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दिल्‍ली में 139 करोड़ का महाघोटाला, लेबर वेलफेयर बोर्ड में निकले फर्जी श्रमिक, सांसत में केजरीवाल

दिल्ली लेबर वेलफेयर बोर्ड में फर्जी श्रमिकों के पंजीकरण के मामले में दिल्‍ली सरकार फंसती हुई नजर आ रही है।

By Edited By: Published: Tue, 08 May 2018 09:34 PM (IST)Updated: Wed, 09 May 2018 02:31 PM (IST)
दिल्‍ली में 139 करोड़ का महाघोटाला, लेबर वेलफेयर बोर्ड में निकले फर्जी श्रमिक, सांसत में केजरीवाल
दिल्‍ली में 139 करोड़ का महाघोटाला, लेबर वेलफेयर बोर्ड में निकले फर्जी श्रमिक, सांसत में केजरीवाल

नई दिल्ली [ जेएनएन ] । एक बार फ‍िर दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री व आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल मुश्किल में हैं। दिल्ली लेबर वेलफेयर बोर्ड में फर्जी श्रमिकों के पंजीकरण के मामले में दिल्‍ली सरकार फंसती हुई नजर आ रही है। ऐसे में जाहिर है कि इसकी आंच केजरीवाल तक आनी तय है।

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आखिर क्‍या है मामला

पिछले तीन साल से दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार पर कंस्ट्रक्शन लेबर फंड में 139 करोड़ के घोटाले का आरोप लगा है। शिकायत में कहा गया है कि सरकार के श्रम मंत्रालय ने कई कामकाजी लोगों का भी अवैध तरीके से दिल्ली लेबर वेलफेयर बोर्ड में पंजीकरण करा दिया, जबकि किसी भी कंपनी में काम करने वालों व चालक आदि की नौकरी करने वालों का वेलफेयर बोर्ड में पंजीकरण नहीं कराया जा सकता है।

ACB ने मुकदमा दर्ज किया, जांच शुरू 

यह आरोप लग रहा है कि दिल्‍ली सरकार ने वोट बैंक मजबूत करने के मकसद से नियमों का दरकिनार कर ऐसा कदम उठाया है। दिल्ली लेबर वेलफेयर बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष की शिकायत पर दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने दिल्ली लेबर वेलफेयर बोर्ड के खिलाफ छह धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया। तीन हफ्ते पहले दिल्ली लेबर वेलफेयर बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष व मजदूर नेता सुखबीर शर्मा ने भी एसीबी में शिकायत कर आरोप लगाया था कि दिल्ली सरकार ने कंस्ट्रक्शन लेबर फंड में 139 करोड़ का घोटाला किया है।

क्‍या है FIR में

एफआइआर में 139 करोड़ रुपये के घोटाले की बात कही गई है। एसीबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने केस दर्ज करने की पुष्टि की है। एसीबी ने मुकदमा दर्ज करने से पहले जांच की तो उसे ऐसे कई कामकाजी लोग मिले जिनका सरकार ने अवैध तरीके से बोर्ड में पंजीकरण करवाया था। इनमें कई ऑटो चालक व कई बुटिक में काम करने वाले लोग थे। नियमत: कोई भी काम करने पर बोर्ड में पंजीकरण नहीं कराया जा सकता है।

क्‍या है दिल्ली लेबर वेलफेयर बोर्ड

बता दें कि 2002 में दिल्ली लेबर वेलफेयर बोर्ड का गठन किया गया था। बोर्ड के गठन का उद्देश्य यह था कि उसमें ऐसे नए लोगों का पंजीकरण किया जाए जो कहीं काम न कर रहे हों। कंस्ट्रक्शन या अन्य साइटों पर काम करने वाले मजदूरों का बोर्ड में पंजीकरण करने का प्रावधान है।

पंजीकरण के बाद 17 तरह की सुविधाएं देने का प्रावधान दिल्ली लेबर वेलफेयर बोर्ड में पंजीकरण होने पर सरकार की तरफ से मजदूरों को 17 तरह की सुविधाएं दी जाती हैं। बच्चों की पढ़ाई, मजदूरों की पत्नी व महिला कर्मियों के गर्भवती होने पर मातृत्व मद व शादी आदि में पैसे दिए जाते हैं। मजदूरों को काफी सुविधाएं दी जाती है।

आरोप है कि दिल्ली सरकार ने अपना वोट बैंक मजबूत करने के लिए कई लोगों को अवैध तरीके से बोर्ड में पंजीकरण कराया। शिकायत में कहा गया है कि मजदूरों को 17 मद में सुविधाएं दिए जाने के मामले में सरकार ने अधिकांश रकम गबन कर ली।

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भाजपा ने भी लगाया था आरोप

दिसंबर 2017 में भाजपा के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष व सांसद मनोज तिवारी ने कंस्ट्रक्शन लेबर फंड में करोड़ों के घोटाले का आरोप लगाया था, लेकिन तब आम आदमी पार्टी की सरकार ने उनके आरोप को खारिज कर दिया था। अब एसीबी में घोटाले की लिखित शिकायत होने पर एसीबी ने पहले जांच की। कई ऐसे मजदूरों को ढूंढ़ निकाला, जिनका फर्जी तरीके से बोर्ड में पंजीकरण था। इसके बाद भ्रष्टाचार अधिनियम, फर्जीवाड़ा व आपराधिक साजिश रचने आदि छह धाराओं में केस दर्ज किया गया।


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