तहव्वुर राणा के खिलाफ सरकारी वकील नियुक्त, कौन हैं नरेंद्र मान, जिन्हें मिली आतंकी को फांसी तक पहुंचाने की जिम्मेदारी
केंद्र सरकार ने 26/11 मुंबई आतंकी हमले की साजिश से जुड़े केस में एडवोकेट नरेंद्र मान को स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर नियुक्त किया। वे तहव्वुर राणा और डेविड हेडली के खिलाफ एनआईए केस की सुनवाई दिल्ली की एनआईए स्पेशल कोर्ट और अपीली अदालतों में करेंगे। यह नियुक्ति 3 साल के लिए या केस ट्रायल पूरा होने तक मान्य होगी। यह कदम न्याय प्रक्रिया को तेज़ करने की दिशा में है।

एएनआई, नई दिल्ली। मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकी हमलों के पीछे की साजिश से जुड़े एक अहम मामले में केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने एडवोकेट नरेंद्र मान को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की ओर से केस की सुनवाई के लिए स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर नियुक्त किया है।
तहव्वुर राणा और डेविड हेडली के खिलाफ केस की सुनवाई करेंगे
यह नियुक्ति एनआईए केस नंबर RC-04/2009/NIA/DLI से संबंधित है, जो पाकिस्तान मूल के तहव्वुर हुसैन राणा और डेविड कोलमैन हेडली के खिलाफ है। इन दोनों पर 26/11 हमलों की साजिश रचने का गंभीर आरोप है। अब नरेंद्र मान इस केस की सुनवाई एनआईए की स्पेशल कोर्ट, दिल्ली और संबंधित अपीली अदालतों में करेंगे।
26/11 Mumbai Terror Attack Conspiracy case | The Central Government appoints Narender Mann, Advocate, as Special Public Prosecutor for conducting trials and other matters related to NIA case RC-04/2009/NIA/DLI (against Tahawwur Hussain Rana and David Coleman Headley) on behalf of… pic.twitter.com/MOPNTIPrRj
— ANI (@ANI) April 10, 2025
तीन साल की अवधि या ट्रायल पूरा होने तक जिम्मेदारी
नरेंद्र मान को यह जिम्मेदारी तीन साल के लिए दी गई है, जो इस नियुक्ति की अधिसूचना प्रकाशित होने की तारीख से लागू मानी जाएगी। यदि ट्रायल इससे पहले पूरा हो जाता है, तो उनकी जिम्मेदारी वहीं समाप्त हो जाएगी।
कौन हैं नरेंद्र मान?
एडवोकेट नरेंद्र मान एक जानेमाने वकील हैं। उनके व्यापक कानूनी अनुभव और आपराधिक मामलों में दक्षता के आधार पर उन्हें 26/11 मुंबई आतंकी हमला केस में चुना गया है। उनकी नियुक्ति से यह उम्मीद जताई जा रही है कि मामले में अभियोजन पक्ष और प्रभावी ढंग से प्रस्तुत होगा। तहव्वुर राणा के खिलाफ पेश सबूत से पाकिस्तान का भी चेहरा बेनकाब हो सकता है।
अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने पाकिस्तानी-कनाडाई नागरिक तहव्वुर हुसैन राणा के भारत प्रत्यर्पण की मंजूरी देने के बाद उसे भारत लाया जा रहा है। राणा को भारत लाने के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) उसको हिरासत में लेकर पूछताछ करेगी।
NIA ने 2009 में दर्ज किया था केस
भारत सरकार के आदेश पर 11 नवंबर 2009 को एनआईए ने दिल्ली में केस RC-04/2009/NIA/DLI दर्ज किया था। यह केस इंडियन पीनल कोड की धारा 121A, यूएपीए एक्ट की धारा 18 और सार्क कन्वेंशन (टेररिज्म की रोकथाम) एक्ट की धारा 6(2) के तहत दर्ज किया गया था। इसमें डेविड कोलमैन हेडली और तहव्वुर राणा को मुख्य आरोपी बनाया गया।
आतंकियों को समर्थन देने का आरोप
एनआईए के मुताबिक, राणा और हेडली को अमेरिका में गिरफ्तार किया गया था। दोनों पर प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को सहयोग देने और भारत में आतंकी हमले की साजिश रचने का आरोप है। मुंबई हमले में 174 से अधिक लोग मारे गए थे। एनआईए ने अमेरिका को दोनों की प्रत्यर्पण के लिए औपचारिक अनुरोध भेजा था। पाकिस्तान को भी एक लेटर रोगेटरी भेजा गया, जिसका अब तक जवाब नहीं मिला है।
अदालत में चार्जशीट दाखिल
एनआईए ने इस केस में 24 दिसंबर 2011 को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में सभी 9 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। आरोपियों पर आईपीसी की धाराओं (120B, 121, 121A, 302, 468, 471) और यूएपीए एक्ट की धाराओं (16, 18, 20) के तहत आरोप लगाए गए हैं।
चंद घंटों में भारत में होगा तहव्वुर राणा
मुंबई हमलों का मास्टमाइंड तहव्वुर राणा को भारत लाया जा रहा है और वो चंद घंटों में भारत की धरती पर होगा। दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरने के बाद से ही तमाम तरह की कानूनी प्रक्रियाएं शुरू की जांएगी, जिसके तहत 26/11 हमले में मारे गए लोगों और उनके परिजनों को इंसाफ दिलाया जा सके।
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