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Earthquake in Pakistan & India: पाकिस्तान में तबाही का मंजर, 30 लोगों की मौत, दिल्ली तक हिली धरती

जम्मू-कश्मीर पुलिस का कहना है कि राज्य में भूंकप से किसी नुकसान की खबर नहीं है। इसी तरह देश के अन्य राज्यों से भी भूकंप से किसी नुकसान की खबर नहीं है।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 24 Sep 2019 04:41 PM (IST)Updated: Wed, 25 Sep 2019 01:01 PM (IST)
Earthquake in Pakistan & India: पाकिस्तान में तबाही का मंजर, 30 लोगों की मौत, दिल्ली तक हिली धरती
Earthquake in Pakistan & India: पाकिस्तान में तबाही का मंजर, 30 लोगों की मौत, दिल्ली तक हिली धरती

नई दिल्ली, जेएनएन। मंगलवार शाम 4:30 बजे के आसपास आए भूकंप के झटकों से पाकिस्तान लेकर पूरे उत्तर भारत (North India) में धरती हिल गई। दिल्ली-एनसीआर (National Capital Region) समेत पूरे उत्तर भारत में मंगलवार शाम को भूकंप (Earthquake) के झटके महसूस किए गए, जिससे लोग दहशत में आ गए। कश्‍मीर में भूकंप के झटके महसूस किए गए। हालांकि, जम्मू-कश्मीर पुलिस का कहना है कि राज्य में भूंकप से किसी नुकसान की खबर नहीं है। इसी तरह देश के अन्य राज्यों से भी भूकंप से किसी  नुकसान की खबर नहीं है।

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भूकंप के झटके महसूस करते ही दिल्ली सहित गुरुग्राम, नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद में लोग अपने-अपने घरों और आफिस से बाहर निकल आए। वहीं, जम्मू-कश्मीर के राजौरी, पुंछ, जम्मू, उधमपुर और रामबन के कुछ हिस्सों में झटके तीव्रता से महसूस किए गए। हिमाचल में कांगड़ा, चंबा, मंडी, कुल्लू, शिमला और हमीरपुर, चंडीगढ़, अंबाला, पानीपत, अमृतसर, लुधियाना समेत पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के तमाम शहरों में भी भूकंप से लोगों में दहशत फैल गई।

पाकिस्तान के जातलां में था भूकंप का केंद्र

वहीं, समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, इस भूकंप का केंद्र गुलाम कश्मीर (पाकिस्तान) के मीरपुर से 15 किलोमीटर दूर स्थित जातलां इलाके में था। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department) के मुताबिक, भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5.8 मापी गई है। भारत में पाकिस्तान से सटे जम्मू-कश्मीर में भूकंप की सबसे ज्यादा तीव्रता थी।

पाकिस्तान में सड़कें टूटीं, पांच की मौत

समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, शाम 4:30 के आसपास उत्तर भारत के लोगों को भूकंप के झटके लगे। पाकिस्तान में कई जगहों पर भूकंप से सड़कें टूट गईं और गाड़ियां पलट गई हैं।  पाकिस्तान के मीरपुर में बड़े नुकसान की खबरें मिल रही हैं। कई मकान गिरे हैं और कई जगहों पर सड़कें टूटी हैं। फिलहाल करीब 50 लोगों के घायल होने की खबर है और उन्हें अस्पतालों में पहुंचाया जा रहा है। वहीं, पांच लोगों के मौत की भी खबर है।

मिली जानकारी के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर समेत देश के कई हिस्सों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं। इनमें जम्मू कश्मीर और चंडीगढ़ भी शामिल हैं। भूकंप की तीव्रता 5.8 रिक्टर स्केल थी, जबकि इसका अधिकेंद्र लाहौर से उत्तर पश्चिमी दिशा में 173 किलोमीटर की दूरी पर था।

  • भूकंप से गुलाम कश्मीर के मीरपुर में भारी तबाही हुई है।
  • मीरपुर में 5 लोगों की मौत और 50 लोगों को घायल होने की खबर है।
  • जम्मू-कश्मीर, पंजाब और चंडीगढ़ में महसूस किए गए झटके।
  • दिल्ली-एनसीआर में घरों से बाहर निकले लोग।
  •  गुरुग्राम में दफ्तरों से निकले लोग।
  • जम्मू-कश्मीर के राजौरी, पुंछ, जम्मू, उधमपुर और रामबन के कुछ हिस्सों में भूकंप काफी तीव्रता से महसूस किया गया।
  • जम्मू-कश्मीर के अलावा दिल्ली और एनसीआर के कई इलाकों में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं।
  • चंडीगढ़, अंबाला, पानीपत, अमृतसर, लुधियाना समेत पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के तमाम शहरों में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए।

सेस्मिक जोन 4 में होने से रहता है भूकंप का ज्यादा खतरा

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत एनसीआर क्षेत्र में भी मंगलवार को भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इस बार भूकंप की तीव्रता 6.3 थी। हालांकि दिल्ली एनसीआर में किसी भी तरह के जानमाल के नुकसान की खबर नहीं है।

दरअसल मैक्रो सेस्मिक जोनिंग मै¨पग में देश को चार जोन में बांटा गया है। इसमें जोन पांच से जोन दो शामिल हैं। इसमें जोन पांच सबसे ज्यादा और जोन दो सबसे कम संवेदनशील है। यानी जोन पांच ऐसा क्षेत्र है, जहां भूकंप आने की आशंका सबसे ज्यादा है। वहीं जोन दो ऐसा क्षेत्र है, जहां भूकंप आने की आशंका सबसे कम होती है।

