अचूक रणनीति से डेढ़ साल में ही बिखर गया लाल साम्राज्य, चार महीने में 750 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की रणनीति से छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का गढ़ ढह गया। ऑपरेशन कुर्रगुट्टा के तहत नक्सलियों के कुर्रगुट्टा स्थित हेडक्वार्टर ...और पढ़ें

नीलू रंजन, जागरण, नई दिल्ली। गलबन, बीजापुर (छत्तीसगढ़) केंद्रीय गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह की अचूक रणनीति से पांच दशक पुराना लाल साम्राज्य डेढ़ साल से कम समय में पूरी तरह बिखर गया।
छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनने के बाद जनवरी 2024 में अमित शाह ने नक्सलवाद को पूरी तरह से खत्म की रणनीति को हरी झंडी दी थी। लेकिन डेढ़ वर्ष के अंदर ही नक्सलियों के कुर्रगुट्टा पहाड़ पर स्थित हेडक्वार्टर को ध्वस्त कर उनकी सबसे मजबूत गुरिल्ला आर्मी बटालियन- एक को छिन्न भिन्न कर दिया।
इस अंतिम और निर्णायक ऑपरेशन की सफलता के बाद छत्तीसगढ़ समेत किसी भी राज्य में नक्सलियों के लिए कोई सुरक्षित स्थान नहीं बचा है। 21 दिन तक चले मौजूदा ऑपरेशन की बारीकियों को भी शाह ने खुद परखा और उसके बाद सुरक्षा बलों को हरी झंडी दी।
लगातार अधिकारियों के संपर्क में रहे गृहमंत्री
ऑपरेशन सिंदूर के बावजूद शाह लगातार वरिष्ठ अधिकारियों के साथ संपर्क में थे और जरूरी निर्देश दे रहे थे। दरअसल, 21 जनवरी 2024 की बैठक में अमित शाह ने छत्तीसगढ़ सरकार और सीआरपीएफ को नक्सलियों के गढ़ के भीतर फॉरवर्ड आपरेशनल बेस (एफओबी) बनाने को कहा। इसके बाद से अब तक 100 से अधिक एफओबी बनाए जा चुके हैं। अकेले इस साल 85 एफओबी बनाने का लक्ष्य है।
एफओबी तैयार होते ही नक्सली हटने लगे पीछे
अमित शाह की रणनीति नक्सलियों के इलाकों में एफओबी के माध्यम से सुरक्षा ग्रिड तैयार करना और उसके सहारे सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को जनता तक पहुंचाना था। जैसे-जैसे एफओबी तैयार होते गए नक्सलियों के पीछे हटने के अलावा कोई चारा ही नहीं बचा और अब अंतिम अभेद्य किला भी ढह गया। हालात यह है कि नक्सलियों के जिस बटालियन का खौफ था, वह छोटी-छोटी टुकडि़यों में जान बचाकर भागने पर मजबूर हो गए।
अलग-थलग हो चुके हैं नक्सलियों के बड़े नेता
यही नहीं, माना जा रहा है कि नक्सलियों के अधिकांश बड़े नेता भी अलग-अलग स्थानों पर जाकर छुप गए हैं, जिनकी तलाश का काम शुरू कर दिया गया है। शाह ने सभी सुरक्षा एजेंसियों को इनकी गतिविधियों पर नजर रखने और जरूरत पड़ने पर उनके खिलाफ तत्काल ऑपरेशन करने का निर्देश दिया है। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार इस समय छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, ओडिशा, तेलंगाना और महाराष्ट्र में नक्सल विरोधी आपरेशन किए जा रहे हैं।
शुरू में नक्सलियों को पूरी तरह से खत्म करने में ढाई से तीन साल का समय लगने का अनुमान लगाया गया था। लेकिन शुरूआत में ही रणनीति की सफलता को देखते हुए अगस्त 2024 में अमित शाह ने नक्सलवाद के खात्मे की तारीख 31 मार्च 2026 तय कर दी। कुर्रगुट्टाकी पहाड़ी के फतह के बाद जवानों के हौसले जिस तरह से बढ़े हुए हैं, उसके काफी पहले इसके अंत की घोषणा कर दी जाएगी। वहीं, नक्सलियों के निचले कैडर में भारी हताशा को देखते हुए आने वाले दिनों में उनके बड़े पैमाने पर आत्मसमर्पण के प्रयास शुरू हो गए हैं।
चार महीनों में 750 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पिछले साल लगभग 900 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था, जबकि इस साल चार महीने में ही 750 से अधिक नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं। इनकी संख्या में तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। कुर्रगुट्टा के पहले अमित शाह के नेतृत्व में झारखंड के बूढ़ा पहाड़ और बिहार के चक्रबंधा पहाड़ को 2023 में इसी तरह से आपरेशन में नक्सलियों से मुक्त कराया जा चुका है।
अमित शाह के गृहमंत्री बनने के बाद नक्सल विरोधी अभियान में आई तेजी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2014 तक केवल एफओबी बनाया गया। जबकि 2014 से 2024 तक 10 सालों 565 एफओबी बनाए गए, इनमें अधिकांश अमित शाह के गृहमंत्री रहते हुए बने हैं। कुर्रगुट्टा पहाड़ के नजदीक इस साल फरवरी और मार्च में तीन एफओबी तैयार किये गए और पूरी तैयारी के बाद ही 21 अप्रैल को आपरेशन शुरू किया गया।

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