चाहेंगे। गौरतलब है कि अमेरिका के एफ 16 लड़ाकू विमान में भी ये ही इंजन लगा है। भारत अमेरिका के साथ ही फ्रांस से भी लड़ाकू विमान के इंजन की तकनीक लेने के लिए बात कर रहा है। उम्मीद है कि भारत की ये बातचीत भी जल्द ही पूरी होगी। ऐसे में हम अकेले अमेरिका पर निर्भर नहीं रहेंगे। अमेरिका से जीई इंजन मिलने के बाद हम अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीन और पाकिस्तान पर भारी पड़ेंगे।
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