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    Jupiter के विशाल चंद्रमा Europa के बेहद करीब से गुजरने वाला है नासा का Juno Spacecraft, जानें- क्‍यों है ये घटना खास और इसकी रियलटाइम जानकारी

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Tue, 27 Sep 2022 12:02 PM (IST)

    29 सितंबर को नासा का स्‍पेसक्राफ्ट जूनो सौरमंडल के सबसे बड़े ग्रह जूपिटर के सबसे बड़े ग्रहों में से एक यूरोपो के बेहद करीब से गुजरेगा। इससे मिली जानकारी भविष्‍य के मिशन में काफी फायदेमंद साबित हों सकेंगी।

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    Jupiter के चंद्रमा यूरोपा के पास से गुजरेगा जूनो

    नई दिल्‍ली (आनलाइन डेस्‍क)। धरती से कई करोड़ मील की दूरी पर 29 सितंबर को कुछ खास होने वाला है। इस दिन नासा का स्‍पेसक्राफ्ट जूनो हमारे सौरमंडल के सबसे बड़े ग्रह जूपिटर JUPITER (ब्रहस्‍पति) के चांद यूरोपा के बेहद पास से गुजरेगा। इस तरह से यूरोपा को लेकर वैज्ञानिकों के मन में जो कुछ सवाल हिलोरे मार रहे हैं उनका जवाब मिलने की उम्‍मीद की जा रही है।

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    जूपिटर के चार विशाल चंद्रमाओं में से एक है यूरोपा 

    यूरोपा जूपिटर के उन चार विशाल चंद्रमा में से एक है जिसको 1610 में पहली बार गैलीलियो गिली ने खोजा था। इस वजह से इस ग्रह के चार विशाल चंद्रमा को गैलीलियो सैटेलाइट कहा गया। 29 सितंबर को नासा का स्‍पेसक्राफ्ट जूनो जब यूरोपा के पास से निकलेगा तो इसकी पहली बार बड़ी तस्‍वीरों को वैज्ञानिक देख पाएंगे। इसके बाद बर्फ से ढके इस चंद्रमा के कुछ और भी राज मुमकिन है वैज्ञानिक खोल सकें। इस दिन जूनो यूरोपा से करीब 358 किमी की दूरी से निकलेगा, जो अब तक की इसकी सबसे करीब की स्थित होगी। गुजरने के साथ ही ये इसकी सतह की हाई रिजोल्‍यूशन इमेज भी लेगा।

    नई जानकारी मिलने की उम्‍मीद 

    नासा का कहना है कि 29 सितंबर के बाद वैज्ञानिकों को कुछ अहम डाटा इस चंद्रमा के बारे में हासिल हो सकेंगे। इसके सर्फेस को लेकर, इसकी कंपाजिशन और इसके आयनोस्‍फेयर और मैग्‍नेटोस्‍फेयर के बारे में भी वैज्ञानिक ज्‍यादा जान पाएंगे। इस घटना से न केवल यूरोपा के कुछ और रहस्‍य खुल सकेंगे बल्कि जूपिटर से इसके संबंधों के बारे में भी कुछ और जानकारी हासिल हो सकेगी। ये सभी जानकारियां भविष्‍य में इस ग्रह पर जाने वाले दूसरे मिशन के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकेगा।

    5 वर्षों में जूपिटर के पास पहुंचा जूनो 

    बता दें कि नासा ने जूपिटर की अधिक जानकारी लेने के लिए जूनो को वर्ष 2011 में लान्‍च किया था। 2016 में ये जूपिटर के पास पहुंचा था, तभी से ये इसकी जानकारी एकत्रित कर रहा है। इसके अलावा नासा वर्ष 2024 में जूपिटर के लिए यूरोपा क्लिपर (Europa Clipper) को लान्‍च करेगा। ये खास तौर पर जूपिटर के बर्फ से ढके चंद्रमा यूरोपा की अधिक जानकारी हासिल करने के लिए होगा।

    भविष्‍य के लिए अहम होगी जानकारी 

    जूनो के प्रिंसीपल इंवेस्टिगेटर सेन एंटोनियो 29 सितंबर के बाद मिलने वाली जानकारी को लेकर काफी उत्‍साहित हैं। उनका कहना है कि भविष्‍य के मिशन के लिए ये घटना काफी अहम होने वाली है। जूनो केवल यूरोपा की ही जानकारी नहीं जुटा रहा है बल्कि इसके दूसरे बड़े चंद्रमा Ganymede, Io की भी जानकारी जुटाई है। जूपिटर का गैनीमेड चंद्रमा हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा चंद्रमा भी है।

    यूरोपा पर हो सकता है खारे पानी का समुद्र  

    यूरोपा की ही यदि बात करें तो इसका equatorial diameter 1,940 मील है। इसका आकार धरती के चंद्रमा के ही बराबर है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इसकी बर्फ के नीचे खारे पानी का समुद्र हो सकता है। यदि वैज्ञानिकों की बात सही निकलती है तो यहां पर जीवन की तलाश की जा सकती है। नासा की योजना है कि वो अगले दो वर्षों में जूपिटर के दूसरे चंद्रमाओं के बारे में भी इस स्‍पेसक्राफ्ट से जानकारी हासिल करे। 29 सितंबर को होने वाली घटना की रियल टाइम जानकारी www.jpl.nasa.gov/missions/juno से ली जा सकती है। 

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