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दिल्ली में 80 फीसद इमारतें असुरक्षित, बड़ा भूकंप आया तो होगा जान माल का भारी नुकसान

हिमालय के करीब होने की वजह से दिल्ली को भूकंपीय क्षेत्र के जोन चार में रखा गया है। ऐसे में अगर हिमालयी इलाकों में भीषण भूकंप आया तो दिल्ली के लिए संभल पाना बेहद मुश्किल होगा। आपात स्थिति में मदद तक नहीं पहुंच सकती है।

By Neel RajputEdited By: Published: Tue, 24 Sep 2019 05:09 PM (IST)Updated: Sun, 29 Sep 2019 10:56 AM (IST)
दिल्ली में 80 फीसद इमारतें असुरक्षित, बड़ा भूकंप आया तो होगा जान माल का भारी नुकसान
दिल्ली एनसीआर में अधिक है भूकंप का खतरा

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। पिछले एक हफ्त में पाकिस्तान, इंडोनेशिया और नेपाल समेत भारत में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। पाकिस्तान और इंडोनेशिया में आए भूकंप ने काफी नुकसान पहुंचाया है। हालांकि भारत में भूकंप के झटकों से कुछ नुकसान तो नहीं हुआ है लेकिन दिल्ली में बड़ा भूकंप भारी तबाही ला सकता है। इसके पीछे कई सारी वजहें हैं। एक तो यही कि शहर में बनी 80 फीसद इमारतें बड़ा भूकंप झेलने की ही स्थिति में नहीं हैं। वहीं, हिमालय के करीब होने की वजह से दिल्ली को भूकंपीय क्षेत्र के जोन चार में रखा गया है। ऐसे में अगर हिमालयी इलाकों में भीषण भूकंप आया तो दिल्ली के लिए संभल पाना बेहद मुश्किल होगा, इसमें एनसीआर के इलाके भी शामिल है। विशेषज्ञों की मानें तो दिल्ली में अगर बड़ा भूकंप आया तो जान माल का बहुत ज्यादा नुकसान होगा, क्योंकि पूर्वी दिल्ली, पश्चिमी दिल्ली के साथ ज्यादातर इलाके घनी आबादी वाले हैं। कई इलाके तो ऐसे भी हैं, जहां आपात स्थिति में मदद तक नहीं पहुंच सकती है।  

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कब आया था दिल्ली में सबसे बड़ा भूकंप

गौरतलब है कि दिल्ली में 20वीं सदी में 27 जुलाई, 1960 को 5.6 की तीव्रता का बड़ा भूकंप आया था। हालांकि, इसकी वजह से दिल्ली की कुछ ही इमारतों को नुकसान हुआ था, लेकिन तब दिल्ली की जनसंख्या कम थी। वहीं, 80 और 90 के दशक के बाद से दिल्ली की आबादी तेजी से बढ़ी है। अब दिल्ली की आबादी दो करोड़ के आसपास है। ऐसे में आवास की मांग के मद्देनजर पिछले तीन दशक के दौरान दिल्ली में नियमों की अनदेखी करते हुए अवैध निर्माण हुआ है। 

सरकारी महकमे खोल रहे लापरवाही की पोल

दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका की सुनवाई में दिल्ली नगर निगम पहले कह चुका है कि देश की राजधानी दिल्ली की महज की 20 फीसद इमारतें ही नेशनल बिल्डिंग लॉ (NBL) का पालन कर रही हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि 80 फीसद इमारतों के असुरक्षित होने से अगर बड़ा भूकंप दिल्ली में जान माल का भारी नुकसान हो सकता है। 

दिल्ली में भूकंप का खतरा कायम

दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र की एक बड़ी समस्या आबादी का घनत्व भी है। तकरीबन दो करोड़ की आबादी वाली राजधानी दिल्ली में लाखों इमारतें दशकों पुरानी हैं और तमाम मोहल्ले एक-दूसरे से सटे हुए बने हैं। ऐसे में बड़ा भूकंप आने की स्थिति में जानमाल की भारी हानि होगी। वैसे भी दिल्ली से थोड़ी दूर स्थित पानीपत इलाके के पास भू-गर्भ में फॉल्ट लाइन मौजूद है जिसके चलते भूकंप की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

दिल्ली के साथ पश्चिमी यूपी व हरियाणा भी खतरे की जद में

दिल्ली की हिमालय क्षेत्र से दूरी मात्र 350 किलोमीटर है, जाहिर है ऐसे में हिमालयी क्षेत्र में भूकंप से पैदा होने वाली ऊर्जा से दिल्ली को सर्वाधिक खतरा है। विशेषज्ञों की मानें तो हिमालय में भूकंप का केंद्र होने के बावजूद दिल्ली में भारी तबाही हो सकती है।

यमुना किनारे बने इलाकों पर ज्यादा खतरा

विशेषज्ञों की मानें तो दिल्ली में भूकंप का सबसे बड़ा खतरा यमुना किनारे बने इलाकों में है। इन इलाकों की संकरी गलियों में बने बड़े और ऊंचे मकान भूकंप का बड़ा झटका सहने की हालत में नहीं हैं। यह भी एक कड़वा सच है कि यहां एनबीएल के तहत घरों का निर्माण नहीं हुआ है और न ही प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए बनाए गए नियमों का पालन हुआ है। ऐसे इस इलाके में बड़ा भूकंप आने पर तबाही का मंजर कल्पना से ही परे है।

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