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    Medical College: अधिकतर मेडिकल कालेजों में 'घोस्ट फैकल्टी', NMC ने पकड़ा फर्जीवाड़ा

    By AgencyEdited By: Sonu Gupta
    Updated: Sun, 01 Oct 2023 10:24 PM (IST)

    राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने 2022-23 के दौरान जिन मेडिकल कालेजों का मूल्यांकन किया उनमें से अधिकांश कालेजों में घोस्ट फैकल्टी मिले। एनएमसी ने 27 राज्यों में 246 स्नातक मेडिकल कालेजों को शैक्षणिक वर्ष 2022-23 के लिए मान्यता देने या मान्यता जारी रखने के लिए यह मूल्यांकन किया था। शैक्षणिक आपातकालीन विभागों वाले मेडिकल कालेजों की संख्या तीन गुना बढ़कर 45 से 134 हो गई है।

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    NMC ने मेडिकल कालेजों में घोस्ट फैकल्टी का पकड़ा फर्जीवाड़ा

    पीटीआई, नई दिल्ली। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने 2022-23 के दौरान जिन मेडिकल कालेजों का मूल्यांकन किया उनमें से अधिकांश कालेजों में 'घोस्ट फैकल्टी' मिले। एक भी कालेज 50 प्रतिशत आवश्यक उपस्थिति के मानक पर खरा नहीं उतरा। 'घोस्ट फैकल्टी' या दिखावटी फैकल्टी वास्तविकता में नहीं केवल दस्तावेज में ही होते हैं। ये 'घोस्ट फैकल्टी' वेतन तो पा रहे हैं लेकिन काम पर नहीं आ रहे हैं।

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    एनएमसी ने 246 स्नातक मेडिकल कालेजों का किया था मूल्यांकन

    एनएमसी ने 27 राज्यों में 246 स्नातक मेडिकल कालेजों को शैक्षणिक वर्ष 2022-23 के लिए मान्यता देने या मान्यता जारी रखने के लिए यह मूल्यांकन किया था। एनएमसी के अंडर-ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड (यूजीएमईबी) ने एसोसिएशन ऑफ इमरजेंसी फिजिशियन ऑफ इंडिया (एईपीआइ) की शिकायत पर जवाब में यह बात कही।

    वास्तविक तस्वीर कागज पर दिखने वाली तस्वीर से अलग

    एईपीआइ ने एनएमसी द्वारा नए मेडिकल कालेजों की स्थापना के लिए आवश्यकता के रूप में आपातकालीन चिकित्सा विशेषज्ञता को बाहर करने के संबंध में शिकायत की थी। हाल ही में अधिसूचित नियमों के अनुसार, नए मेडिकल कालेजों की स्थापना के लिए अब आपातकालीन विभाग का होना जरूरी नहीं है। इससे पहले 23 जून के अपने मसौदे में स्नातक प्रवेश के लिए नए मेडिकल कालेजों में आपातकालीन चिकित्सा विभाग का होना जरूरी था।

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    एईपीआइ को 22 सितंबर को दिए गए यूजीएमईबी के जवाब के अनुसार, जब अधिकारियों ने कालेजों का दौरा किया तो आपातकालीन चिकित्सा विभागों की वास्तविक तस्वीर कागज पर दिखने वाली तस्वीर से अलग थी। यूजीएमईबी ने कहा 

    इन कालेजों की आधार सक्षम बायोमीट्रिक उपस्थिति की जांच करते समय हमें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि एमएसआर (न्यूनतम मानक आवश्यकता) के अनुसार फैकल्टी और वरिष्ठ रेजिडेंट डाक्टरों के संबंध में आवश्यकताओं को पूरा करने में कालेज शत प्रतिशत विफल रहे। अधिकांश कालेजों में ''घोस्ट फैकल्टी'' थे। कालेजों को कमियों के लिए चेतावनी देने और कमियों को पूरा करने के लिए पर्याप्त समय देने के बाद भी कोई भी कालेज 50 प्रतिशत उपस्थिति की आवश्यकता को भी पूरा नहीं कर पाया। शून्य उपस्थिति अभी भी आम थी। इससे साबित होता है कि हालांकि कागज पर 134 कालेजों में आपातकालीन चिकित्सा विभाग हैं, लेकिन वास्तविक तस्वीर एकदम अलग है।

    अस्पताल की कार्यक्षमता का आकलन AI पर निर्भर

    यूजीएमईबी एनएमसी में स्थापित डिजिटल मिशन मोड प्रोजेक्ट (डीएमएमपी) के माध्यम से मेडिकल कालेज और संबद्ध अस्पताल की कार्यक्षमता का आकलन करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर अधिक निर्भर है। उपस्थिति का मूल्यांकन आधार सक्षम बायोमीट्रिक उपस्थिति प्रणाली (एईबीएएस), शिक्षण और इस मोड के माध्यम से अस्पताल के कामकाज के माध्यम से किया जाता है।

    एमडी आपातकालीन चिकित्सा सीटों में हुई बढ़ोतरी

    कहा गया है कि शैक्षणिक आपातकालीन विभागों वाले मेडिकल कालेजों की संख्या तीन गुना बढ़कर 45 से 134 हो गई है। एमडी आपातकालीन चिकित्सा सीटों में 120 से 462 की वृद्धि हुई है। यूजीएमईबी के अधिकारियों ने 22 से 24 अगस्त तक सभी कालेजों के साथ बातचीत की, जिसमें 768 प्रतिभागी और कुलपतियों सहित 92 विश्वविद्यालय प्रतिनिधि शामिल थे। आपातकालीन चिकित्सा विभागों सहित सभी मुद्दों पर चर्चा की गई और सभी प्रतिभागियों के अधिकांश संदेह दूर कर दिए गए।

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