ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट से तिलमिला उठे नक्सली, निर्दोष ग्रामीणों को बना सकते हैं निशाना; अलर्ट मोड में आई एजेंसियां
ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट के अंतर्गत नक्सलियों के बड़े कमांडर मारे जा चुके हैं। वहीं छोटे नक्सली भाग खड़े हुए हैं। इस बीच बताया जा रहा है कि भागे नक्सलियों ...और पढ़ें

नीलू रंजन, जागरण, नई दिल्ली। ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट में जहां नक्सलियों के बड़े कमांडर मारे जा चुके हैं और छोटी-छोटी टुकड़ियों में कुछ नक्सली भाग खड़े हुए हैं, उसके बाद सुरक्षा एजेंसियां और सतर्क हो गई हैं। यह आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है कि नेतृत्वविहीन हताश ये नक्सली निर्दोष ग्रामीणों को भी निशाना बनाने की कोशिश कर सकते हैं।
इस संबंध में खुफिया एजेंसियों से मिल रही जानकारी के बाद सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। सुरक्षा बलों को नक्सलियों को खोजने और खत्म करने के लिए आपरेशन को तेज करने को कह दिया गया है।
ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट को मिली सफलता
गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सुरक्षा बलों को ऑपरेशन ब्लैक फारेस्ट की सफलता के बाद नक्सल विरोधी अभियान को जारी रखने का निर्देश दिया है, ताकि अगले कुछ महीनों में नक्सलवाद मुक्त भारत के सपने को साकार किया जा सके।
कई नक्सली हेडक्वार्टर ध्वस्त
इस लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में अगले चार-पांच महीने अहम साबित हो सकते हैं। बीजापुर के विभिन्न कैंपों में तैनात सुरक्षा बल के वरिष्ठ अधिकारियों ने बातचीत में आपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट की सफलता और कुर्रगुट्टा पहाड़ी पर नक्सली हेडक्वार्टर को ध्वस्त करने के बाद निर्दोष ग्रामीणों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई। उनके पास आ रही सूचनाओं के अनुसार ग्रामीणों के बीच अपना दबदबा कायम रखने के लिए नक्सली भय का वातावरण बनाने की योजना बना रहे हैं।
भागे नक्सलियों की जानकारी जुटाने में लगे अधिकारी
पिछले कुछ दिनों ऐसी चार-पांच वारदात हो भी चुकी है। नक्सल विरोधी ऑपरेशन का नेतृत्व कर रहे सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि छोटी-छोटी टुकड़ियों में भागे नक्सलियों के जानकारी जुटाने का काम तेज कर दिया गया है और जानकारी मिलते ही ऑपरेशन भी किया जाएगा। इसके लिए पूरा प्लान तैयार है।
वहीं, सुरक्षा बलों ने नेतृत्व विहीन हो चुके नक्सलियों के निचले कैडर को आत्मसमर्पण के लिए तैयार करने के भी विशेष अभियान शुरू करने का फैसला किया है। इसके लिए उनके समाज के ही विशिष्ठ लोगों की मदद की जाएगी। पिछले कुछ महीनों में आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों की संख्या में तेजी आई है, जो निचले स्तर के कैडर में अपने नेतृत्व के प्रति मोहभंग को दर्शाता है।
पांच महीने में 750 नक्सिलियों ने किया सरेंडर
उनके अनुसार पिछले साल सबसे अधिक लगभग 900 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था। लेकिन इस साल चार महीने में ही 750 से अधिक नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि कुर्रगुट्टा पहाड़ के नजदीक के फॉरवर्ड आपरेशनल बेस (एफओबी) पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के पहुंचने से भी बड़ा संदेश गया है। पिछले पांच दशकों से नक्सलियों के रहमोकरम पर रहने वाले ग्रामीण ने पहली बार राजनीतिक नेतृत्व को अपने करीब देखा है।

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