पराली जलाने पर आपराधिक केस नहीं लेकिन लग सकता है जुर्माना, इसे प्रभावी तरीके से लागू करने की तैयारी में सरकार
केंद्र सरकार पराली जलाने की घटनाओं से निपटने के लिए कुछ और कड़े कदम उठाने की तैयारी में है। बताया जाता है कि पराली जलाने वालों पर भले ही केस नहीं दर्ज किया जाए लेकिन भारी जुर्माना तो लगाया ही जा सकता है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पराली जलने की घटनाएं सामने आने और उससे उठने वाले जहरीले धुएं के दिल्ली-एनसीआर तक दस्तक देने के बाद केंद्र इससे निपटने के लिए कुछ और कड़े कदम उठाने की तैयारी में है। जिसमें पराली जलाने वालों पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है। हालांकि पहले ऐसा करने वालों पर कानूनी कार्रवाई करते हुए आपराधिक मुकदमे दर्ज करने का प्रस्ताव भी था लेकिन नए प्रस्ताव से इसे हटाते हुए सिर्फ जुर्माने तक ही सीमित रखा है।
लंबित था जुर्माना लगाने का प्रस्ताव
फिलहाल जुर्माने का यह अधिकार वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के पास होगा। जिसका दायरा पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान तक है। साथ ही वायु गुणवत्ता को बेहतर रखने से जुड़े उपायों की लगातार निगरानी भी करता है। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक पराली जलाने पर जुर्माना लगाने का प्रस्ताव आयोग के गठन के बाद से ही लंबित था।
जुर्माने को लेकर नया प्रस्ताव तैयार
इसमें आयोग को दी गई शक्तियों में आपराधिक मामले दर्ज करने और जुर्माना लगाने का अधिकार शामिल था। हालांकि किसान आंदोलन के बाद किसान संगठनों के साथ बनी सहमति के बाद पराली जलाने पर आपराधिक मामले दर्ज न करने पर सहमति बनी थी। इस बीच जुर्माने को लेकर नया प्रस्ताव तैयार हो गया है। उसे लेकर कानूनी राय भी ली जा चुकी है।
क्या होगी जुर्माने की दर राज्यों के साथ होगा मंथन
जल्द ही पराली प्रभावित सभी राज्यों के साथ चर्चा के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा। उसी में यह भी चर्चा होगी कि प्रति हेक्टेयर जुर्माने की दर क्या होगी। इस बीच मंत्रालय का मानना है कि किसानों पर जुर्माने का विकल्प तभी आजमाया जाएगा, जब वह पराली को नष्ट करने के विकल्पों को मानने के लिए तैयार नहीं होंगे। उन्हें इससे पहले पराली के फायदे के बारे में बताया जाएगा।
निस्तारण के लिए सिस्टम डेवलप करने पर जोर
इससे वह खेत में ही उसे नष्ट करके उसे उपजाऊ बना सकते है या फिर पराली को बेच कर कमाई भी कर सकेंगे। आयोग की यह कोशिश है कि सभी जिलों और ब्लाक स्तर पर एक ऐसा तंत्र खड़ा हो जाए, जो किसानों की पराली खरीद लें या फिर उन्हें भंडारित करने का विकल्प मुहैया कर दे। थर्मल पावर को भी इस मुहिम से जोड़ा गया है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग का गठन नवंबर 2020 में की किया था।
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