NEP: इस साल के अंत तक तैयार हो जाएगा आठवीं तक का नया पाठ्यक्रम, फाउंडेशन स्टेज की तैयार हो चुकी है पुस्तकें
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) आने के बाद से ही नए स्कूली पाठ्यक्रम को तैयार करने की शुरु हुई कवायद अब लगभग पूरी होने वाली है। शिक्षा मंत्रालय ने फिलहाल इसे लेकर इस साल के अंत की समय-सीमा तय की है। फिलहाल जो संकेत मिल रहे है उसके तहत दिसंबर के मध्य तक ही यह तैयार हो सकता है ।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) आने के बाद से ही नए स्कूली पाठ्यक्रम को तैयार करने की शुरु हुई कवायद अब लगभग पूरी होने वाली है। स्कूली शिक्षा के बुनियादी स्तर (फाउंडेशनल स्टेज) का पाठ्यक्रम और पुस्तकें तैयार करने के बाद अब जल्द ही स्कूली शिक्षा के प्रारंभिक और मिडिल स्तर यानी तीसरी से आठवीं कक्षा तक का पाठ्यक्रम भी तैयार होने वाला है।
शिक्षा मंत्रालय ने तय की समय-सीमा
शिक्षा मंत्रालय ने फिलहाल इसे लेकर इस साल के अंत की समय-सीमा तय की है। फिलहाल जो संकेत मिल रहे है, उसके तहत दिसंबर के मध्य तक ही यह तैयार हो सकता है। जिसके बाद इसे प्रकाशन के लिए भेज दिया जाएगा। नए स्कूली पाठ्यक्रम को जल्द से जल्द तैयार करने को लेकर शिक्षा मंत्रालय को जोर इसलिए है, क्योंकि इसे शैक्षणिक सत्र 2024- 25 से लागू करने की योजना है। ऐसे में स्कूली पाठ्यक्रम को तैयार करने में जुटी राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद ( एनसीईआरटी ) को इसमें तेजी लाने के लिए कहा गया है।
माध्यमिक चरण के पाठ्यक्रम भी हो रहे तैयार
मंत्रालय ने यह निर्देश हाल ही में पाठ्यक्रम से जुड़ी तैयारियों की समीक्षा के दौरान दिया है। खास बात यह है इन चरणों के साथ ही माध्यमिक ( सेकेंडरी स्टेज) चरण (जिसके तहत नौवीं से बारहवीं तक की पढ़ाई होगी) के पाठ्यक्रम को भी तैयार करने का काम तेजी से चल रहा है। यह भी मार्च 2024 तक तैयार हो जाएगा।
एनसीएफ जारी होने के बाद तेजी से पकड़ा रफ्तार
सूत्रों के मुताबिक नेशनल कैरीकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) जारी होने के बाद इस काम में रफ्तार पकड़ा है। वैसे भी पाठ्यक्रम से ज्यादा मशक्कत फ्रेमवर्क तैयार करने की थी, ऐसे में अब और देरी की उम्मीद नहीं है। फ्रेमवर्क के तहत सभी जरूरी और शोधपरक अध्ययन सामग्री का एक बड़ा हिस्सा वैसे भी पहले से एनसीईआरटी के पास मौजूद है।
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इस बीच राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) से जुड़ी सभी सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए स्कूली शिक्षा के प्रारंभिक चरण ( जिसमें तीसरी से पांचवीं कक्षा तक के बच्चों को पढ़ाया जाना है ) के साथ ही मध्य चरण ( मिडिल स्टेज) ( जिसमें छठवीं से आठवीं कक्षा तक के बच्चों को पढ़ाया जाना है ) के तैयार किए जा रहे पाठ्यक्रम में बच्चों की क्षमता का ख्याल रखने और पाठ्यक्रम को छोटा रखने पर ध्यान दिया जा रहा है।
साथ ही बच्चों को रटने-रटाने की प्रवृत्ति से निकालकर उन्हें रोचक गतिविधियों ( एक्टिविटी) से जोड़ने पर फोकस है। इससे उन्हें पढ़ाई न तो बोझिल लगेगी न ही किसी तरह की अरुचि पैदा करेगी।
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