नई दिल्ली, प्राइम टीम। दुनिया के 20 बड़े देशों के समूह जी-20 की अध्यक्षता भारत को मिल गई है। यानी दुनिया की 80 फीसदी जीडीपी, 75 फीसदी अंतरराष्ट्रीय व्यापार और दुनिया की 60 फीसदी आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाले जी-20 को भारत अगले एक साल तक राह दिखाएगा। यह भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी नेतृत्व क्षमता साबित करने का मौका तो होगा ही, यह अपनी संस्कृति और धरोहर को भी दुनिया के सामने रख सकेगा। आइए जानते हैं, जी-20 कितना महत्वपूर्ण है और भारत को मिली अध्यक्षता के मायने क्या हैं।

इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने बाली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसकी अध्यक्षता सौंप दी। हालांकि, आधिकारिक रूप से भारत की अध्यक्षता एक दिसंबर से शुरू होगी और अगले साल 30 नवंबर तक जारी रहेगी। इस दौरान 9 और 10 सितंबर 2023 को नई दिल्ली में जी-20 देशों के राष्ट्राध्यक्षों का शिखर सम्मेलन आयोजित होगा।

जी-20 दुनिया की प्रमुख विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का एक अंतर-सरकारी मंच है। इसमें 19 देश अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूके, अमेरिका एवं यूरोपियन यूनियन शामिल हैं।

विदेश नीति के जानकार इसे भारत के लिए एक बड़ा अवसर मान रहे हैं। कजाखस्तान, स्वीडन और लातविया में भारत के राजदूत रह चुके अशोक सज्जनहार कहते हैं, भारत सिर्फ शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता नहीं करेगा। इस दौरान देश में जी-20 देशों की 200 बैठकें होंगी, जो देश के 50 शहरों में आयोजित होंगी। इस तरह भारत के पास दुनिया के सामने हमारी संस्कृति और धरोहर पेश करने का मौका होगा।

नीति आयोग के पूर्व सीईओ और जी-20 के शेरपा अमिताभ कांत जागरण प्राइम से कहते हैं, भारत की जी-20 अध्यक्षता सिर्फ भारत के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए उपयुक्त समय पर आई है। जलवायु संकट, कोविड संकट, वैश्विक सप्लाई चेन संकट और कर्ज संकट, भू-राजनीतिक संकट और हाल के दिनों में सामने आए खाद्य और ऊर्जा संकटों ने अर्थव्यवस्थाओं विशेष रूप से विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को उथल-पुथल में डाला हुआ है।

जी-20 की अध्यक्षता में कोई औपचारिक शक्ति नहीं मिलती, लेकिन मेजबान होने के नाते अध्यक्ष देश का अपना एक प्रभाव होता है। ऐसे में भारत अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए जी-20 को सार्थक दिशा दे सकता है।जी-20 का कोई स्थायी सचिवालय नहीं है। इसका प्रबंधन ट्रोइका द्वारा किया जाता है, जिसमें पिछला अध्यक्ष, वर्तमान अध्यक्ष और भावी अध्यक्ष शामिल होते हैं। भारत की अध्यक्षता के दौरान इस ट्रोइका में इंडोनेशिया, भारत और ब्राजील शामिल होंगे।

पूर्व राजनयिक पिनाक रंजन चक्रवर्ती की मानें तो जी-20 अध्यक्ष के रूप में भारत दुनिया को दिशा और दर्शन दे सकता है। पर्यावरण परिवर्तन की समस्या हो या खाद्य समस्या, हेल्थ मैनेजमेंट हो या एनर्जी मैनेजमेंट, इस समय पूरी दुनिया की निगाह भारत पर है। ऐसे में भारत के पास अपनी लीडरशिप दिखाने का मौका है।

भारत के नेतृत्व में जी-20 की थीम 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' पर आधारित होगी। सदस्य देश वैश्विक आर्थिक मंदी, कर्ज के संकट, कोविड से आई गरीबी, जलवायु संकट पर आम राय बनाने की कोशिश करेंगे। इसके अलावा, विश्व बैंक, आईएमएफ और विश्व व्यापार संगठन जैसे संस्थानों में सुधार भी एजेंडे में शामिल होगा। पूर्व विदेश सचिव हर्ष वी श्रृंगला को भारत का मुख्य जी-20 समन्वयक नियुक्त किया गया है।

अशोक सज्जनहार कहते हैं, दुनियाभर में फैली महंगाई, भू-राजनैतिक अस्थिरता, मंदी के बीच भारत ने इसे अच्छी तरह मैनेज किया है। भारत दुनिया में इस समय आशा का केंद्र बना हुआ है। सभी देश भारत के साथ जुड़ने के इच्छुक हैं। ऐसे मौके पर जी-20 जैसे बड़े संगठन की अध्यक्षता भारत के लिए बड़ा मौका साबित हो सकता है। चक्रवर्ती बड़े फैसलों के मामले में जी-20 को यूएन से भी कारगर मानते हुए कहते हैं, जी20 में फैसले आम सहमति से लिए जाते हैं। इसमें यूएन जैसा वीटो का सिस्टम नहीं होता। ऐसे में इसमें बड़े फैसले संभव होते हैं। इसका लाभ भारत को मिलेगा।

सज्जनहार भारत की अध्यक्षता को जी-20 के लिए भी सकारात्मक मानते हुए कहते हैं, इस समय दुनिया के सभी देशों के साथ भारत के घनिष्ठ संबंध हैं। बाली में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति, ब्रिटिश प्रधानमंत्री, ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री समेत तमाम राष्ट्राध्यक्षाें की जो गर्मजोशी दिखी वह इसी का संकेत है। जी-20 की अध्यक्षता भारत को पहली बार मिल रही है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी क्षमताओं के प्रदर्शन का भी अवसर मिलेगा।

अमिताभ कांत जी-20 को वैश्विक स्तर पर बदलाव लाने की क्षमता रखने वाला मंच बताते हुए कहते हैं, यह फोरम दुनिया को वर्तमान संकटों से बाहर निकलने का रास्ता ढूंढने में मददगार होगा। यह सामूहिक कार्रवाई का समय है, और आम सहमति और कार्रवाई के लिए भारत से बेहतर कोई देश नहीं है। ग्लोबल साउथ (लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और एशियाई देश) की आवाज के रूप में खुद को स्थापित करने का एक अवसर है। जी-20 की अध्यक्षता से भारत की दुनिया में एक जिम्मेदार शक्ति के रूप में विश्वसनीयता बढ़ेगी। इन सबके चलते भारत वैश्विक परिवर्तनों के लिए उत्प्रेरक का काम कर सकेगा।