जोन पांच में हिमालय का केंद्र, कश्मीर और कच्छ का रन शामिल है वहीं जोन चार में दिल्ली, जम्मू कश्मीर और महाराष्ट्र के इलाके शामिल हैं। जोन चार वह क्षेत्र है, जहां भूकंप और नुकसान की संभावना ज्यादा होती है। वहीं दिल्ली हिमालय के निकट है, जो भारत और यूरेशिया जैसी टेक्टॉनिक प्लेटों के मिलने से बना है। धरती के भीतर की इन प्लेटों में होने वाली हलचल की वजह से दिल्ली, कानपुर और लखनऊ जैसे इलाकों में भूकंप का खतरा सबसे ज्यादा रहता है।बता दें कि दिल्ली-एनसीआर समेत देश के कई इलाके भूकंप के लिहाज से खतरनाक इलाकों में आते हैं। खासकर सिस्मिक जोन 5 (पांच) भूकंप के लिहाज से देश का सबसे खतरनाक इलाका है।

सिस्मिक जोन 2

देश की बाकी जगहें सिस्मिक जोन 2 में आते हैं, ये भूकंप के लिहाज से कम खतरनाक है, यहां 4.9 तीव्रता से ज्यादा का भूकंप आने का खतरा नहीं है।

सिस्मिक जोन 3

जोन 3 को भूकंप के लिहाज से मध्यम खतरे वाला माना जाता है। इस जोन में केरल, गोवा, लक्षदीप, यूपी, गुजरात और पश्चिम बंगाल के बचे हुए इलाके, पंजाब, रास्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओड़िशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक के इलाके आते हैं।

सिस्मिक जोन 4

सिस्मिक जोन 4 भी भूकंप के लिहाज से काफी खतरनाक माना जाता है. यहां 7 से 7.9 तीव्रता तक भूकंप आ सकते हैं। इस जोन में राजधानी दिल्ली, एनसीआर के इलाके, जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के इलाके, यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल का उत्तरी इलाका, गुजरात का कुछ हिस्सा और पश्चिम तट से सटा महाराष्ट्र और राजस्थान का इलाका आता है।

सिस्मिक जोन 5

सिस्मिक जोन 5 का मतलब है यहां आठ की तीव्रता से ज्यादा का भूकंप आ सकता है। इस जोन में देश का पूरा नॉर्थ-ईस्ट इलाका, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तरांचल के इलाके, गुजरात का कच्छ, उत्तर बिहार और अंडमान निकोबार द्वीप शामिल है।

क्यों आते हैं भूकंप

पृथ्वी बारह टैक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है, जिसके नीचे तरल पदार्थ लावा के रूप में है। ये प्लेटें लावे पर तैर रही होती हैं। इनके टकराने से ही भूकंप आते हैं। टैक्‍टोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं और खिसकती भी हैं। हर साल ये प्लेट्स करीब 4 से 5 मिमी तक अपने स्थान से खिसक जाती हैं। इस क्रम में कभी-कभी ये प्लेट्स एक-दूसरे से टकरा जाती हैं। जिनकी वजह से भूकंप आते हैं।

यहां पर बता दें कि दिल्ली जोन-4 में आता है, जबकि मुंबई और कोलकाता जोन-3 में में है। यह अलग बात है कि अब तक देश के प्रमुख शहरों में शुमार दिल्ली, मुंबई और कोलकाता में कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है। दिल्ली भूकंप जोन-4 में स्थित है, ऐसे में यहां पर भूकंप आने की ज्यादा संभावना है। ऐतिहासिक संकेतों के मुताबिक, एक भयानक भूकंप कभी भी आ सकता है। यह सबक बिहार में 1934 और असम में 1950 में आए भूकंप से मिलता है।

भूवैज्ञानिकों के मुताबिक, 1950 के असम के भूकंप ने हिमालय में एक बड़े भूकंप की जमीन तैयार कर दी है। इस भूकंप के बाद 65 साल बीत गए हैं और संभव है कि कोई विकराल भूकंप आने ही वाला हो।

भूकंप का खतरा नहीं झेल पाएगी दिल्ली

बता दें कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र की एक बड़ी समस्या आबादी का घनत्व भी है। तकरीबन दो करोड़ की आबादी वाली राजधानी दिल्ली में लाखों इमारतें दशकों पुरानी हैं और तमाम मोहल्ले एक दूसरे से सटे हुए बने हैं। ऐसे में बड़ा भूकंप आने की स्थिति में जानमाल की भारी हानि होगी। वैसे भी दिल्ली से थोड़ी दूर स्थित पानीपत इलाके के पास भू-गर्भ में फॉल्ट लाइन मौजूद है जिसके चलते भूकंप की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

खतरनाक हैं दिल्ली की 70-80% इमारतें

विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि दिल्ली में भूकंप के साथ-साथ कमज़ोर इमारतों से भी खतरा है। एक अनुमान के मुताबिक, दिल्ली की 70-80% इमारतें भूकंप का औसत से बड़ा झटका झेलने के लिहाज से नहीं बनी हैं।

भूकंप आए तो क्या करें

भूकंप का एहसास होते ही घबराएं नहीं। घर से बाहर किसी खाली जगह पर खड़े हो जाना चाहिए। बच्चों व बुजुर्गों को पहले घर से बाहर निकालें, किनारे में खड़े रहें। घर में भारी सामान सिर के ऊपर नहीं होना चाहिए। 

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