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Amazing! ब्रह्मांड की गहराइयों से आने वाले अजीब सिग्‍नलों से हैरान हैं वैज्ञानिक Radio Antenna ने कई बार किए रिसीव

वर्षों से वैज्ञानिक ये जानने के लिए उत्‍सुक हैं कि इस ब्रह्मांड में हमारे अलावा कोई और है या नहीं। इसके लिए कई स्‍पेसक्राफ्ट भी दूसरे ग्रहों पर भेजे गए हैं। लेकिन अब तक कुछ नहीं पता चला है। लेकिन दूसरी दुनिया से रिसीव सिग्‍नल्‍स से वैज्ञानिक उत्‍साहित जरूर हैं।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 27 Sep 2022 10:51 AM (IST)Updated: Tue, 27 Sep 2022 10:51 AM (IST)
Amazing! ब्रह्मांड की गहराइयों से आने वाले अजीब सिग्‍नलों से हैरान हैं वैज्ञानिक Radio Antenna ने कई बार किए रिसीव
धरती पर मौजूद विशाल टेलिस्‍कोप को कई बार मिले बाहरी दुनिया से संकेत

नई दिल्‍ली (आनलाइन डेस्‍क)। वैज्ञानिकों के लिए ब्रह्मांड एक अनसुलझी गुत्‍थी की तरह बना हुआ है। वैज्ञानिक इसके जितना करीब जाने की कोशिश करते हैं ये उतना ही रहस्‍यमयी बनता चला जहा है। वैज्ञानिक ये जानने के लिए उत्‍सुक हैं कि क्‍या इस ब्रह्मांड में इकलौते हम ही हैं या कोई कहीं और भी है, जिसके बारे में हमें आज तक पता नहीं चला है। इसको जानने के लिए नासा ने अनजान ग्रहों की तरफ भी अपने यान भेजे हैं, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला है।

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सैकड़ों की संख्‍या में मिले सिग्‍नल

वहीं दूसरी तरफ चीन के बनाए दुनिया के सबसे बड़े स्‍फेरिकल रेडियो टेलिस्‍कोप पर आने वाले सिग्‍नल्‍स वैज्ञानिकों की जिज्ञासा को और बढ़ा रहे हैं। हाल ही में इस टेलिस्‍कोप को सैकड़ों की संख्‍या में ऐसे सिग्‍नल मिले हैं जो बाहरी दुनिया से आए हैं। नेचर और नेचर कम्‍यूनिकेशन मैग्‍जीन में ये रिसर्च पब्लिश भी हुई है। यूएस ने भी इसकी पुष्टि की है और इन सिग्‍नल्‍स को डिकोड करने का काम भी चल रहा है।

फास्‍ट रेडियो बर्स्‍ट

वैज्ञानिकों की मानें तो ये सिग्‍नल फास्‍ट रेडियो बर्स्‍ट 2020 1124ए से मिल रहे हैं। चीन के वैज्ञानिक इनको मैग्‍नेटार या न्‍यूट्रान स्‍टार बता रहे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस गैलेक्‍सी में मौजूद कोई न्‍यूट्रान स्‍टार इस तरह के सिग्‍नल भेज रहा है। इसके आसपास मैग्‍नेटिक फील्‍ड होने की भी बात वैज्ञानिक बता रहे हैं। वैज्ञानिकों की मानें तो करीब 2 हजार के आसपास इस तरह के सिग्‍नल चीन के टेलिस्‍कोप ने रिसीव किए हैं।

2007 में पहली बार हुई एफआरबी की खोज 

गौरतलब है कि फास्‍ट रेडियो बर्स्‍ट की खोज 2017 में की गई थी। एफआरबी से निकलने वाली ऊर्जा का अंदाजा लगाना हमारी सोच से भी आगे की बात है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इन सिग्‍नल से इतनी ऊर्जा निकलती है जो करोड़ों सूरज के बराबर होती है। इस तरह के सिग्‍नल कुछ सैकंड या इससे भी कम सैकंड के लिए होते हैं।

पहले भी कई बार मिले हैं सिग्‍नल

आपको यहां पर ये भी बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि धरती पर इस तरह के रेडियो सिग्‍नल्‍स को किसी टेलिस्‍कोप ने रिसीव किया हो। फरवरी 2022 में ही वैज्ञानिकों ने अपनी ही गैलेसी से आने वाले सिग्‍नल की जानकारी दी थी। हालांकि ये सिग्‍नल अप्रैल 2020 में रिसीव हुए थे। वैज्ञानिकों का कहना था कि ये सिग्‍नल मिल्‍की वे से आए थे। 30 हजार प्रकाश वर्ष की दूरी से आए इन सिग्‍नल्‍स ने वैज्ञानिकों को काफी उत्‍साहित भी किया था। ऐसा पहली बार था कि हमारी की गैलेक्‍सी से इस तरह के स‍िग्‍नल रिसीव हुए थे।

एफआरबी के पैटर्न से वैज्ञानिक हैरान

इससे पहले 2019 में भी इस तरह के एफआरबी सिग्‍नल्‍स को धरती पर रिसीव किया गया था। इसकी जानकारी जून 2020 में सामने आई थी। वैज्ञानिकों के मुताबिक तब भी इस तरह के कई सिग्‍नल रिसीव हुए थे, जिनमें से 100 से अधिक सिग्‍नल नष्‍ट भी हो गए थे। ब्रिटिश कोलंबिया के टेलिस्‍कोप ने इस सिग्‍नल्‍स को रिसीव किया था। इसके अजीब पैटर्न से वैज्ञानिक काफी हैरान भी हुए थे। वैज्ञानिकों का मानना था कि ये सिग्‍नल धरती से करीब 50 करोड़ प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित एक स्‍पाइरल गैलेक्‍सी से ये सिग्‍नल आए थे।

3 करोड़ प्रकाश वर्ष की दूरी से भी मिला सिग्‍नल  

वर्ष 2007 में आस्‍ट्रेलिया के Parkes Radio Telescope को पहली बार एफआरबी सिग्‍नल मिले थे। इनमें से FRB 121102 बेहद खास था जो Dwarf Galaxy से मिला था। ये धरती से करीब 3 करोड़ प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है।  

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